Friday, December 25, 2020

Integrated Pest Management (IPM)एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन

जब वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन को कृषकों, कृषि श्रमिकों, तथा समाज के अन्य घटकों के द्वारा  face  की जाने वाली वाली आर्थिक ,सामाजिक ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,भौगोलिक, जलवायु आधारित, राजनीतिक ,स्वास्थ्य  संबंधी एवं प्राकृतिक समस्याओं को ध्यान में रखकर और उनको दूर करते हुए क्रियान्वयन किया जाता है तब हम इसे एकीकृत नाशि  जीव प्रबंधन या इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अथवा आईपीएम कहते हैं

Wednesday, December 23, 2020

Implementation of IPM

1. Change of propesticidal mindsets of the farmers and other IPM Stakeholers. 
2.Becomming sympathetic to all living organisms found in the agroecosystem. 
3 Considering the impact of nonliving factors involve in crop production and protection system. 
4.Ensuring  the availability of IPM inputs I. e .biocontrol agents ,traps,organic and bio pesticides, and fertilizers and traditional pesticide and fertilizers etc at the door steps of the farmers. 
5.Using strict pest Surveillance and Agroecosystem Analysis (AESA)as decision making tool for adopting Agricultural practices in crop protection and production system.
6.Considering the impact of compensatory and tolerance capacity found among the crop plants and bearing loss due to pests up to dome extent ,bearing and tolerating the impact of adverse conditions during crop cultivation ate certain Philosophical aspects associated with agroecosystem are certain philosophical aspects of Integrated Pest Managent. 
7.Creating awareness about I'll effects of the chemical pesticides and fertilizers among the farmers and other IPM Stakeholers on soil,water,ecosystem Environment, biodiversity, nature and society before implementing IPM. 
8.Promote the use of biopesticides, biocontrol agents ,organic inputs ,techniques for conservation of beneficials found in agroecosystem and also natural resources while doing Agriculture or farming to promote and implement IPM.
9 .Conserving various types of beneficial organisms found in agroecosystem and other natural resources using various conservation techniques like Ecological Engineering  .
10.To bring the quality Revolution in food production and protection programme to provide safe food to humanbeing ,cattles,birds etc ,to provide quality Agricultural commodities to trade,to ensure community health and better Environment, and to ensure food security along with food safety simultaneously. 
11.To issue timely Advisories to the farmers. 

आईपीएम कृषक खेत पाठशाला ll

नील गगन के तले आई पीएम का पाठ पढ़ें
A School  with no boundaries and ceiling where IPM is tought is called as IPM Farmers Field School.
  बिना चारदीवारी एवं छत  की पाठशाला जहां IPM का पाठ सिखाया जाता है आईपीएम कृषक खेत पाठशाला कहलाता है l 
    खेत स्वयं हमें बहुत कुछ सिखाता है इसीलिए   वह IPM कृषक खेत पाठशाला कहलाता है l
       खेत का नियत अवधि के अंतराल से भ्रमण करना तथा फसल का अवलोकन करके खेत में पाए जाने वाले लाभदायक या हानिकारक जीवो ,बीमारियों ,खरपतवार ओं एवं  अन्य जीवो की संख्या का आकलन करके तथा अजैविक कारकों का फसल पर्यावरण में पड़ने वाले प्रभाव का आकलन को ध्यान में रखकर एग्रोइकोसिस्टम एनालिसिस करके ,फसल पर्यावरण विश्लेषण का चार्ट बनाकर एवं सभी कारकों का फसल के उत्पादन पर पड़ने वाले समेकित प्रभाव को ध्यान में रखकर के खेत मैं कृषि क्रियाएं को लागू करना  ही आई पीएम कृषक खेत पाठशाला का प्रमुख उद्देश्य है  एवं गतिविधि हैl इससे कृषकों को स्वयं के अनुभव के आधार पर अपने खेत के हेतु  स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर के कृषकों को निपुण बनाना किसान खेत पाठशाला का प्रमुख उद्देश्य हैl
  आईपीएम कृषक खेत पाठशाला कार्यक्रम आईपीएम कार्यक्रम को कृषकों के बीच प्रसार एवं प्रचार करने का एक अति उत्तम प्रोग्राम है जो लर्निंग बाय डूइंग  करके सीखने के सिद्धांत पर आधारित है l आईपीएम कृषक खेत पाठशाला के क्रियान्वयन हेतु सबसे पहले कृषकों का आधारभूत सर्वेक्षण या बेंच मार्क सर्वे किया जाता है जिससे उनकी तकनीकी ,आर्थिक एवं सामाजिक  परेशानियों का अध्ययन किया जाता है ,फिर उन परेशानियों का निवारण इस कार्यक्रम के दौरान ही किया जाता है l आईपीएम खेत पाठशाला के क्रियान्वयन हेतु एग्रोइकोसिस्टम एनालिसिस, पार्टिसिपेटरी एक्शन रिसर्च ,ग्रुप डायनॉमिक्स, फसलों की उस क्षेत्र में पाई जाने वाली विशेष समस्याओं पर अध्ययन एवं एवं डिस्कशन तथा उनका निवारण आदि गतिविधियां प्रमुख रूप से की जाती है lयह गतिविधियां कृषकों के द्वारा ही की जाती है जो एक सुविधा प्रदायक की देखरेख में की जाती हैं l
      

Sunday, December 20, 2020

आईपीएम कृषक खेत पाठशाला

 आईपीएम  कृषक खेत पाठशाला 
    हो नीले गगन के तले आईपीएम का पाठ  पढ़ें
खेतों की समस्या खेतों में ढूंढ कर खेतों में हल करें........ हो नील गगन के तले आई पीएम का पाठ पड़े l
1. एग्रोइकोसिस्टम एनालिसिस
खेतों में घुसकर IPM को सीखें खेतों में AESA करें  ........ ओ नील गगन के तले आई पीएम का पाठ पढ़ा
खेत में करके AESA से निर्णय खेतों में प्रयोग करें ...... नील गगन के तले आई पीएम का पाठ पढ़ा l
2. पार्टिसिपेटरी एक्शन रिसर्च .. learning by doing
कृष को के द्वारा भागीदारी से वैज्ञानिक प्रयोग करें ओ नील गगन के तले IPM  का पाठ पढ़ा l
3.
3.  ग्रुप  डायनॉमिक्स
 खेल से सीखे खेल से सिखाएं खेल  से याद करें
नील गगन के तले आईपीmका पाठ पढ़ा
4. खेतों में पाए जाने वाले मित्र व शत्रु जीवो  की पहचान खेतों में ही जाकर करें 
 नील गगन के तले आई पीएम का पाठ पढ़
5. भागीदारी से सीखे आपस में सिखाएं परस्पर में निर्णय करें..... ओ नील गगन के तले   आई पीएम का पाठ पढ़ा
6.अनुभव से सीखे अनुभव से सिखाएं अनुभव से आई कम करें
 हो नील गगन के तले  आई पीएम  का पाठ पढ़ा




Saturday, December 19, 2020

Objectives of IPM

1.To  ensure safe and secure Agriculture .
2.To ensure food security along with food safety.
3.To grow quality Agricultural commodities to trade.
4.To reduce cost of cultivation.
5.To maintain harmony with the nature and society. 
6.To enhance farmers income and their prosperity.
7.To ensure safety of farmers,environment,ecosystem and natural resources.
8.To reduce dominancy of chemicals ie chemical pesticides and fertilizers in Agriculture. 
9.To make farmers and other IPM stakeholders competent to grow safe crops with minimum expenditure, minimum use of chemical pesticides and fertilizers and minimum or least disturbance to ecosystem, Environment, biodiversity, nature and society.
10.To ensure food security along with food safety simultaneously. To facilitate national and international trades smoothly.
11.To ensure conservation of natural resources in agroecosystem. 
12.To restore the damaged ecosystem damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides in Agriculture. 
13.To reduce Environmental pollution.
14.To maintain harmony with nature and society. 
14.To ensure universal brotherhood's 
15.To ensure community health and farmers prosperity. 
16.To ensure better Environment to sustain life on earth and also for better future. 





Objectives of IPM

1.To  ensure safe and secure Agriculture .
2.To ensure food security along with food safety.
3.To grow quality Agricultural commodities to trade.
4.To reduce cost of cultivation.
5.Yo maintain harmony with the nature and society. 
6.Tornhance farmers income and their prosperity.
7.To ensure safety of farmers,environment,ecosystem and natural resources.
8.To reduce dominancy of chemicals ie chemical pesticides and fertilizers in Agriculture. 
9To make farmers and other IPM stakeholders competent to grow safe crops with minimum expenditure, minimum use of chemical pesticides and fertilizers and minimum or least disturbance to ecosystem, Environment, biodiversity, nature and society.
10.To ensure food security along with food safety simultaneously. To facilitate national and international trades smoothly.
11.To ensure conservation of natural resources.
12.To restore the damaged ecosystem damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides in Agriculture. 
13.To reduce Environmental pollution.
14.To maintain harmony with nature and society. 





Objectives of IPM

1.To  ensure safe and secure Agriculture .
2.To ensure food security along with food safety.
3.To grow quality Agricultural commodities to trade.
4.To reduce cost of cultivation.
5.Yo maintain harmony with the nature and society. 
6.Tornhance farmers income and their prosperity.
7.To ensure safety of farmers,environment,ecosystem and natural resources.
8.To reduce dominancy of chemicals ie chemical pesticides and fertilizers in Agriculture. 
9To make farmers and other IPM stakeholders competent to grow safe crops with minimum expenditure, minimum use of chemical pesticides and fertilizers and minimum or least disturbance to ecosystem, Environment, biodiversity, nature and society.
10.To ensure food security along with food safety simultaneously. To facilitate national and international trades smoothly.
11.To ensure conservation of natural resources.
12.To restore the damaged ecosystem damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides in Agriculture. 





Friday, December 18, 2020

आईपीएम क्रियान्वयन केकुछ सिद्धांत

आई पीएम वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण ,प्रकृति व समाज प्रेम को भी दर्शाती है l
  IPM अहिंसा ,सहानुभूति ,सहनशीलता ,संवेदनशीलता एवं सामंजस्य के सिद्धांत पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l
 आईपीएम फसल पारिस्थितिक तंत्र की सतत निगरानी एवं नियत कालीन विश्लेषण के आधार पर लिए गए निष्कर्ष के साथ-साथ अपनी बुद्धि ,विवेक तथा अनुभव के अनुसार लिए गए निर्णय के आधार पर फसलों में कृषि क्रियाओं का क्रियान्वयन करने के सिद्धांत पर आधारित है l
  आईपीएम के सभी भागीदारों के बीच में घर की गई रसायनिक कीटनाशकों को वरीयता पूर्वक प्रयोग की जाने वाली मानसिकता को बदल कर रसायनिक कीटनाशकों को सिर्फ इमरजेंसी अथवा आपातकाल परिस्थिति के निपटान हेतु प्रयोग करने वाली मानसिकता में परिवर्तित करना आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य है l
 IPM के क्रियान्वयन हेतु वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन अथवा नासि जीव प्रबंधन कि उन परंपरागत एवं नवीन वैज्ञानिक तकनीकों को समेकित रूप से प्रयोग करते हैं जिनका सामुदायिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र पर्यावरण  ,प्रकृति व समाज पर विपरीत प्रभाव ना पड़ता हो और प्रकृति व समाज के लिए उपयुक्त या सूटेबल हो l
आईपीएम के विभिन्न भागीदारों को रसायनिक कीटनाशकों के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करना तथा इनके स्थान पर जैविक कीटनाशकों और परंपरागत बगैर  रसायन वाली  विधियों को बढ़ावा देने के बारे में उनका प्रशिक्षण ,प्रदर्शन तथा शिक्क्षित करके निपुण बनाना  आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है l
         जहां तक काम चलता हो गीजा से
          वहां तक बचना चाहिए दवा से
 

IPM Programme in my Opinion -Few fundamental aspects about IPM .IPM के कुछ मूलभूत पहलू

National IPM Programme was made during 1991-92.Since then it is being implemented through various Central Integrated Pest Management Centres of the Directorate of plant protection ,Quarantine and storage under Union Ministry of Agriculture and farmers welfare.  Under this programme various activities are being implemented.
In my opinion Integrated Pest Management  is .........
1.A motivational  programme in which  the IPM stakeholders are motivated to do farming without harming to the nature and society.
2.IPM stakeholders are motivated through systematic trainings, demonstrations, and creation of awareness to grow safe  crops with least or without disturbance to community health, Environment,ecosystem biodiversity nature and society. 
3.IPM is a skill Development programme in which the stakeholders are made competent to grow healthy and safe crops on minimum expenditure, minimum use of the chemical pesticides and fertilizers and minimum or least disturbance to the community health, Environment,ecosystem biodiversity nature and society. 
4.IPM is not a method but it is concept of the pest management. 
5.IPM is a social movement to reduce the use of the chemicals i.e.pesticides and fertilizers  in Agriculture to avoid their I'll effects on nature ,Environment, ecosystem and society, 
.6.IPM is a way forward from growing more food to grow safe food.
7.lPM is a programme for ensuring food security along with food safety. 
8.IPM is a first step to go for organic Farming .
9.IPM is a programme for making Agriculture,profitable, sustainable, and safe through crop Diversification and crop rotation,creation of infrastructures and suitable policies.
10.IPM is a Philosophy which is related with different aspects of life. 






