Wednesday, June 24, 2020

इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंटकृषकों की मानसिकता परिवर्तन की एकविचारधारा है

IPM integrated pest management is a concept of change of pro chemical pesticidal Mind set of the farmers and people to non pesticidal or biopesticidal  mindsets. अर्थात कृषकों की  वरीयता पूर्वक रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग की जाने वाली मानसिकता में बदलाव लाकर तथा रसायनिक कीटनाशकों के स्थान पर  जैव कीटनाशकों को वरीयता पूर्वक  प्रयोग करना आई पीएम का प्रथम कार्यक्षेत्र होना चाहिए l इसके साथ साथ कृष को में सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, जैव विविधता , प्रकृति व उसके संसाधन तथा समाज के प्रति सहानुभूति रखने वाली मानसिकता को भी विकसित करना भी आई पीएम का प्रमुख कार्य क्षेत्र होना चाहिए l  आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु मानसिकता परिवर्तन का प्रथम स्थान होता है l इन चीजों का ध्यान में रखते हुए जब हम खेती करते हैं तभी हम उसको आईपीएम खेती कहते हैं lअक्सर  यह देखा गया है 30 30 35 35 साल से आईपीएम तकनीकी का कृषकों के बीच में प्रदर्शन या demonstration के बावजूद भी तथा उनको जागरूक तथा प्रेरित करने के बावजूद भी किसान भाई आईपीएम अपनाने में विशेष रूचि नहीं रखते हैं  l क्योंकि उनका ध्यान सिर्फ पैदावार बढ़ाने तथा खर्चे को कम करने की तरफ होता है और वह पर्यावरण  , प्रकृति तथा समाज की ओर विशेष ध्यान नहीं देते हैं lजैव कीटनाशकों या जैविक इनपुट की उपलब्धता का ना होना भी एक कारण है  आईपीएम को प्रचलित  yah popularise  ना होने का l
       यह भी देखा गया है कि कुछ समझदार कृष को मैं मानसिकता परिवर्तन आ गया है और वह रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने के पक्ष  मैं अपनी विचारधारा को परिवर्तित करके रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में अपनी रुचि लगाने लगे हैं तथा इनके स्थान पर वह जैविक खाद yeah जैविक उर्वरक तथा जैविक कीटनाशकों के प्रयोग को बढ़ावा देने लगे  हैं l कृषकों की मानसिकता में परिवर्तन लाना आई पीएम का आज के समय में अति आवश्यक है जब तक कृषकों एवं उपभोक्ताओं के मन में यह विचार नहीं आएगा कि हमें जहरीले कृषि उत्पाद नहीं पैदा करने चाहिए और ना ही उन्हें खाना चाहिए तब तक किसान भाई रसायनिक कीटनाशकों तथा उर्वरकों का खेती में प्रयोग करना कम नहीं करेंगे आता है इसके लिए यह परम आवश्यक है कि कृषकों की मानसिकता में परिवर्तन किया जाए l एक बार यदि मानसिकता में परिवर्तन आ गया तो methods या विधियां किसान भाई अपने अनुभव के आधार पर स्वयं भी विकसित कर लेंगे l यह भी अनुभव किया गया है कि किसान अपने दूसरे किसान के द्वारा अपनाई जाने वाली विधियां का अनुकरण जल्दी करता है बजाय कि वह विधियां जो कि सरकारी कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रदान की जाती है l कृषकों की मानसिकता में परिवर्तन लाने के लिए हमें उनके दिमाग में यह यह डालना पड़ेगा या स्पष्ट करना पड़ेगा की रासायनिक कीटनाशक हमारे खेतों में पैदा होने वाले फसलों के उत्पाद को जहरीला बनाते हैं तथा वह हमारे शरीर ,पर्यावरण प्रकृति और वातावरण के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं l अतः हमें इनका उपयोग खेतों में कम से कम करना चाहिए जिससे हमारा , हमारे बच्चों का  तथा समाज के अन्य लोगों का स्वास्थ्य ठीक रह सके तथा समाज को रहने लायक उपयुक्त पर्यावरण मिल सके l हमें कृषकों को यह भी स्पष्ट करना पड़ेगा की फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी जीव हानिकारक नहीं होते हैं तथा उनमें से अधिकांश लाभदायक होते हैं जिन की सुरक्षा करना तथा उनकी संख्या को बढ़ावा देना और संरक्षण करना भी हमारा परम कर्तव्य है l यह लाभदायक जीव फसल पारिस्थितिक तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में सहायक होते हैं तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में मददगार होते हैं l इसके अलावा फसलों में परागण की क्रिया होने में भी सहायक होते हैं जिससे फसलों में फल बनते हैं और हमें अनाज तथा फल प्राप्त होते हैं l मानसिकता परिवर्तन हेतु हमें कृषकों में प्रकृति समाज प्राकृतिक संसाधनों तथा पारिस्थितिक तंत्र के प्रति सहानुभूति रखने की मानसिकता को विकसित करना पड़ेगा तभी हम एक स्वस्थ  एवं समृद् समाज की स्थापना कर सकते हैंl हमें किसानों के मन में यह चेतना जागृत करनी होगी कि उन्हें रसायन युक्त जहरीले खाद्य पदार्थों का उत्पादन नहीं करना चाहिए और ऐसा करना मानवता के लिए अपराध है एवं धार्मिक दृष्टि से पाप है ऐसी भावना के साथ जब खेती करेंगे तो उनके मन में रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने की भावना जागृत  होगी  l इसी समय हमें कृषकों को आईपीएम इन पोस्ट या ऑर्गेनिक इन पोट्स के उपलब्धता को भी सुनिश्चित करना पड़ेगा इसके लिए आईपीएम इनपुट के बनाने वाली विधियों को सरल करके किसानों के गांव में ही आई पीएम  inputs  का उत्पादन करना पड़ेगा l जिससे इनका उपयोग कृषि उत्पादन एवं  फसल सुरक्षा हेतु आसानी से कर सकें l

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