Monday, November 29, 2021

आईपीएम के क्रियान्वयन करने हेतु मेरा योगदान एवं खेती की अन्य विचारधाराओंके संबंध मेंअपने कुछ विचार

मैं विभिन्न फसलों एवं देश के विभिन्न प्रदेशों में  अपनी भागीदारी के द्वारा लगभग 38 वर्षों तक आईपीएम demonstrations,Exhibitions  and trainings के द्वारा आईपीएम क्रियान्वयन हेतु सक्रिय रहा l इसके बाद मैंने अपनी भागीदारी खेती की विभिन्न विधियों जैसे ऑर्गेनिक फार्मिंग, इंटीग्रेटेड फार्मिंग ,जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक फार्मिंग ,प्रेसीजन फार्मिंग , क्रॉप डायवर्सिफिकेशन आफ एग्रीकल्चर इन वैरीयस सेक्टर्स सुच एस पावर एंड एनर्जी सेक्टर एंड एक्सपोर्ट सेक्टर आदि के बारे में अध्ययन कर  के  अपने आप को सक्रिय रखा l इन उपरोक्त सभी प्रकार की खेती के तरीकों के अपने अलग-अलग तरीके, विशेषताएं एवं सीमाएं होती हैं l इन सभी विशेषताओं में ज्यादातर इस बात पर जोर दिया गया है कि खेती करते समय खेती के काम में आने वाली खेत, फसल एवं उसकी मिट्टी आदि से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र का नुकसान ना हो एवं एवं फसल की भरपूर पैदावार तथा पैदावार होने में जुड़े हुए सभी पदार्थ एवं पारिस्थितिक तंत्र सक्रिय रहे l इसके अतिरिक्त खेती में रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक फर्टिलाइजर्स का उपयोग आईपीएम के अलावा किसी में खेती की विधियों में संस्तुति नहीं दी जाती है l आईपी एम पद्धति के द्वारा की जाने वाली खेती की पद्धति में रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु की ही संस्तुति दी जाती है अर्थात इसका अर्थ यह है कि खेती करते समय यदि कोई आपातकालीन परिस्थिति जैविक व अजैविक कारकों के द्वारा अगर आती है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायोचित ढंग से रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम से कम मात्रा में एवं कम से कम क्षेत्रफल में किया जा सकता है जिससे फूड सिक्योरिटी के साथ साथ फूड सेफ्टी को भी सुनिश्चित किया जा सकता हैl इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की खेती करने के तरीकों से प्राप्त किए गए ज्ञान के अनुसार निम्न प्रकार के विचार एवं सिद्धांत भी अर्जित किए गए l
1. प्रकृति में फसल पारिस्थितिक तंत्र में  अपने आप चल रही फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की पद्धति या व्यवस्था का अध्ययन करें और उसको आईपीएम के क्रियान्वयन एवं फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखने हेतु अपनाएं l
Let's study the crop production and protection process going on in the nature and apply this process for implementation to promote IPM and also to keep Agroecosystem active.
2. क्योंकि आईपीएम इनपुट कि किसानों के द्वार पर उपलब्धता ज्यादातर नहीं हो पाती अतः ऐसी हालात में हमें जो भी  जैविक विधियां जो कि सामाजिक तौर पर acceptable  तथा कम खर्चीली और प्रयोग करने लायक हो के प्रयोग को आईपीएम क्रियान्वयन हेतु बढ़ावा देना चाहिए l इसके साथ साथ जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती , ऑर्गेनिक खेती आदि पर आधारित जैविक विधियों एवं तौर-तरीकों को भी आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु जहां तक संभव हो बढ़ावा देना देना चाहिए l
Let's promote all available,affordable socially  acceptable non chemical methods of crop production and protection used in organic and zerobudget based Natural farming based on animals and plants to promote IPM as extent as possible. 
3. फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की ट्रेडिशनल methods अर्थात  परंपरागत विधियों का आईपीएम क्रियान्वयन हेतु भी बढ़ावा देना चाहिए l
Let's also promote traditional methods of crop production and protection to promote IPM.
4. खाने के लिए स्वस्थ एवं सुरक्षित फसल व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु आईपीएम क्रियान्वयन में जैविक आईपीएम इनपुट की अनुपलब्धता के कारण या अनुपस्थिति में जो भी इनपुट उपलब्ध है उनको सुचारु रुप से सही तरीके से प्रयोग करना चाहिए की ऐसी परिस्थिति में सिर्फ यही एक विकल्प बच जाता है l
Using available inputs and methods to produce healthy and safe crops to eat and quality Agricultural  commodities to trade is the prime option left to implement  IPM in absence of IPM inputs.
5. आई पी एम के क्रियान्वयन  को सुविधा प्रदान करने के लिए  सरकार के द्वारा आईपीएम इनपुट की उपलब्धता को किसानों तक पहुंचाना सुनिश्चित करनl एकमात्र प्रमुख आवश्यकता है जिसे सरकार को प्राथमिकता के तौर पर सुनिश्चित करना चाहिए l
Govt intention to ensure availability of  IPM inputs to the farmers is the prime requirement to facilitate IPM in the country.


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