Tuesday, December 15, 2020

Latest or changed concepts of Agriculture

1.Learn and earn from nature and society,and our experiences.
2.Lets become self dependent.    आपो देवो भव
3.Respect nature culture and society. Our culture is Agriculture. 
4. स्वार्थ से परमार्थ
5.Conservation of natural resources
6.Protective Agriculture, 
7Zero tillage Farming. Do not adopt deep ploughing. 
8.Water harvesting
9.Adopt direct shedding  method and also SERI method.
10.Drip irrigation
11.Digital Agriculture 
12.Integrated Farming
13.Organic Farming
14.Composting
15.Crop diversification.
16.Resiliense technology or the technology which can sustain in adverse conditions
16.Lets maintain green Revolution  green
17.Animal husbandary 
18.Modern technology along with traditional technology. 
19.Grow safe food.
20.Agriculture was the only sector which could saved   not only ndian economy but also the global economy. 
21.Making Agriculture profitable,sustainable and safe.
Healthy seed and seedling.
22.Suich over Agriculture to energy sector.
23.Motivating youths to Agriculture. 
24.SAUs must produce Farmers not clerks .
25.Policy changes.
26.

Sunday, December 6, 2020

What is Buddha ?

बुद्ध का अर्थ है अपने बारे में जागा हुआ l one who  is awared about  himself . ज्ञानी व्यक्ति भी अपने बारे में जागा हुआ नहीं हो सकता है self realization is God realization.Our physical body is not our real existence.Our real existence is in form of Soul which is part and partial of God who is also called as Parmatma Supream soul.Buddha means self realization.

Sunday, November 29, 2020

Principles Required today for development

1. स्वयं जागरूक बने और दूसरों को जागरूक करें
2. जागरूकता है तो जीवंतता है
3. सीखो और पैसा पैदा करो लर्निंग एंड earning 
4. स्वार्थ से परमार्थ, स्वार्थ से मैं, मैं से हम, हमसे   व्वे वै से सब ,सब से सर्वोदय  का सिद्धांत मानते हुए आगे बढ़ो
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Grow Safe Food Programme

With a view to reduce the  use of the chemical pesticides in Agriculture Government of India has been implementing  the National Integrated Pest Management (IPM) programme  in India since 1991-92 to avoid /Prevent the presence of residue of the chemical pesticides in Agricultural food commodities, however  a special programme 'Grow Safe Food'Campaign was launched during 2014 which is  still beiing implemented 
.....




Tuesday, November 24, 2020

IPM and plant protection आईपीएम और वनस्पति संरक्षण

 समाज को स्वस्थ रखते हुए ,पर्यावरण को स्वच्छ रखते हुए , प्रकृति के संसाधनों को संरक्षित करते हुए  , कृषि एवं जीवन को स्थायित्व प्रदान करते हुए , फसल उत्पादन लागत को कम करते हुए जीवन ,समाज  एवं प्रकृति में सामंजस्य स्थापित करते हुए, सामाजिक विकास एवं सार्वभौमिक भाईचारे तथा विश्वकल्याण की कामना करते हुए ,,क्षतिग्रस्त  पारिस्थितिक तंत्रों का पुनर स्थापन स्थापन करते हुए, कम से कम लागत में अधिक से अधिक कृषि उत्पादन , समाज एवं प्रकृति को कम से कम हानि पहुंचाते हुए तथा समाज के लिए सुरक्षित भोजन के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करते हुए, कृषकों के जीवन स्तर को तथा उनके आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देते हुए अथवा सुधारते हुए, कृषकों की आर्थिक संपन्नता को सुनिश्चित करते हुए ,राष्ट्रीय  एवं अंतर्राष्ट्रीय कृषि व्यापार को  धारा प्रवाहित रूप में संचालन करते हुए  ,,वनस्पति संरक्ष संरक्षण करना ही  आई पीएम का प्रमुख  का प्रमुख उद्देश्य है l इन उद्देश्यों को पूरा करते हुए जो वनस्पति संरक्षण किया जाता है उसे  आईपीएम कहते हैं l अगर इन उद्देश्यों की पूर्ति की इच्छा को ना रखते हुए जो वनस्पति संरक्षण किया जाता है उसे सिर्फ वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन ही कहते हैं l laउत्पाद, उत्पादक एवं उपभोक्ता को स्वस्थ एवं पर्यावरण को उत्तम  रखते हुए  तथा तथा प्रकृति का सुचारू रूप से संचालन कराते हुए वनस्पति संरक्षण करना ही आईपीएम कहलाता है l परंतु अक्सर यह देखा गया है की वनस्पति संरक्षण करते समय उपरोक्त उद्देश्यों का ध्यान नहीं रखा जाता है और  आई पीएम को सिर्फ वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन  तक ही सीमित रखा जाता है और इस प्रकार से हम किसानों तथा समाज को वनस्पति संरक्षण की सेवा ही प्रदान करते हैं  ना कि आई पीएम की l
      यद्यपि  आईपीएम भी प्लांट प्रोटक्शन और खेती करने का ही एक तरीका है जिसमें प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण को उपरोक्त विचारधारा के अनुसार क्रियान्वयन किया जाता है l अतः हमें IPM  को क्रियान्वयन करने हेतु वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन को उपरोक्त विचारधारा के अनुसार बदलना पड़ेगा और उसके अनुसार ही आईपीएम हेतु एक नवीन कार्यक्षेत्र बढ़ाना पड़ेगा तथा उस कार्य क्षेत्र  मैं समाहित किए जाने वाले गतिविधियों को प्रायोगिक रूप से क्रियान्वयन करने हेतु आवश्यक  इनपुट की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए  jio प्राथमिकता के तौर पर आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे l
     अक्सर यह भी देखा गया है कि जब हम  आईपीएम के क्रियान्वयन की बात करते हैं तो हम कृषक ,कृषक मजदूरों  समाज एवं पर्यावरण तथा प्रकृति की जरूरतों एवं समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं और सिर्फ वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन से संबंधित गतिविधियों को ही क्रियान्वयन करते हैं जबकि किसान तथा प्रकृति और समाज की समस्याएं कुछ और ही होती हैं l जब तक इन समस्याओं का समाधान खेती करने के दौरान नहीं किया जाएगा तब तक आईपीएम का पूर्ण रूप  से क्रियान्वयन नहीं हो सकेगा तथा प्लांट प्रोटक्शन को आईपीएम में परिवर्तित नहीं किया जा सकता l
     IPM  के क्रियान्वयन हेतु वनस्पति संरक्षण के उपायों के साथ साथ समाज, प्रकृति , पर्यावरण  ,पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु, ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्याओं तथा खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन की  सुनिश्चितl जैसी समस्याओं का हल भी डिलीवर होना चाहिए l  अक्सर यह देखा गया है आईपीएम के  क्रियान्वयन करते समय वनस्पति संरक्षण से जुड़ी हुई समस्याओं के समाधान की तो डिलीवरी होती है परंतु उपरोक्त मुद्दों से जुड़ी हुई समस्याओं के हल की डिलीवरी नहीं होती है जो कि आई पीएम का मुख्य उद्देश्य होता हैl जिससे आई पीएम की अधूरी सेवाएं समाज व पर्यावरण को मिल पाते हैं जिससे आईपीएम से से होने वाला  लाभ भी आधा ही प्राप्त होता है l

Friday, November 13, 2020

Lord Buddha's IPM Principles


1.Nonviolance   अहिंसा
2.Sympathy  सहानुभूति
3.Tolerence सहनशीलता
4.Sensitiveness संवेदनशीलता
5.Harmony सामंजस्य
6.kindness दयालुता
7. Humanity इंसानियत या मानवता
8.Universal brotherhood  सार्वभौमिक भाईचारा
9.Global welfare विश्व का कल्याण
10.Friendly for everyone and happiness for everyone सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय
11. Live and let live जियो और जीने दो
12.Nature is God    प्रकृति ही ईश्वर है
13.Science is truth विज्ञान ही सत्य है
14.Humanity is religion  मानवता ही धर्म है
15.Work is worship . कर्म ही पूजा है
16.Welfare of all. सर्व मंगलम
17.Safety to everyone  सब की सुरक्षा

Thursday, November 12, 2020

Programmes required to implement IPM

1.Social awareness 
2.Empowerment
3.Education
4.Training
5.Involvement/ Participation
6.Motivation
7.Demonstration 
8.Ensuring availability of IPM inputs 
9.Social movement to reduce the use of chemicals in Agriculture. 
10.Conservation of natural resources 


Friday, November 6, 2020

आज के सामाजिक ,आर्थिक ,प्राकृतिक ,जलवायु एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष मेंआईपीएम की विचारधारा

आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक, जलवायु एवं पर्यावरण  के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन ,फसल सुरक्षा अथवा आईपीएम तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी ,मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ावा देने वाली, नवयुवकों का खेती की तरफ रुझान पैदा करने वाली, समाज ,प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली ,कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली व जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ पर्यावरण , प्रकृति ,समाज ,पारिस्थितिक तंत्र के विकास को भी करने वाली व सुनिश्चित करने वाली होनी तथा खाद्य सुरक्षा के साथ  सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए l इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा ,खेती में उत्पादन लागत को कम करने वाली ,समाज, पर्यावरण ,प्रकृति ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,आदि पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाव को निष्क्रिय करने वाली अथवा सहन करने  वाली ,Biofortified and drought resistant प्रजातियों को बढ़ावा देने वाली ,कृषि का विभिन्न लाभकारी क्षेत्रो मैं विविधीकरण एवं फसल चक्र में परिवर्तन करने वाली ,जैविक खेती, IPM पद्धति पर आधारित खेती को बढ़ावा देने वाली ,फसलों की उत्पादन लागत को कम करने वाली ,आयात करने वाली फसलों जैसे दलहनी ,तिलहनी फसलों ,फलों व सब्जियों वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने वाली, जीवन व  जीविका ,प्रकृति, समाज व पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाली ,पारिस्थितिक तंत्र ओं ,को क्रियाशील रखने वाली ,खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ रख सुरक्षित भोजन को सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए l खेती को लाभकारी बनाने के लिए तथा कृषकों की आय को बढ़ाने के लिए एकीकृत खेती जिसमें मुख्य खेती के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है का समावेश होना आज के परिवेश में अति आवश्यक है l उपरोक्त विचारधाराओं के अलावा खेती में आधुनिकता तथा नवीन तकनीकों जैसे कंप्यूटर पर आधारित टेक्नोलॉजी पर आधारित होनी चाहिए l इसके अलावा स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते हुए कृषि में रसायनों के उपयोग को कम करना घटाना या ना करना की सोच को रखते हुए खेती करना परम आवश्यक है  एवं प्रकृति के सिद्धांतों के आधार पर जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना अति आवश्यक है l
   जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि पैटर्न में बदलाव  लाना अति आवश्यक है l इसके लिए बेहतर विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता है l आहरण के तौर पर हरियाणा पंजाब तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्र में जहां बरसात LLP औसत से कम होती है लेकिन यहां पर अत्यधिक पानी वाली फसल धान और गन्ने की खेती की जाती है इसी तरह कर्नाटक तमिल नाडु महाराष्ट्र  से विदर्भ क्षेत्र में पानी की भारी कमी के बावजूद गन्ने की खेती की जाती  है  l क्योंकि यह आदित्य फायदे वाली फसलें हैं l हालांकि जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि पैटर्न में बदलाव के लिए किसानों को राजी करना आसान नहीं है इसकी वजह है कि किसान वही boyega  जिसमें  उसे फायदा होगा l cropping pattern बदलाव करवाने के लिए सरकार को नीतिगत फैसले लेने होंगे l
         मांग पर आधारित खेती करने के लिए  सबसे पहले मांगों का वर्गीकरण करना आवश्यक है तथा प्राथमिकता के अनुसार मांगों को छांटना भी आवश्यक है l मांगों का वर्गीकरण करते समय मोटे तौर पर producer  अर्थात उत्पादक तथा यूजर अर्थात उपभोक्ता दोनों की मांगों के साथ-साथ प्रकृति ,पर्यावरण तथा समाज की मांगों को भी शामिल करना चाहिए l
         ऑर्गेनिक और हेल्थ फोर्टीफाइड उत्पादों की मांग  वैश्विक स्तर पर एवं देश में भी बढ़ रही है इसके लिए हमें इस मांग को पूरा करने के लिए इस प्रकार के कृषि उत्पादों का उत्पादन करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए इसके लिए वांछित इंफ्रास्ट्रक्चर एवं टेक्नोलॉजी तथा फूड प्रोसेसिंग की तकनीकी ओं  का  उचित विकास करना आवश्यक है l इसके लिए सरकारी नीतियों में परिवर्तन करना तथा कृषकों को प्रशिक्षितl करना एक महत्वपूर्ण कदम होना चाहिए l इसके लिए साइलोस  , पैक हाउस ,साल्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट ,कोल्ड स्टोरेज, ट्रेन लॉजिस्टिक सुविधाएं ,प्रोसेसिंग सेंटर , राय पैनिंग चेंबर और ऑर्गेनिक इनपुट उत्पादन यूनिट को स्थापित करना प्राथमिकता होनी चाहिए l उत्पादन के साथ-साथ खरीदारों का  भी स्कोप देखना आवश्यक होता है l इसके साथ-साथ छोटे और बड़े किसानों की समस्याओं का अध्ययन करना भी अति आवश्यक होता है  l
       आज के परिदृश्य के परिपेक्ष में हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा समाज ,हमारा पर्यावरण एवं जलवायु तथा प्रकृति किस ओर जा रही है और उसे किस ओर जाना चाहिए , इसकी जानकारी के अनुसार ही हमें अपने बुद्धि एवं विवेक के अनुसार वंचित  ऐसी विधियों का प्रयोग करके जिनका हमारे शरीर  स्वास्थ्य, पर्यावरण ,प्रकृति एवं समाज पर विपरीत प्रभाव ना पड़ता हो और जो विपरीत परिस्थितियों में भी कारगर सिद्ध हो खेती करनी चाहिए या आईपीएम करना चाहिए l 
      वनस्पति संरक्षण की विधियों को अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार प्रयोग करके प्रकृति समाज और पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए वनस्पति संरक्षण करना ही आईपीएम कहलाता है l
    किसी भी विचारधारा चाहे वह आई पीएम की विचारधारा हो या कोई अन्य विचारधारा हो से वांछित लाभ प्राप्त करने के  लिए उस 9 को सही तरीके से क्रियान्वयन करना परम आवश्यक है जिसके लिए प्रबल इच्छा शक्ति, सही विजन ,काम करने का जज्बा , समय रहते सही कदम उठाना  ,किसी भी कीमत पर सफलता हासिल करना, समाज एवं जनता को  जागरूक  एवं प्रेरित करके तथा एवं कानून को बलपूर्वक सही तरीके से प्रयोग  करना उचित रणनीति  बनाना परम आवश्यक है  जिसको सामाजिक जागरूकता ,शिक्षा ,प्रशिक्षण, स्वयं की भागीदारी, प्रदर्शन ,सशक्तिकरण एवं वंचित इनपुट्स की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए सामाजिक आंदोलन चलाकर प्राप्त किया जा सकता है l
         फसल उत्पादन , फसल  रक्षा एवं  फसल प्रबंधन में प्रभुत्व के रूप में  प्रमुखता से  तथा अंधाधुंध तरीके से प्रयोग किए जाने वाले  जाने वाले रसायनों जैसे कि रसायनिक उर्वरक एवं रसायनिक कीटनाशकों का अपना विशेष महत्व होता है जो सामुदायिक स्वास्थ्य पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता प्रकृति एवं समाज को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं और उनको नुकसान पहुंचाते हैं अतः इन रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों को फसल उत्पादन  व संरक्षण एवं फसल प्रबंधन  मैं कम करना हमारी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए l इसके लिए एनजीओ, यूथ एवं महिला संगठनों ,सामाजिक, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण एक्टिविस्ट्स ,अध्यापकों एवं स्कूल के बच्चों को आई पीएम को क्रियान्वयन करने हेतु एवं रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के दुष्परिणामों की जानकारी समाज में प्रचार एवं प्रसार करने हेतु तथा पहुंचाने करने हेतु एंबेसडर के रूप में कार्यरत होना चाहिए जिससे पर्यावरण, प्रकृति व उसके संसाधनों का संरक्षण हो सके और समाज तथा प्रकृति और   पारिस्थितिक तंत्र के बीच संतुलन कायम रह सके और विकास विनाशकारी ना बन सके l
       आजकल के परिपेक्ष एवं परिदृश्य
 में आईपीएम हेतु एक   नवीन  या  नई वैज्ञानिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक सोच की आवश्यकता है जो प्रकृति  तथा,समाज सुरक्षा तथा सुरक्षित भोजन  उगाना का समर्थन करती हो  l
                                     राम आसरे

Wednesday, November 4, 2020

Lord Buddha's IPM Teachings


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1.Nonviolance   अहिंसा
2.Sympathy  सहानुभूति
3.Tolerence सहनशीलता
4.Sensitiveness संवेदनशीलता
5.Harmony सामंजस्य
6.kindness दयालुता
7. Humanity इंसानियत या मानवता
8.Universal brotherhood  सार्वभौमिक भाईचारा
9.Global welfare विश्व का कल्याण
10.Friendly for everyone and happiness for everyone सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय






Tuesday, November 3, 2020

Success Story of Biological Control of Sugarcane Pyrilla in India .भारत में गन्ने के Pyrilla के जैविक नियंत्रण की सफलता की कहानी मेरी (राम आसरे )की जुबानी

  गन्ने का Pyrilla  गन्ने के प्रमुख   Sucking pests   अर्थात   chusakहानिकारक जीवो में से एक प्रमुख हानिकारक  जीव  है जो वर्ष1970's व  वर्ष1980's के 10 को के दौरान देश के लगभग सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में  एक endemic pest  के रूप में  बना हुआ था जिस के नियंत्रण हेतु भारत सरकार ,राज्य सरकार एवं गन्ना चीनी मिल मालिकों के द्वारा कीटनाशकों का हवाई छिड़काव  किया जाता था और उस पर खर्च के तौर पर करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाते थे l इसके जैविक नियंत्रण हेतु देश के कुछ प्रदेशों में गन्ने के खेतों में पाए जाने वाले गन्ने के Pyrilla के प्रमुख  प्राकृतिक  शत्रु जीवो में  पाए जाने वाला एक परजीवी  कीट जिसको पहले Epipyrops melanoleuca कहां जाता था  और अब Epiricania melanoleuca कहां जाने लगा है एक प्रमुख ectoparasite कीट है जो गन्ने के Pyrilla  के nymphs एवं   adults  को उनका रस चूस कर उनका नियंत्रण करने में  बहुत बड़ा एवं सबसे ज्यादा योगदान करता है l Epiricania  melanoleuca  का adult  एक प्रकार की काली  रंग की एक तितली होती है जो गन्ने की पत्ती  जहां पर Pyrilla कीट का भी प्रकोप या संख्या पाई जाती है  गन्ने की पत्तियों की मध्य सिरा के पास समूह में अपने अंडे देती है   l इस परजीवी कीट की  एक मादा तितली लगभग 600 से 1600  विभिन्न समूहों में देती है lउचित तापमान पर इनमें से 5 से 7 दिनों बाद परजीवी कीट के larvae  निकलते हैं जो गन्ने के Pyrilla  कीट के  nymphs  एवंंadults  पर बैठकरउनका रस चूस कर उनका नियंत्रण करते हैंं l     परजीवी कीट का लारवा प्रारंभिक अवस्था में  गुलाबी रंग का होता है  जो बाद में  भूरे रंग का हो जाता है तथा इसके बाद में  सफेद रंग के  कोकून  मैं परिवर्तित हो जाता है l इस परजीवी की लारवाल स्टेज करीब 11 से 15 दिन की होती है इसके बाद    यह larvae गन्ने की पत्तियों पर ही सफेद रंग के cocoons  में परिवर्तित हो जाते हैं  जिनकी उपस्थिति पत्तियों पर  होती है l गन्ने के Pyrilla  के जैविक नियंत्रण के लिए  इन्हीं cocoons  एवं अंडों के समूह सहित पत्तियों को कैची से टुकड़ों में काट लिया जाता है जिन पर यह एंड समूह एवंं cocoons  लगे होते हैं को गन्ने के उस क्षेत्र अथवा खेतों में ले जातेे हैं जहां इस परजीवी कीट की उपस्थिति नहीं होती है  और  वहां पर गन्ने के खेत में  जहां पर Pyrilla  का प्रकोप होता है उस खेत की गन्नों की पत्तियों में  इन cocoons  एवं eggmasses  को stapler  के द्वारा  लगा दिया जाता है जिनमें से कुछ दिनों में इस परजीवी कीट केlarvae निकलते हैं और उस खेत में  गन्ने की पत्तियों में  पाए जाने वाले  गन्ने के pyrilla  के adults   एवं nymphs  को 
Parasitized  करके  उनके नियंत्रण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैंl  इस इस परजीवी की कीट की pupal  स्टेज करीब 4 से 7 दिनों की एवं इसके प्रौढ़ एडल्ट स्टेज लगभग 5 से 7 दिनों की ही होती है l  इस प्रकार से इस परजीवी  कीट का जीवन चक्र 25 से 36 दिनों तक का होता है l जबकि गन्ने के पायला Pyrilla का जीवन चक्र लगभग 45 से 60 दिनों का होता है अर्थात जब तक pyrilla का एक जीवन चक्र पूरा होता है तब तक इस परजीवी के दो जीवन चक्र पूरे हो जाते हैं और इस वजह से यह परजीवी Pyrilla कीट के नियंत्रण में अपनी सक्रिय भूमिका अदा करता है l इस परजीवी किटको किसी क्षेत्र में रिलीज करने के लिए या छोड़ने के लिए कोकून के साथ-साथ अंडों को छोड़ने की प्राथमिकता दी जाती है l 2000 से 3000  cocoons तथा  400000 से 500000 अंडे जिसमें प्रतीक अन्य कई समूह में  लगभग औसतन 400 अंडे होते हैं  प्रति हेक्टर  रिलीज करने  से  Pyrilla के वांछित परिणाम  15 दिनों के  अंदर मिलते हैं  अगर खेतों में पर्याप्त आद्रता  हो l
 भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय फरीदाबाद के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण  केंद्रों के द्वारा गन्ने के  Pyrilla  के इस परजीवी  कीट को भारत के लगभग सभी गन्ना  उत्पादक क्षेत्रों में जहां इस कीट की उपस्थिति नहीं पाई गई थी वहां इस कीट को गन्ने के खेतों में कॉलोनाइज करके  तथा स्थापित करके उन क्षेत्रों में गन्ने  केPyrilla  कीट के प्रकोप को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया तथा इन क्षेत्रों में  गन्ने के फसल के ऊपर  गन्ने केPyrilla के  नियंत्रण हेतु  किया जाने वाला हवाई छिड़काव बंद कराया गया , जिससे इस हवाई छिड़काव  पर भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं चीन चीनी मिल मालिकों के द्वारा किया जाने वाला करोड़ों रुपयों का खर्चा  बचाया गया l
   मैंने इस निदेशालय के केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र फरीदाबाद मैं अपना कार्यभार 2 फरवरी 1978 को संभाला था इसके बाद मैंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर के उपरोक्त  परजीवी कीट Epiricania melanoleuca के अंडसमूह वा Cocoons को हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश  के क्षेत्रों से  एकत्रित करके राजस्थान के  बूंदी जिले  के  केशोरायपाटन शुगर मिल  के अंतर्गत  आने वाले  विभिन्न क्षेत्रों में  स्थापित  किया  जिससे  वहां पर  गन्ने के Pyrilla का प्रभावी नियंत्रण  इस कीट के द्वारा  होने लगा  और  तब से इस कीट के द्वारा  किया जाने वाला खर्चा बचने लगा l यह कार्य वर्ष 1978-1979  के दौरान किया  गया था l
          इसी प्रकार का कार्य केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र गोरखपुर द्वारा वर्ष 1979 से दक्षिण गुजरात के सूरत वा वलसाड जिलों की विभिन्न चीनी मिलों के अंतर्गत प्रारंभ किया गया l वर्ष 1982 मैं मेरा चयन Entomologist (Biological Control) के पद पर हुआ था और और मैंने केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र सूरत  गुजरात  मैं 13 अगस्त 1982  को Entomologist ( बायो कंट्रोल ) के पद पर अपना कार्यभार संभाला था और वहां पर मैंने अपने सहयोगियों के साथ सबसे पहले गन्ने के Pyrilla  के नियंत्रण हेतु इस परजीवी कीट का दक्षिण गुजरात के सूरत एवं वलसाड जिला ओ Distts के विभिन्न चीनी मिलों के विभिन्न इलाकों में इसका कॉलोनाइजेशन एवं स्थापन करने का कार्य शुरू किया और इस कीट को विभिन्न इलाकों में पाई जाने वाली गन्ने के खेतों में अथवा फसल में स्थापित किया तथा इस परजीवी कीट की गतिविधि एवं परफारमेंस के ऊपर एक निगरानी कार्यक्रम चलाया और इस की परफॉर्मेंस को देखते हुए मैंने साउथ गुजरात के विभिन्न शुगर मिलो के अधिकारियों को सलाह दी कि वे इस क्षेत्र में गन्ने के ऊपर किए जाने वाले हवाई छिड़काव को बंद कर दें क्योंकि गन्ने की केप्रकोप व समस्या को यह किट प्रतिवर्ष नियंत्रण करने में सक्षम हो चुका था l इसके लिए हमें गुजरात राज्य के नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी स्तर के सभी संबंधित अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ संवाद एवं संपर्क स्थापित करना पड़ा था तथा वहां के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखना पड़ा था जिसके फलस्वरूप दक्षिण गुजरात में होने वाले गन्ने की फसल पर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद किया गया l इसके फलस्वरूप गुजरात  सरकार की एक एविएशन एडवाइजर की पोस्ट को भी खत्म करना पड़ा इससे राज्य सरकार का बहुत सारा खर्चा बचा बचाया जा सका और राज्य सरकार के खजाने से करोड़ों रुपयों की बचत हुई l
       दक्षिण गुजरात में इस परजीवी कीट की उपयोगिता को देखते हुए इस  परजीवी कीट का स्थापन गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कोडीनार शुगर फैक्ट्री के विभिन्न इलाकों में मेरे देखरेख एवं भागीदारी  के रूप में भी किया गया और इस क्षेत्र में भी गन्ने के ऊपर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद कराया गया l तथा भारत सरकार ,राज्य सरकार एवं गन्ना मालिकों के द्वारा गन्ने की फसल के ऊपर गन्ने के Pyrilla कीट के हेतु नियंत्रण हेतु  होने वाले करोड़ों रुपयों   को बचाया गया l इस प्रकार  का   कार्य वनस्पति संरक्षण ,संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के अन्य भागों में भी किया गया l वर्ष 1985 के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने के Pyrilla की महामारी को इसी विधि के द्वारा नियंत्रित किया गया और सरकार का इस कीट के नियंत्रण हेतु किया जाने वाला खर्चा बचाया गया l
    गन्ने के Pyrilla  कीट का जैविक नियंत्रण का यह उदाहरण वनस्पति  संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के लगभग सभी गन्ना  उत्पादक राज्यों व क्षेत्रों में किए गए विभिन्न उपलब्धियों मैं से एक प्रमुख उपलब्धि है  जिसके द्वारा गन्ने की प्रमुख हानिकारक कीट Pyrilla की समस्या  का प्रभावी निदान किया गया  और अभी भी किया जा रहा है तथा इसके लिए हवाई छिड़काव बंद होने से इसके ऊपर किया जाने वाले करोड़ों रुपयों की बचत सरकार के खाते मैं हो रही है l

