Saturday, June 13, 2020

आईपीएम की विचारधारा अथवा आईपीएम के कंसेप्टसे संबंधित कुछ अन्य विचार

आईपीएम  प्रकृति एवं   समाज से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l जिसके अनुसार प्रकृति के अनुरूप या प्रकृति के अनुसार या प्रकृति को ध्यान में रखते हुए खेती करने के तरीके को ही आईपीएम कहते हैं  l प्रकृति में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक  तंत्रों का समावेश होता है जो एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं  l किसी भी जीव को जीवित रहने के लिए उपयुक्त पानी ,हवा ,मिट्टी ,जलवायु, होना   अति आवश्यक है  पृथ्वी का हर प्राणी  जल एवं मिट्टी तथा हवा जमीन आदि पर निर्भर रहता है  l और इनके प्रदूषित होने पर  उस जीव का  के जीवन का स्थायित्व भी खतरे में पड़ सकता है lप्रकृति के o चल कर संसार का कोई भी प्राणी अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता हैl
       उदाहरण के तौर पर अधिक पानी की कमी वाले क्षेत्रों में धान की खेती ना करना या कम करना हरियाणा जैसे राज्यों में कानूनी तौर से मना किया जा रहा है पानी की पर्याप्त उपलब्धता एनी जलभराव वाले क्षेत्रों में धान की खेती की इजाजत हरियाणा में दी जा चुकी है दूसरा रोपाई विधि के स्थान पर सीधे छिड़काव वाले तकनीकी को अपनाने को विशेष महत्व दिया जा रहा है यह सभी चीजें प्रकृति के आवश्यकता के अनुसार ही की जा रहे हैं l कम पानी वाले क्षेत्रों में दूसरी अन्य फसलों जैसे मक्का दलहन एवं तिलहन तथा सब्जियों आदि फसलों पर  जोर दिया जा रहा है  ग्वार की अगेती खेती करके फली बेची जा सकती है इसी प्रकार से ग्वार की फली सब्जी बनाने के लिए भी महंगी बिकती है तथा पकी हुई ग्वार   का एक्सपोर्ट भी किया जाता है जून के महीने के दूसरे पखवाड़े में ग्वार कीट किस में एच एच 366 , तथा 563 की बुवाई कर सकते हैं इसी प्रकार से अरहर की किस मानक व पारस की बुवाई जून के मध्य से जुलाई तक कर सकते हैं तिल की किस्म हरियाणा में नंबर वन एक मोबाइल जुलाई महीने के पहले सप्ताह में करें यह फसल 77 दिनों में पक्का तैयार हो जाती है और पानी भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती इसी तरह से 75 से 80 दिनों में पकने वाले बाजरे की फसल एच एच बी 67 और एच एच बी 94 तथा एच एच बी 197 की जुलाई के प्रथम सप्ताह में करें मूंग की कसम mh41 की बुवाई जुलाई के अंत में करें  l प्रकार से कम पानी वाले क्षेत्रों में फसल परिवर्तन या क्रॉप रोटेशन किया जा सकता है और किसानों की आमदनी पर भी इसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा l
   दोस्तों  बुद्धिमान आदमी  कोई अलग चीज ना करके अलग से या अलग तरीके से चीजों को करते हैं l इसी प्रकार से खेती को भी ट्रेडिशनल या  परंपरागत खेती को नए तरीकों से भी किया जा सकता है l
         आजकल कि आई पीएम के विचारधारा के अनुसार खेती को प्रकृति के अनुरूप करने के साथ-साथ खेती को लाभकारी आए पद व्यापार योग तथा प्रकृति व समाज के बीच में सामंजस्य बैठाकर की जाने वाली होनी चाहिए जहरीली खेती की जगह पर सुरक्षित खेती को बढ़ावा देना है कि आई पीएम के विचारधारा मैं एक विचारधारा है l

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