    

Thursday, October 29, 2020

Integrated Pest Management (IPM)एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन

जब वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन को कृषकों, कृषि श्रमिकों, तथा समाज के अन्य घटकों के द्वारा  face  सामना (encounter)की जाने वाली वाली आर्थिक ,सामाजिक ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,भौगोलिक, भूमंडलीय ,जलवायु आधारित, राजनीतिक ,स्वास्थ्य  संबंधी एवं प्राकृतिक समस्याओं को ध्यान में रखकर और उनको दूर करते हुए क्रियान्वयन किया जाता है तब हम इसे एकीकृत नाशि  जीव प्रबंधन या इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अथवा आईपीएम कहते हैं l

Wednesday, October 21, 2020

IPM Teachings of Lord Buddha's

1.Nonviolance अहिंसा
2.Sympathy  सहानुभूति
3.Tolerence  सहनशीलता
4.Sensitiveness संवेदनशीलता
5.Harrmony सामंजस्य
6.Kindness दयालुता
7.Humanity मानवता
8.Global welfare विश्व का कल्याण
9.Friendly for everyone and happiness for everyone . सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय
10 Live and Let live खुद जियो और दूसरों को भी जीने दो
11..Safety to everyone  सब की सुरक्षा
12.welfare of all . सर्व मंगलम

Friday, October 16, 2020

IPM Goddess Durga ii

1.Discourases the poisonous farming. जहरीली खेती को हतोत्साहित  करती है
2.Maintains Pest population below ETL  in Agoecosystrms फसल पारिस्थितिक तंत्र में हानिकारक  जीवो की संख्या  को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित  रखती है
3.Encourages and conserves the population of beneficial organisms in the Agroecosystem.  फसल पारिस्थितिक तंत्र में  लाभदायक जीवो की संख्या का संरक्षण करती है और  उन को प्रोत्साहित करती है
4.Reduces dominancy of chemicals in Agriculture.  कृषि में रसायनों के प्रयोग की प्रमुखता को कम करती है
5.keeps Environment neat,clean and green. पर्यावरण को साफ सुथरा एवं हरा-भरा  बनाती है
6.Cares nature and society . प्रकृति और समाज की परवाह करती है
7.keeps Green Revolution Green (safe). हरित क्रांति को सुरक्षित रखने में  सहायता करती
8.Empowers farmers to grow safe food to eat and quality Agricultural commodities to trade.  कृषकों को खाने के लिए सुरक्षित भोजन तथा बेचने के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु सशक्त करती है

Integrated Pest Management (IPM)

1.IPM is a concept not method.
2.Skill Development programme 
3.A way of farming
4.A vision for the betterment of future
5.Philosophy of pest Management associated with all aspects of life.
6.Change of prochemical  mindsets of IPM stakeholders. 
7.Social Movement to reduce the use of chemicals in Agriculture. 
8.An intention to grow safe crop and quality Agricultural commodities. 
9.To make  crop production, protection and management system safe is called IPM.

Wednesday, October 14, 2020

IPM Goddess Durga

1.Preserves Ecosystems  पारिस्थितिक  तंत्रों का संरक्षण करने वाली
2.Promote Community development 
सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने वाली
3.Provides Sustainable Agriculture कृषि को स्थायित्व प्रदान करने वाली
4.Protects human and animal health. मनुष्य एवं पशुओं के स्वास्थ्य को बचाने  वाली
5.Prevents Environmental pollution.  पर्यावरण प्रदूषण को रोकने वाली
6.percieves global welfare  संपूर्ण विश्व के लिए  कल्याणकारी
7.Propagates universal brotherhood  सार्वभौमिक भाईचारा बढ़ाने वाली
8.Pursues international co -
operation.  अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने वाली
9 .Ensures food security and food safety simultaneously. खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन को साथ-साथ  सुनिश्चित करने वाली
10.Restores the damaged Agroecosystem  क्षतिग्रस्त फसल पारिस्थितिक तंत्र ओं    का  पुनर स्थापन  करने वाली
11.Ensures farming without harming to the nature and society. प्रकृति व समाज को हानि ना पहुंचाते हुए खेती करने की पद्धति प्रदान करने  वाली
12.Ensures smooth national and international Agricultural trades. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कृषि व्यापार  का धारा प्रवाहित  संचालन सुनिश्चित करने वाली 
13.Ensures community health and farmers prosperity  सामुदायिक स्वास्थ्य एवं कृषकों मैं संपन्नता सुनिश्चित करने वाली
14.Mantains natural balance. प्राकृतिक संतुलन को कायम रखने वाली
15.Sustains  life on earth . पृथ्वी पर जीवन को स्थायित्व प्रदान करने  वाली
 16.Ensures better future with better Environment . उत्तम पर्यावरण के साथ उत्तम भविष्य सुनिश्चित करने  वाली




                        Theme by    RAM ASRE

what is IPM

1.It is a concept not method 
2.Skill Development  programme .
3.Its a way of farming.
4.Programme of awareness  creation,education and training, demonstrations and motivation and empowerment of all IPM stakeholders and society.
5.Social movement to reduce the use of chemical pesticides and fertilizers in Agriculture to grow safe food. 
6.Its an intention to grow safe food .
7.Change of mindsets of all stakeholders of IPM including farmers. 
8.It is a philosophy that is related with all aspects of life.
9.It is an intention to grow safe food keeping safe environment.
10.It is a way making total crop production, protection and management system safe.
11.keeping crop produce ,,producers,and consumers  healthy and safe ,maintaining better Environment and to ensure smooth operation of ecosystems of the nature, to keep society healthy,  safe and prosperous while implementing the IPM.
12.Restoration of damaged ecosystems damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides and fertilizers. 
13.In todays Social ,Economical,Environmental, Ecological,and natural including climatic context and scenarios, the concept of crop production, protection and IPM  must be environment,nature ,society friendly ,profitable,demond based,business and trade oriented,to maintain harmony with the nature and society, to make lifestyle, easy and also to able  to promote social ,natural,environmental, ecological development along with GDP based Development and also able to improve the livelyhood of each and every segment of the society .

Tuesday, October 6, 2020

आई पीएम का कृषि विकास एवं कृषक संपन्नता मैं योगदान के बारे में कुछ विचार

दोस्तों किसी भी देश के विकास  विकास में वैज्ञानिकों इंजीनियरों राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कृष को व कृषि श्रमिकों का विशेष योगदान होता है  कृष को या  कृषि श्रमिकों के योगदान के बगैर किसी भी देश का विकास संभव नहीं है कृषक हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें अन्य भोजन प्रदान करते हैं इसी प्रकार से कृषि श्रमिकों एवं अन्य श्रमिकों का देश के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण एवं विकास हेतु महत्वपूर्ण योगदान होता है जिस के बगैर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास संभव नहीं है परंतु हमारे ही देश में नहीं बल्कि विश्व के अधिकतर देशों में कृष को एवं कृषि श्रम को तथा अन्य श्रमिकों को उपेक्षित किया जाता रहा है उनके द्वारा पैदा की गई कृषि उत्पादकों का उचित मूल्य को निर्धारण करने  का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है जबकि किसी उद्योगपति को उनके द्वारा निर्माण की गई की जाने वाली सभी औद्योगिक चीजों के मूल्य निर्धारण का अधिकार तूने ही दिया गया है यह चीज हमारे हिसाब से ठीक नहीं है l  कृषि के क्षेत्र में समय-समय पर वैज्ञानिकों के द्वारा अनेक मॉड्यूल विकसित किए गए जिनका उपयोग करके कृष कौन है कृषि उत्पादन विशेष तौर से अनाज के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि प्राप्त कर ली है l
  स्वस्थ एवं संपूर्ण समाज के निर्माण हेतु     प्रकृति व समाज के बीच में तालमेल रखते हुए तथा इन को वा इन के संसाधनों को सुरक्षित रखते हुए खाने के लिए सुरक्षित भोजन तथा बेचने के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने हेतु आई पीएम  अपनाएं  l

Monday, October 5, 2020

lntegrated Pest Managent (IPM) in today's context any Scenario

In today's social, economical, Environmental, Ecological,  and natural scenario and context the concept of crop production, protection and IPM must be Environmental,nature,and society friendly, profitable ,demand,trade ,business and income oriented to maintain harmony with nature and society,to make everybodys life style easy and also able to promote social,natural  Environmental,and ecological development along with GDP based Development and also able to improve the development and livelyhood of each and every segment of the society. In IPM Ecological,Environmental ,Social and natural development must go on simultaneously with GDP based  Development. 
        In today's scenarios and context we must adopt only those crop production, protection, management and IPM practices and methods in compatible manner which are better suited to above concept and requirements. In IPM we can adopt all available, affordable,feasible and acceptable methods of pest management in a manner in which they are better suitted to fulfill the above requirements.In IPM we can apply all available methods of pest management in a manner or in a way they may not be harmful to nature and society.
 Change of prochemical pesticidal mindsets in to no or less 


chemical  pesticidal mindsets ,reduction of chemical pesticides and promotion of bio ecological approaches of pest management by way of promoting the use of organic inputs like animal wastes based ,vermicompost,green manuring and plant based etc,profitable crop rotation though crop Diversification, promotion of zero Budget farming and Integrated farming, restoration of damaged  agroecosystems,in clusion of traditional methods along with modern technology will be useful  to promote IPM and the livelyhood  of all sections of society.AgroecosystemAnalysis and pest Risk Analysis will be the useful techniques for decision making and assessing the pest status of a harmful organism. 
  IPM INPUTS  like biopesticides, different types of traps and biocontrol agents of crop pests and weeds will help to facilitate the IPM technology.

Saturday, October 3, 2020

Integrated Pest Management (IPM)-Concept and Philosophy in my Openion


1.IPM is a concept ,not method. Friends,   we are doing lot of activities or different types of activities to fulfill our  needs to sustain life on earth.These activities with their way of application or methods if   giving the possitive results or desired results while practicing, if are accepted by the society for practical use or  for future application become as concept .Relating,defining and describing IPM in terms of various aspects of life like social, ,natural  , trade, spritual,economical, ecological Environmental,and national ,international percepectives  and other aspects of life is called as IPM  Philosophy.I have described the IPM 
 in various aspects of life ,nature,and society which is called as an IPM Philisophy.
2.IPM is a skill Development  programme to make all the IPM stakehoders competent to grow healthy,safe,cheap,bumper crop with minimum expenditure, minimum use of the chemical pesticides and with  least disturbance to community health, Environment, ecosystem, biodiversity,nature and society which is the basic concept of IPM .
3.IPM is a way of farming without harming to the nature and society.
4.IPM is a philosophy which is related with all aspects of life. 
5.IPM philosophy is based on the principles of nonviolence, harmony,sympathy,tolerance safety,security,sensitivity and development of all.

6 .IPM is Committed to  ensure GDP based Development along with Environmental  ,Ecological ,natural ,and social development. 
7.IPM is a vision for the betterment of future.
8.IPM deals with crop production, protection and management techniques with safety to community health, Environment,ecosystem biodiversity, nature and society. 
9.To get desired results from any concept or philosophy it is necessary to practice them in proper way or proper method.
10.For  Practicing any concept or philosophy in a proper way  a  close cooperation, coordination and commitment,of their all stakeholders along with a strong leadership,with a proper vision is absolutely essential.
11.In view of todays social,natural,Environmental,ecological,and economical scenarios and context the crop production,protection ,management and IPM system must be safe,sustainable, profitable, demond based and business and income oriented and harmonious with the nature and society. 
12 .Let's define IPM with ourselves based on our professional, social, Environmental,natural, ecological , economical ,educational and scientific and research and political experiences.
13.I PM is a way of farming or plant protection as per the requirements and natural  process already going on in the nature.
14.IPM is a way of   reducing the dominancy of use ofchemicals in crop production and protection system to grow safe crops.
15. IPM is expert application or use of all available ,affordable ,feasible,and acceptable methods of pest management.
16.IPM is an intention to grow safe food to eat and quality Agricultural commodities to trade keeping Environment, nature and society safe.
17.IPM is the change of propesticidal mindset of all IPM stakeholders to nonchemical pesticidal mindsets.
18.Restoration of damaged ecosystem. 
19. It is a way of farming without harming to the nature and society. 
20.To reduce the dominancy of the chemical pesticides and fertilizers in Agriculture. 
21.
IPM is a  AESA based system of Pest management. 
22. In today's social ,economical, environmental ,ecological and natural context and scenario the concept of crop production protection and IPM must be environmental nature, society friendly, profitable ,demand base loopd, business and trade oriented to maintain harmony with nature and Society, to make Lifestyle easy and also to able to promote social, natural, environmental, ecological development along with GDP based economical development and also able to improve the livelihood of each and every segment of the society .
23.IPM deals all aspects of life including social,economical, ecological ,natural,biological, Environmental,safety and security,religious and spritual .Let's adopt only those methods of the pest management which do not have adverse effect on these aspects .
24.IPM is a social movement to reduce use of chemical pesticides and fertilizers in Agriculture to grow safe food to eat ,and quality Agricultural commodities to trade and to save Environment and nature to live comfortably.
25.Creating awareness about I'll effects of chemical pesticides Environment, nature and society...
26.A strong political and beaurecratic support and will power, correct vision, proactive ness,working attitude to get success at any cost and any way savings nature and societyis essentially required to imple ment IPM which can be achieved through creation of awareness motivation and with enforcement of laws.

RAM ASRE AS AN---



   

RAM ASRE AS AN...
#IPM legend 
#IPM Philosopher
#IPM  Trainer
#IPM Policy  Maker 
#As one of the Founder Members of National IPM Programme in India.
#IPM Programme organizer 
#IPM Teacher.
8.As a pest Surveillance Officer and crop pest  Monitor.
9 As an expert in implementation of  programme of biological control of crop pest  and Weeds.
10.As  Plant Protection Adviser to the farmers and state  Agriculture Extension functionaries.
11.As an expert in Locust Control both in cold and hot desert areas of India .
12 As an Ecological Engineer for the conservation of beneficial organisms found in  different Agro ecosystems .
13.Expert  for colonization and esta abolishment of biological Contol agents of different crop pests and Weeds.
14.Producer ,Transporter and multiplier   of biological control agents of crop pests and weeds and their release in crop fields against different crop pests in different agroeco systems and assessment of their effectiveness through recovery trials. Etc.
15.Expert in ,issuence of pest advisories .
 16.Demonstrator of IPM in farmers fields.
17.Awareness creater about I'll effects of chemical pesticides and how to grow safe food through safe and judicious use of the chemical pesticides. 
18.As an analyst of agroecosystem for decision  making for adoption of IPM practices in the crop field popularised AESA based IPM among farming community. 
19 .As a pest observer and pest surveyor .
20.As a plant quarantine expert to regulate Import of Agricultural commodities under Plant Quarantine Order 2003 and also issuance of Phytosanitory Certifcates as per IPPC1956.
21.An IPM Ecologist .

For More Please Visit My Youtube Channel https://www.youtube.com/channel/UC6OO5WmQFrnElosr67Xlolg?view_as=subscriber


Friday, September 25, 2020

कृषि विकास एवं कृषक संपन्नता के बारे में कुछ विचार

दोस्तों किसी भी देश के विकास में वैज्ञानिकों इंजीनियरों, राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कृष को व कृषि श्रमिकों का विशेष योगदान होता है  l कृष को या  कृषि श्रमिकों के योगदान के बगैर किसी भी देश का विकास संभव नहीं है l कृषक हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें भोजन   प्र दान करते हैं l इसी प्रकार से कृषि श्रमिकों एवं अन्य श्रमिकों का देश के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण एवं विकास हेतु महत्वपूर्ण योगदान होता है जिस के बगैर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास संभव नहीं है l परंतु हमारे ही देश में नहीं बल्कि विश्व के अधिकतर देशों में कृष को एवं कृषि श्रम को तथा अन्य श्रमिकों को उपेक्षित किया जाता रहा है l उनके द्वारा पैदा की गई कृषि उत्पादकों का उचित मूल्य को निर्धारण करने  का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है l जबकि किसी उद्योगपति को उनके द्वारा निर्माण की गई की जाने वाली सभी औद्योगिक चीजों के मूल्य निर्धारण का अधिकार  उन्हें ही दिया गया है l यह चीज हमारे हिसाब से ठीक नहीं है l  कृषि के क्षेत्र में समय-समय पर वैज्ञानिकों के द्वारा अनेक मॉड्यूल विकसित किए गए जिनका उपयोग करके कृष को  ने कृषि उत्पादन विशेष तौर से अनाज के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि प्राप्त कर ली है परंतु इसके बावजूद भी उनकी संपन्नता का विकास नहीं हुआ है क्योंकि उत्पादन वृद्धि के अनुपात में उनकी आय वृद्धि नहीं हुई है जबकि सरकारी कर्मचारियों की आय वृद्धि कई गुना हो चुकी है  l जीवन चलाने के  लिए सभी वर्ग के लोगों के लिए एक ही प्रकार की आवश्यकताएं जरूरी होती है तभी सभी वर्गों का विकास एवं संपन्नता हो सकेगी l  कृष को के द्वारा उत्पादन की गई कृषि उत्पादों के मूल्यों वृद्धि  सरकारी कर्मचारियों के  वेतन में हुई वृद्धि  के अनुपात में कुछ भी नहीं हुई है l इसका कारण  कृषक हितेषी नीतियों कl ना बनाना तथा कृषकों एवं कृषि श्रम को की उपेक्षा करना ही है l हरित क्रांति तथा धवल क्रांति जैसी  उपलब्धियों के बावजूद भी कृषकों की आय में वृद्धि एवं उनकी संपन्नता नहीं हो पाई है इसके लिए आवश्यक है की कृषक हितेषी नीतियां बनाई  जाएं एवं नीति बनाते समय उन्हें उपेक्षित ना किया जाए l अधिक उत्पादन जहां एक ओर कृषि निर्यात आदि को बढ़ावा देने में सक्षम हुआ है वहीं दूसरी तरफ के एक समस्या भी बन गया है जिसकी वजह इन उत्पादों के रखरखाव के लिए तथा इनके प्रसंस्करण आदि के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर या आवश्यक मूलभूत ढांचा का ना बनना है कृषि क्षेत्र अब आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर रहा है वर्ष 2019-20 मैं खाद्यान्नों का29.50 करोड़ टर्न रिकॉर्ड उत्पादन हुआ l 18.50 करोड़ तन दुग्ध उत्पादन के साथ हम विश्व के प्रथम स्थान पर है बागवानी फल सब्जियों का उत्पादन भी32 करोड़ टर्न वार्षिक हो रहा है l 2018-19 मैं332 डॉक्टर चीनी उत्पादन कर हम विश्व में प्रथम स्थान पर रहे l सिर्फ  तिलहन ओ एवं दlलों को छोड़कर सभी खाद्य पदार्थों के उत्पादन आवश्यकता से अधिक रहा है l खाद्य भंडारण की सुविधा एवं प्रसंस्करण में आधारभूत ढांचे के अभाव के कारण हर साल 16% फल और सब्जियां 10% खाद्यान्न डालें एवं तिलहन खराब हो जाते हैं l उचित भंडारण क्षमता ना होने के कारण किसान  aune पौने दामों में अपने कृषि उपज को बेचने में मजबूर हो जाते हैंl महंगाई की वृद्धि के अनुपात में कृषि उत्पादन के विक्रय मूल्य कृष को को ना मिलने की वजह से  उनकी आय वृद्धि नहीं हो पाती है  इसी वजह से  इनकी आर्थिक संपन्नता ही नहीं बढ़ पाती है l 
         आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों सुविधाओं वं तरीका को  विकास कहते हैं आवश्यकताएं अनंत होती है जो कभी पूरी नहीं की जा सकती एक आवश्यकता पूरी होती है तो दूसरी उत्पन्न हो जाती है अतः विकास एक लगातार प्रोसेस है l
      ताश का दूसरा अर्थ ही महंगाई होता है विकास का दूसरा अर्थ ही महंगाई होता है जहां जितना विकास होगा उतनी ही महंगाई होगी क्योंकि विकास का अर्थ सुविधा प्रदान करना होता है और सुविधा है बनाने के लिए हमें अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है जिससे महंगाई बढ़ती है परंतु विकास करते समय यह ध्यान रखा जाए कि विकास को विनाशकारी ना होने दिया जाए इसी को अच्छा विकास कहा जा सकता है l
       विकास में महंगाई अवश्य होती है और महंगाई होने पर आए वृद्धि का कोई महत्व नहीं होता है आए चाहे दोगुनी हो जाए या तीन गुनी हो जाए परंतु जब तक महंगाई पर लगाम नहीं लगाई जाती तब तक उस हाय वृद्धि का कोई महत्व नहीं होता है और उससे आर्थिक संपन्नता नहीं हो सकती आर्थिक संपन्नता लाने के लिए महंगाई को सीमित रखते हुए विकास करना आवश्यक है l
    देश को दो प्रकार के लोग चलाते हैं एक नेता और दूसरे ग्रुप रेट्स नेता किसी ना किसी मत या विचारधारा या पार्टी का होता है जो अपना एजेंडा लागू कर आते हैं जो लेता जितनी चतुराई से अपनी विचारधारा को लागू कर आता है उतना ही सक्षम माना जाता है अपनी विचारधारा को लागू कराते हुए विकास को आगे बढ़ाना ही नेता की काबिलियत मानी जाती है नीतियां भी चतुराई के साथ बनाई जाती है या लागू की जाती है कि वह आसानी से जनता के समझ में ना आ सके इसी को राजनीति कहते हैं l संतुलित विकास के लिए समाज की सभी वर्गों का घटकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए संसाधनों को बनाना  तथा उन संसाधनों का वैज्ञानिक तरीकों से तथा सही तरीके से सही समय पर उपयोग करना  विकास को बढ़ाने में सहायक होता है प्रकृति व समाज तथा अन्य सभी प्रकार की विविधताओं को ध्यान में रखते हुए विकास करना ही समाज को आगे ले जा सकता है इसके लिए समाज की तथा प्रकृति की जरूरतों को समझना भी आवश्यक होता है  l और उसी हिसाब से विकास करना आवश्यक होता है तभी  देश के लोगों की तथा समाज की संपन्नता सुनिश्चित की जा सकती है l
            एकीकृत नासि जीव प्रबंधन  अथवा IPM   समाज व प्रकृति से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो समाज व प्रकृति के  अनुरूप चलकर, इनकी आवश्यकता को ध्यान में रख कर तथा उनके अनुरूप संसाधनों का विकास करके बताए गए सही वैज्ञानिक तरीकों से सही समय पर  अपनाकर अपनाई जाती जा सकती है  और और प्रकृति में संतुलन लौटते हुए समाज में संपन्नता प्राप्त की जा सकती है l
          

Thursday, September 17, 2020

.IPM philosophy केअनुसार एकीकृत नासि जीव प्रबंधन हेतुखेती करने की पद्धति

आज के परिदृश्य एवं परिपेक्ष  में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा  तथा एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन  की विचारधारा पर्यावरण ,प्रकृति  ,समाज ,कृषक एवं कृषि श्रमिकों के लिए हितैषी तथा समाज व कृषकों की मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित , स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली ,समाज  प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली ,कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा उनके जीवन की राIPह को आसान बनाने वाली एवं जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति ,समाज ,पारिस्थितिक तंत्र आदि के विकास को करने वाली होनी चाहिए   जो सुरक्षित भोजन के उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित भी करती हो l इसके लिए फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण या एकीकृत नासिजीव प्रबंधन की ऐसी विधियां अपनाई जाए जो ऊपर बताए गए उद्देश्यों को पूरा  करती हो और    जिन का समाज, प्रकृति, पर्यावरण ,जैव विविधता एवं सामुदायिक स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता हो l  उसके लिए निम्नलिखित तरीकों सिद्धांतों एवं विधियों का प्रयोग किया जा सकता है l
1. खेती करने की अग्रिम योजना या एडवांस प्लानिंग करना
    इसके लिए खेती करने के असली उद्देश्य तथा कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं consumption  का भी उद्देश्य तथा उत्पादन के बाद उनके विपणन, रखरखाव, प्रसंस्करण ,निर्यात आदि  जैसे उद्देश्यों को पहले ही स्पष्ट एवं परिभाषित कर लेना आवश्यक होता है l
2. खेती करने से पूर्व अपने एवं अपने सहयोगी कृषकों या बुजुर्गों अथवा कृषि विश्वविद्यालय के निपुण अधिकारियों निपुण अधिकारियों राज्य सरकार के प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं आज की मदद से किसी विशेष स्थान के लिए लाभकारी एवं सुरक्षित फसल चक्र अवश्य ही चुन लेना चाहिए जिस की खेती करना उस विशेष स्थान पर संभव भी हो l
3. खेती करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट की खरीदारी पहले से ही कर लेनी चाहिए l आई पीएम के हिसाब से खेती करने के लिए रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों एवं जैविक उर्वरकों तथा अन्य जैविक इनपुट्स को बढ़ावा देने के लिए इन जैविक इनपुट की खरीदारी एवं प्रयोग पर बल देना चाहिए l
4. आईपीएम खेती अथवा जैविक खेती करने के लिए कृषकों को प्रेरित करना चाहिए एवं उनमें समझ भी विकसित करना चाहिए जिससे वह सुरक्षित रसायन मुक्त खेती करने के लिए आगे बढ़ते रहें एवं अपनी रुचि दिखाते रहें l
5. जैविक खेती और आईपीएम पद्धति को को बढ़ावा देने के लिए खेती में प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट एवं उस में होने वाले सभी खर्चों का विवरण अथवा लेखा-जोखा अवश्य रखना चाहिए  l
6. जैविक खेती अथवा आईपीएम पद्धति को बढ़ावा देने के लिए इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग इंटरक्रॉपिंग बॉर्डर क्रॉसिंग बफर जोन फार्मिंग आदि तकनीकों को भी बढ़ावा देना चाहिए   इसके लिए प्रकृति में मौजूद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की व्यवस्था का अध्ययन करना चाहिए और उसी के सिद्धांतों के आधार पर फसल चक्र का ही चुनाव करना चाहिए l अर्थात फसल बोते समय इस बात का ध्यान रखा जाए की खेत में अधिकांश से अधिकांश क्षेत्र किसी ना किसी फसल के द्वारा अवश्य बोया गया हो जिससे पर यूनिट एरिया मैं अधिक फसल उत्पादन करके एक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके l
7.Zero  budget based farming  के सिद्धांतों को लागू करते हुए किसानों के घर में जाने वाले inputs  के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए l
8. खेती करते समय सफल किसानों के अनुभवों को भी समाहित करना चाहिए l
9. सरकार द्वारा  कृषक हितेषी methods तथा नीतियों को बनाना चाहिए तथा उनके अनुपालन में तथा उन को बढ़ावा देने हेतु सरकार के द्वारा किसानों को प्रेरित भी करना चाहिए l
10. बिना सरकार व समाज के सहयोग के कोई भी विचारधारा न तो सही तरीके से प्रयोग की जा सकती है और ना ही उनसे वांछित लाभ लिया जा सकता है l किसी विचारधारा को क्रियान्वयन करने के लिए सरकार व समाज का सहयोग अति आवश्यक है l
11. IPM अन्य किसी भी विचारधारा को सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए सबसे पहले समाज पर्यावरण प्रकृति की समस्याओं को अध्ययन करना चाहिए और उनको ध्यान रखते हुए तथा उनकी जरूरतों को पूरा करते हुए विचारधारा को क्रियान्वित करना चाहिए l
12. किसान हमारे अन्नदाता एवं जीवन रक्षक है अतः उन्हें उपेक्षित नहीं करना चाहिए तथा उनकी समस्याओं को वरीयता पूर्वक हल करना चाहिए तभी  वह खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन का उत्पादन कर सकेंगे l
13. ऐसा देखा गया है कि हर सरकार में हमारे किसान उपेक्षित रहे हैं और उनके द्वारा पैदा किए गए कृषि उत्पादों का मूल्य मैं बढ़ोतरी सही अनुपात में नहीं हुई है जिस प्रकार से हमारे सरकारी अधिकारियों अध्यापकों प्रोफेसर आज की होती है उदाहरण के तौर पर 1970 में गेहूं की कीमत ₹76 प्रति कुंतल होती थी जो 2015 में 1450 प्रति कुंटल हो गई जबकि सरकारी अधिकारियों मैं यह वृद्धि सरकारी कर्मचारियों के लिए120  से150   Guna अध्यापकों के लिए280 से320  गुना प्रोफेसरों के लिए150 से170 Guna  हुई है जबकि कृषकों के गेहूं की कीमत सिर्फ 19 गुना बढ़ी है जबकि उपरोक्त वृद्धि दर के हिसाब से उनकी गेहूं की कीमत7600 प्रति कुंटल होनी चाहिए l हमारे देश के सभी नागरिकों चाहे वह किसान हो या राजनैतिक या प्रशासनिक अधिकारी बेसिक जरूरत है एक ही ही होती है और होनी भी चाहिए l हमारे देश के कुछ अधिकारियों या विभागों में कपड़े धोने के लिए भत्ता दिया जाता है क्या कपड़े धोने की धोने की जरूरत किसानों को नहीं होती l सभी विभागों के  सरकारी कर्मचारियों को मिलाकर कुल 108 प्रकार के  allowances दिए जाते हैं  तो क्या किसानों को इन अलाउंस ओं की जरूरत नहीं है उनके living standard  को सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह बराबर रखने के लिए जरूरी नहीं हैl  अवश्य ही जरूरी है तो हमारे किसान प्रत्येक सरकार के द्वारा उपेक्षित  रहे हैं l किसान हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें भोजन देते हैं और उन्हीं को हम उपेक्षित रखते हैं यह उचित नहीं है l अतः प्रत्येक सरकार को चाहिए कि किसान हितेषी नीतियां और उनके जीवन स्तर को ऊपर  उठाएं l खेती को तभी एक इंडस्ट्री या उद्योग की तरह बनाया जा सकता है जबकि किसानों के द्वारा पैदा की जाने वाले  फसलों का उचित मूल्य दिया जाए तभी किसान मन लगाकर और अधिक मेहनत से खेती करेंगे तथा तथा देश की उन्नति भी होगी l
14.  फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा अथवाIPM की किसी भी विधि को अकेले अथवा समेकित रूप से इस प्रकार से प्रयोग करना कि उनका सामुदायिक ,स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति, समाज एवं फसल उत्पादन अथवा फसल पैदावार पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े आईपीएम कहलाता है l
15. IPM समाज प्रकृति को सुचारू  रूप से  या सही तरीके से चलाने एवं सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रकार का  जन आंदोलन अथवा मिशन (  विशेष कार्य )  है जो समाज में सामूहिक चेतना(collective consciousness), सामूहिक जागरूकता एवं सामूहिक प्रेरणा पैदा करके क्रियान्वित किया जाता है l समाज व वह आईपीएल के सभी भागीदारों की भागीदारी होना आवश्यक है l
16. विकास को विनाशकारी ना होने दिया जाए यह सभी विचारधाराओं अथवा concepts  के क्रियान्वयन हेतु  एक मूल मंत्र है l
17. प्रकृति, समाज ,राजनीति, नीतियों , एवं आवश्यकताओं में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं l इन परिवर्तनों के अनुरूप अपने आप को बदलना अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना तथा तदनुसार किसी भी विचारधारा में परिवर्तन करके उस विचारधारा से सही व उचित लाभ लेने के लिए अति आवश्यक है  l इसी प्रकार से फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा पद्धतियों में भी समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं जिनके अनुसार इनकी विचारधारा मैं भी परिवर्तन होना आवश्यक होता है l स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के आवश्यकतानुसार करीब 20 तरीके के मॉड्यूस विकसित किए गए जो  जो समय अनुसार लाभप्रद सिद्ध हुए l   अक्सर यह देखा गया है कि कोई भी विचारधारा अथवा विधि या तरीका लगभग 10  या 15 साल तक  ही सही तरीके से लाभ प्रदान करता है या कार्य करता है इसके बाद उसमें कुछ ना कुछ कमी आ जाती है अथवा उनके कुछ दुष्परिणाम भी सामने आने लगते हैं  l यदि कोई टेक्नॉलॉजी 10  या 15 साल तक  hi सही तरीके से काम करती है तो वह अच्छी तकनोलॉजी मानी जाती है l


Saturday, September 12, 2020

IPM फिलासफी के प्रमुख बिंदु लगातार जारी

36. IPM एक मानसिकता परिवर्तन की एक विचारधारा है जिसमें सभी आईपीएम भागीदारों एवं कृषको के बीच में घर की गई Pro पेस्टिसाइडल अर्थात रसायनिक कीटनाशकों को  वरीयता पूर्ण ढंग से प्रयोग करने की मानसिकता को परिवर्तित करके रसायनिक कीटनाशकों को सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु ही प्रयोग करना चाहिए वाली मानसिकता में परिवर्तन करना आईपीएम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है जिससे रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग करने से  फसल पर्यावरण अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन किया जा सके  l
37. IPM inputs  का किसानों को ना उपलब्धता होना   का अर्थ यह नहीं है कि किसान आईपीएम नहीं कर सकते हैं l आईपीएम इनपुट आईपीएम को क्रियान्वयन करने में सिर्फ सहूलियत प्रदान कर सकते हैं l
38. IPM inputs का औद्योगिकीकरण करना आईपीएम क्रियान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हो सकता है l
39.   आईपीएम प्रकृति ,समाज और जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l
40.   कोरोना की रोकथाम के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति, सही विजन ,काम करने का जज्बा, समय रहते ही सही कदम उठाना ,किसी भी कीमत पर सफलता हासिल करना , हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति  के प्रमुख सिद्धांत  एवं बिंदु है जिन्हें जनता को जागरूक करके , प्रेरित करके तथा कानून के द्वारा बलपूर्वक लागू करके कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाया गया तथा सफलता प्राप्त की गई उसी प्रकार से वही रणनीति आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु भी अपनाई जा सकती है तथा समाज को कीटनाशकों से मुक्त भोजन तथा कृषि उत्पाद प्रदान करवाए जा सकते हैं l  कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाई गई उपरोक्त रणनीति से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम बगैर दवाई के कोरोना की रोकथाम सफलतापूर्वक कर सकते हैं तो बगैर कीटनाशकों के फसलों का उत्पादन भी किया जा सकता है बस जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति ,सही नेतृत्व ,सही समय पर कदम  उठाने की तथा सही सोच की और सही विधियों को सही तरीके से अपनाने की l
41. IPM के क्रियान्वयन हेतु राज्य एवं केंद्र सरकार एवं उनके प्रशासनिक अधिकारियों, सभी आईपीएम के भागीदारों ,समाज एवं कृषकों के बीच आपस में सामंजस्य, सहयोग एवं सपोर्ट होना अति आवश्यक है l इसके बगैर आई पीएम का ही नहीं बल्कि किसी भी विचारधारा का क्रियान्वयन होना संभव नहीं है l
42. किसी भी टेक्नोलॉजी को सही तरीके से इस्तेमाल करके ही मानसिक नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l
43. बुद्धिमत्ता पूर्वक विवेक पूर्वक तथा सूझबूझ के साथ वनस्पति संरक्षण करना आईपीएम कहलाता है l
44. IPM  सिर्फ हानिकारक  जीवो की संख्या काही प्रबंधन नहीं है बल्कि वह हानिकारक जीवो के प्रबंधन के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र प्रकृति व समाज को सुरक्षा प्रदान करने का एक विकल्प है जो जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ विषय है l
45. आईपीएम वर्तमान की समस्याओं जवाब तथा भविष्य की आशाओं एवं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयोग की जाने वाली वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है l
46.Human being is considered as top of the creatures .Let's realize it ,contribute and share the responsibilities  also as a top of the creature while doing IPM or Agriculture. 
47. आज पीएम एक प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम है जिसमें समाज व आईपीएम के सभी स्टेकहोल्डर्स या भागीदारों के बीच में रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणामों खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के बारे में जानकारी, जैविक व अजैविक कारकों का कृषि उत्पादन में योगदान, फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले प्राकृतिक फसल उत्पादन पद्धति की जानकारी ,फसल  उत्पादों में पाए जाने वाले रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी तथा फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की  methods के सही तरीके से प्रयोग करने की जानकारी एवं उनको सही तरीके से ना प्रयोग करने पर उनसे होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी के बारे में जागरूकता की जानी चाहिए l
48. आईपीएम समाज को रोटी कपड़ा और मकान जैसी  आवश्यकताओं पूरा करने व सुनिश्चित करने के लिए वाद्य है l IPM is committed to ensure and fulfill the needs like fooding,clothing,and houseingto the society .
49. प्रकृति  ,समाज ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ओं  ,को सुरक्षा प्रदान करते हुए अथवा सुरक्षित रखते हुए, देश, समाज, कृषकों एवं कृषि मजदूरों को समृद्ध साली एवं स्वस्थ बनाते हुए, समाज हेतु खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन का उत्पादन सुनिश्चित करते हुए, जीवन, प्रकृति व पारिस्थितिक तंत्र ओं के बीच संतुलन व तालमेल रखते हुए वनस्पति संरक्षण करना या प्लांट प्रोटक्शन करना IPM का प्रमुख उद्देश्य है    या आईपीएम कहलाता है l
50. स्वस्थ समाज हेतु सुरक्षित  पर्यावरण व सुरक्षित प्रकृति के साथ सुरक्षित खेती करना IPM  का प्रमुख उद्देश्य है l

Thursday, September 3, 2020

मेरे द्वारा बनाई गई आईपीएम फिलासफी के कुछ प्रमुख बिंदु

मैंने आई पीएम  की अपने वैज्ञानिक ,शैक्षणिक ,व्यवसायिक ,सामाजिक ,प्राकृतिक ,आर्थिक ,पर्यावरणीय ,पारिस्थितिक तंत्री य ,आध्यात्मिक ,राजनैतिक ,अनुसंधान आत्मक, अनुभव के आधार पर जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं ऊपर बताए गए दृष्टि कोणों के आधार पर   विवेचना करके आईपीएम को समाज व प्रकृति से जोड़ने का प्रयास किया है जिसे  IPM फिलासफी या आईपीएम दर्शन कहते हैं l इस आईपीएम  फिलोसोफी के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार है:-
1. IPM प्लांट प्रोटक्शन   की विधि नहीं है बल्कि वह प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है
2.  आईपीएम प्रकृति, समाज, पारिस्थितिक तंत्र ,पर्यावरण, सामुदायिक स्वास्थ्य, जैव विविधता तथा जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी    कार को को हानि ना पहुंचाते हुए खेती करने का एक तरीका है l
3. IPM एक कौशल विकास का कार्यक्रम है जिसमें हम आईपीएम के सभी भागीदारों को एवं कृषकों को कम से कम खर्चे में, कम से कम रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके या करते हुए  खाने के लिए सुरक्षित भोजन एवं व्यापार के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि  उत्पादों का उत्पादन  इस प्रकार से  करने के योग या सक्षम बनाते हैं की कृषि उत्पादों के उत्पादन क्रिया में अपनाई गई विधियां प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र आदि को  कम से कम नुकसान पहुंचाएं या नुकसान ना पहुंचाएं 
IPM IS A WAY OF FARMING WITHOUT HARMING TO THE NATURE AND SOCIETY.
4. आईपीएम  वनस्प.ति संरक्षण का वह तरीका है  जो प्रकृति समाज जीवन से जुड़े हुए आवश्यक वस्तुएं  पारिस्थितिक तंत्र, सामुदायिक स्वास्थ्य, जैव विविधता आदि  का विशेष ध्यान रखकर   किया जाता है l
5.  IPM का क्रियान्वयन करते समय यह ध्यान रखा जाता है की उसमें देश का जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ प्रकृति,  पर्यावरण व समाज का विकास भी सुनिश्चित हो सके l
6.IPM is a vision for betterment of nature and future.
7. आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक ,पर्यावरण के परिपेक्ष एवं परिदृश्य में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा करने की विचारधारा अथवा आईपीएम की विचारधारा पर्यावरण  ,प्रकृति एवं समाज हितेषी ,लाभकारी, मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार को बढ़ावा देने वाली, आय को बढ़ावा देने वाली तथा समाज प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, जीवन की राह को आसान बनाने वाली होनी चाहिए तथा जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ सामाजिक ,प्राकृतिक ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली तथा कृष को ,कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली होनी चाहिए l
8. प्रकृति में मौजूद फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण की व्यवस्था का अध्ययन करके उसे IPM की व्यवस्था में  समाहित करें l
9. वर्तमान या मौजूदा जीने के तरीके को बदल कर प्रकृति के अनुकूल बनाना  l
10. प्रकृति पर आधारित बिना रसायन वाले विधियों को बढ़ावा दें l
11.  IPM अहिंसा, संवेदनशीलता ,सहानुभूति,, सहनशीलता एवं सामंजस्य पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l
12. आईपीएम विविधताओं के अनुकूल खेती करने का एक तरीका है l
13. पृथ्वी पर जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए एवं जीवन निर्माण हेतु आवश्यक सभी कार्य को को संरक्षण प्रदान करना l
14. IPM agroecosystem ,Environment, crop physiology,economics,Socialand natural,principles  पर आधारित प्लांट प्रोटक्शन के विचारधारा है l
15.Lets not misuse any natural and artificial resource while doing IPM.
16.IPM is not against use of chemical pesticides but definitely against the misuse  of the chemical pesticides. IPM  रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के विरोध में नहीं है परंतु वह इसके दुरुपयोग के विरोध में अवश्य हैl आईपीएल के क्रियान्वयन हेतु रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु  किया जाता है l
17.None of the chemical pesticide is safe but it can be and must be used safely.

18.Agroecosystem damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides and chemical fertilizers may be restored while doing IPM.
19. Food security and food safety must go on simultaneously.  
20. किसी भी हानिकारक जीव यह पेस्ट की संख्या को किसी भी तरीके से इस ji तक कम करना की उस से होने वाला नुकसान नगण्य हो pest Management  ya Nasi jio prabandhan  kahlata hai. के लिए जब एक से अधिक विधियों का समेकित रूप से उपयोग करते हैं तो उसे एकीकृत ना सीजी प्रबंधन कहते हैं l
21.  खेती स्वयं में एक एकीकृत पद्धति है जिसमें विभिन्न विधियों को समेकित रूप तथा योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग करके फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा की जाती हैl
22. फसल पारिस्थितिक तंत्र मैं पाए जाने वाले सभी जैविक व अजैविक कार्य को का अपना महत्व एवं भूमिका है इस महत्व और भूमिका को पहचान करके प्रयोग में लाना ही  आईपीएम पद्धति कहलाती है l
23.IPM is a bio ecological approach of pest management in which ecofriendly approaches of pest management must be promoted. 
24.Tolerate the crop loss due to pest up to the pest population below ETL which is required for survival of beneficial organisms or biocontrol agents found In agroecosystem and to maintain  the ecological balance .
25.Managing the pests keeping in viewing food security,trade security,biosecurity,health security and Environment security.
26.All the organisms found in the Agroecosystem are not pests .Majority of them are beneficial which regulate the pest population and must be conserved in the agroecosystem. 
27.Not all the pests must must be controlled or managed .Manage or control only those pests which do not give us time to control or manage them.
28.Plants have its every parts more than its requirements. 
29.The plants have an ability to sustain themselves under certain adverse  conditions up to certain extent.
30.Abiotic factors also contribute for the crop loss or crop yield significantly.We must also consider those factors.
31 .The plants have an ability or capability to compensate the yield loss by the pests up to certain extent.
32.In IPM the pest population is managed (suppressed and maintained below ETL level or at level at which the harm due to pest is become insignificant  or minor) .
33.IPM is a variable package of different pest management strategies based on regular pest surveillance and agroecosystem Analysis for taking decisions for adoption of interventions for suppressing the pest population below ETL .In ipm the chemical pesticides are aimed to be adopted as a last option only to combate the emergent situation  in the field.Nonchemical methods are promoted or adopted before using chemicals.
34.All the pesticides are harmful to nature and society 
35.Pesticides are more harmful than the pests.



Wednesday, August 26, 2020

There should be no holiday for the the IPM stakeholders .

In my opinion since there is no holyday for the farmers hence there should be no holyday for any IPM stakeholders.
      हमारे विचार से
  नींद,  नार  , भोजन   तजय  , तब IPM की नौकरी करें l

No Language is required for learning any thing or concept or IPM

No language is required for learning any thing or any concept  and IPM also.It is only the Environment from which we learn the things or concepts through learning by seeing, learning by doing throghself participation in doing different activities.We  learn many things through our requirementsand needs . A newly born baby starts weeping just after he is born for the requirements of Oxygen and food.He starts to drink  mother's milk for which no language is required. Many things we learn though the requirements and needs of our body and also to sustain our life.We also learn many things though the activities being undertaken or done by our seniors  ,forefathers , and our past experiences.Life is a continuous learning process.We learn though out our life .We learn many things from our body's requirements. We  learn many things from our society ,nature and EnvironmentThrough our feelings and needs and requirements. Learning of good or bad things depend our Environment and society in which we live.Many things we learn fom our seniors,computers,guggal chacha,books etc.Thesethings enhance our knowledge about concept but when the activities are done or practiced we get the results. After seeing the results of these activities we get the confidence and faith which lead us the path to achieve the goal.By practicing these activities we get the achievements or goal.
Though language can be a  media for for the exchange of our views and it can facilitate the process of exchanging the views from each others but it can not be a barrier for exchanging the views.The language of weeping ,loughing,feeling hungry or thrustyness  and expressing anger  may be same throughout world.

Monday, August 24, 2020

RAM ASRE -----AS AN IPM LEGEND AND PHILOSOPHER BY D N A.

ProffesonaIy I  born in the biological control Scheme of the Dte. Of Plant Protection ,Quarantine and Storage on 2nd Feb 1978 in Central Biological Control Station Station Faridabad as Technical Assistant  (bio-control ).Since then I dedicated my 38 years continuous services to the Indian Plant Protection  in the Dte of Plant Protction ,Quarantine And  Storage (Dte.of PP,Q  & S) in  the Department of Agriculture, Co-operation  & Farmers Welfare(DACFW) under Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare(A&FW),Govt if India.During these  38 years period of my Govt service I served in Biological control, Pest Surveillance, Integrated Pest Management (IPM),Plant Quarantine ,Locust control control and Research schemes and its Central Insecticides  Laboratory(CIL) Faridabad under the scheme Implementation of Insecticides Act 1968 schemes of this Dte, on different posts such as Tchnical Assistant (BioControl),Surveillance Officer,Entomologist (BioControl),now known as Assistant Director (Entomology),Deputy Director (Entomology),in plant Quarantine  and Locust Control scheme at R PQ S Amritsar and Hqrs Faridabad, Joint Director (Entomology),Additional Plant Protection Adviser(IPM),earlier known as Director IPM and gained experience and knowledge of field ,Laboratory,Extention work ,Organising IPM training in form of Season Long Training programmes,Organising IPM Farmers Field Schools and short oduration training programmes  and formulating policy and planning for the scheme  of Ĺocust control and research and Srenthening And Modernization of the Pest Management Approach in India as scheme officers of these schemes and emerged as IPM Philosopher, IPM Trainer,IPM Policy Maker,IPM demonstrator for conducting IPM demonstrations  , trials of biocontrol of crop pests and weeds and  Ecological Engineering for colonization ,  establishment and conservation of biological control agents of crop pests and weeds.
  Besides above I also served as Sirveillance Officer for crop pests and diseases ,producer of biological control agents of crop pests and weeds for conducting biocontrol trials against crop pests and weeds,Entomologist (biocontrol),and was also engaged in preparation of IPM modules,IPM Packages ,Awareness creater against I'll effects of  chemical pesticides,conservation of beneficial fauna found in agroecosystems and for growing of safe food ,and prepaaration of IPM  Standarded Operating System (SOP) etc.
  To look any concept in  different view points is called as philosophy of the concept.  Relating the plant protection or pest management  with different aspects of life  including ecological, economical,biological,environmental, natural,sociological, and physiological  aspects of life and crop production and protection  systems are considered and included  by me in my IPM philosophy.I described IPM in terms of Social ,spiritual,ecological,economical,Environmental and natural perspectives. You can see the detail about me and my IPM philosophy in my posts posted earlier in my blog  IPM Sutra.
Describing any concept based on our professional, sociological,Environmental,ecological,natural,cultural,spritual  and on our other types of experiences is called as philosophy.
   Based on my above mentioned experience I put down my few  findings and conclusions of my IPM philosophy as given below:-
1.IPM is not a method of plant protection but it is the concept of of pest management and plant protection . Let's think what type of farming should do,how it will be done ,what for it should be done . किस तरीके की खेती हमें करनी है, किस तरीके से खेती हमें करनी चाहिए, किसलिए हमें इस तरह की खेती करनी चाहिए  l वर्तमान खेती के पद्धतियों में हमें वांछित हिसाब की खेती करने के लिए वर्तमान खेती पद्धतियों में कौन-कौन सी परिवर्तनों की आवश्यकता है l

IPM is  the concept of plant Protection to grow bumper,safe,and healthy crops to eat and quality Agricultural commodities to trade with minimum expenditure ,minimum use of the chemical pesticides and fertilizers and minimum disturbance to community health,Environment, ecosystem, biodiversity and other essential elements required to sustain life on earth,and also t o upgrade and enhance the livelyhood of the farmers also to maintain hormony with nature and society. 
2.IPM is a kind of Skill Development programme to empower the IPM stakeholders  to grow safe crop bumper crop,sufficient crop,profitable crop,to produce safe  crop harvest to eat and  quality Agricultural commodities to trade. 
3It is Committed to ensure food security and food safety simultaneously. 
4.IPM is committed to ensure ecological,sociological,environmental, development along with financial,economical and bhi GDP based development which must be safe,sustainable  profitable, business and income oriented and harmonious with nature and society.
5.IPM is a vision for the betterment of future and nature .
6. In view of today's social ,natural. , economical ,ecological,Environment al, scenarios and context the concept of crop production ,protection  and IPM must be safe,profitable,sustainable,business and income oriented harmonious  with  nature  and  society. 
       आज के सामाजिक ,आर्थिक, प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय परिदृश्य एवं परिपेक्ष में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा अथवा lPM की विचारधारा या कंसेप्ट पर्यावरण  ,प्रकृति एवं समाज हितेषी लाभकारी मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली एवं व्यापार को बढ़ावा देने वाले तथा आय को बढ़ाने वाली, समाज, प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली तथा जीवन जीने की राह को आसान करने वाली होनी चाहिए तथा आर्थिक व जी डीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ सामाजिक, प्राकृतिक, पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली एवं कृषको तथा कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार करने वाली होनी चाहिए l इसके लिए कृष को ,कृषि श्रमिकों, उपभोक्ता व समाज के अन्य घटकों तथा प्राकृतिक व पर्यावरण समस्याओं का अध्ययन करके उनके लिए अनुकूल विधियों तथा इंफ्रास्ट्रक्चर  एवं इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करके अपनाए जाने वाली विधियों में बदलाव लाने की प्रमुख आवश्यकता है l जिसके लिए आईपी m के सभी स्टेकहोल्डर्स की मानसिकता में पारस्परिक सहयोग अति आवश्यक है l
7.    अभी हाल में चल रही कोरोना बीमारी के रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले उपायों एवं रणनीति से प्राप्त अनुभव के अनुसार भारत में  कोरोना की रोकथाम के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति ,सही विजन, काम करने का जज्बा,  समय रहते सही कदम उठाना, किसी भी कीमत पर सफलता प्राप्त करना माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा अपनाई गई करो ना रोकथाम की रणनीति के प्रमुख सिद्धांत एवं कार्यविंदु है जिन्हें जनता को जागरूक करके तथा प्रेरित करके एवं कानून के द्वारा बलपूर्वक लागू करके कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाया गया इस प्रकार की  रणनीति व सिद्धांतों को आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु भी अपनाया जा सकता है तथा समाज को रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त भोजन या कृषि उत्पाद प्रदान किए जा सकते हैं l कोरोना के लिए अपनाई गई रणनीति से यह सीख मिलती है की जब हम बगैर दवाई के कोरोना . की रोकथाम कर सकते हैं तो बगैर कीटनाशकों के फसलों का उत्पादन भी किया जा सकता है l बस जरूरत है प्रबल इच्छा शक्ति की ,सही विजन ,सही नेतृत्व  की, सही समय पर कदम उठाने की तथा सही विधियों को सही तरीके से   अपनाने की  l                   ,           
8. प्रकृति मैं फसल उत्पादन या पौधों के उत्पादन कि अपनी स्वयं की व्यवस्था चलती रहती है जिसके कारण पृथ्वी या प्रकृति में विभिन्न प्रकार के पौधे जंगलों में भी सिर्फ प्रकृति की देखरेख में उगते हैं और फलते फूलते हैं  l प्रकृति में चलने वाले इस व्यवस्था को हमें गहराई से अध्ययन करना चाहिए एवं इसका प्रयोग कृषि में फसल उत्पादन मैं करना चाहिए l प्रकृति की उत्पादन व्यवस्था को अनुसंधान के दृष्टिकोण से भी7 देखा जाना चाहिए और अनुसंधान कार्यक्रमों में समावेशित करना चाहिए प्रकट की इस व्यवस्था को कृषि उत्पादन हेतु समावेशित किया जा सके  l खेती किसानों की समझ से होती है बजट से नहीं l बजट खेती करने  को सुविधा प्रदान करता है l
9.Plant has its every part more than of its requirement.
10.The plant has an ability to sustain itself under certain ad verse conditions up to certain extent.
11.A crop field has an abundance of beneficial organisms which regulate the pest population. Let's conserve these beneficial organisms in the agroecosystem. 
12. Abiotic factors also affects the crop yield significantly  Let's consider these factors also while making decisions for implementing the   activities to be undertaken for growing of the crops. 
13.The plant has the capability to compensate the yield loss by the pests up to certain extent.
14.The scheduled based application of the chemical pesticides are neither needed nor helpful to enhance the crop yield.
15.Any pest organism must only be consider as a pest after assessing its risk or loss associate with it.
16.Lets consider and control only those pest organisms which do not give sufficient time to control them.
17. IPM is a participatory approaching which all IPam stakeholders must participate in coordinated and collaborative manners whenever they are required for the benefit of nature ,society, country,ecosystems Environment by way of promoting ecofriendly approaches.
18.Let's make our way of living nature,farmers and Society friendly.Today's way ofliving is not fit for the nature .It tell us the way of living seeking victory over the nature whereas we must nourish the nature and not to desroy the nature.Today we are thinking that we do not have the resposiblity of the conservation of the nature and Environment whereas it lies  only with us.We are rethinking that we are only the custodian of the nature.We are not the only the custodian of the nature.We are only a part of the nature.We donot have right on the nature .Nature is of every one's property.Lets not consider it as of our own property.Lets not destroy the nature.If we will destroy the nature then the nature will also destroy us.
 वर्तमान में दुनिया में जीवन जीने का जो तरीका प्रचलित है वह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है यह तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्य को जीना सिखाता है जबकि हमें प्रकृति का पोषण करना है ना कि  शोषण l हम इस सोच के साथ जी रहे हैं कि उनके संरक्षण का उत्तरदायित्व हम पर नहीं है लेकिन हमारा पूरा अधिकार प्रकृति पर जरूर है इसी सोच के साथ जी रहे होने की वजह से हम प्रकृति को लगातार नुकसान पहुंचाने पहुंचा रहे हैं जिसके दुष्परिणाम सबके सामने आ रहे हैं यदि ऐसे ही चलता रहा तो ना हम बचेंगे और ना ही सृष्टि बचेगी अतः हमें प्रकृति ,पर्यावरण, व समाज को अपनाने के लिए प्रकृति व उसके संसाधनों का संरक्षण करना पड़ेगा l मनुष्य मनुष्य के द्वारा बनाया गया समाज प्रकृति का ही एक अंग है जिस प्रकार से हमारे शरीर को चलाने के लिए सभी अंगों का स्वस्थ होना आवश्यक है इसी प्रकार से प्रकृति को चलाने के लिए प्रकृति के सभी अंगो का स्वस्थ होना आवश्यक है और हमें उन सभी अंगों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना होगा l अतः प्रकृति व उसके संसाधनों को संरक्षित रखते हुए सुरक्षित व  भरपूर फसल उत्पादन हेतु आईपीएम अपनाएं  l
     I am one of the founder members of National IPM programme commenced from 19 91-1992  
With  the objectives to reduce the use of chemical pesticides and chemical fertilizers in crop production and crop production system .The use of the chemical pesticides could be reduced  from 75033 Mt to 39773 metrik Tone between 1990-91 to 2oo5-06 with slight increase in between 2001-02 to 2002 -03 due to implementation of IPM programmes in different states of our country.The consumption of the chemical pesticides between 2006 -07  to 2012 -13 remained utmost around 41000 Mt with slight increase in the year 2010 -11 due to appearance of the problems of sucking pests in Cotton and Yellow rust on Wheat crop.

Sunday, August 23, 2020

Some thing about me( RAM ASRE)

I born in the biological control Scheme of the Dte. Of Plant Protection ,Quarantine and Storage on 2nd Feb 1978 at Central Biological Control Station Station Faridabad as a Technical Assistant  (bio-control ).Since then, I dedicated my 38 years continuous services to the Indian Plant Protection  in the Dte of Plant Protction ,Quarantine And  Storage (Dte.of PP,Q  & S) in  the Department of Agriculture, Co-operation  & Farmers Welfare(DACFW) under Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare(A&FW),Govt 0f⁹ India.During this 38 years period of my Govt services I served in Biological control, Pest Surveillance, Integrated Pest Management (IPM),Plant Quarantine ,Locust control control and Research schemes 0f Dte of Plant Protection,Quarantine and Storage and its Central Insecticides  Laboratory(CIL) Faridabad under the scheme Implementation of Insecticides Act 1968, schemes of this Dte.and gained experience and knowledge of field ,Laboratory Extention work , Training and formulating policy and planning for the schme of Ĺocust control and research and Srenthening and modernization of the pest management approach in India as  scheme officers of these schemes and emerged as IPM Philosopher, IPM Trainer,IPM Policy Maker,IPM demonstrator and as one of the founder members of National  IPM programme  in India commenced during 1991-92.Liaisoning and interacting with national and international agencies and personalities,Farmers Extention Workers,Beaurecrates,administrators,Policy makers and other IPM Stakeholers,remained some of the spokes of umbrella of my work.