Saturday, June 27, 2020
टिड्डी दल के द्वारा टिड्डी चेतावनी संगठन के राष्ट्रीयमुख्यालय वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय फरीदाबाद को सलामी
यद्यपि 1993 मैं देश में सबसे बड़ा locust invasion अर्थात दलों का हमला देखा गया था l जिसमें टिड्डी dalon locust swarms का आक्रमण लगभग देश के अधिकांश प्रदेशों में हुआ था l परंतु उस समय भी दिल्ली और फरीदाबाद तक locusts swarms नहीं प्रवेश कर पाए थे l परंतु इस वर्ष 2020 मैं locust swarms का incursion 1993 के इन करसन से भी बड़ा देखा गया l टिड्डी दल ओ के कुछ भाग या छोटे छोटे दल जोकि बड़े टिड्डी दल के कई हिस्सों में बट जाने से बने दिनांक 26 जून 2020 को रेवाड़ी तक प्रवेश कर लिया था यह टिड्डी दल हवा के favourable रुख अर्थात अनुकूल दिशा की ओर की वजह से दिनांक 27 जून 2020 को NCR के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश कर गया और वह फरीदाबाद मैं स्थित वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय जोकि टिड्डी चेतावनी संगठन का राष्ट्रीय मुख्यालय है को सलामी देता हुआ फरीदाबाद के सेक्टर 28 तथा नहर पार करके नोएडा की तरफ प्रवेश कर गया l टिड्डी दलों का नियंत्रण वैसे तो अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र मैं ही टिड्डी चेतावनी संगठन के द्वारा कर लेना चाहिए परंतु कई बार लगातार टिड्डियों के swarms के देश में प्रवेश करने की वजह से अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र में छुट्टियों का संपूर्ण नियंत्रण नहीं हो पाता है और वह दूसरे फसली इलाकों में चली जाती हैं या प्रवेश कर जाते हैं इस बार भी ऐसा ही हुआ l इस बार एनसीआर में प्रवेश करने वाला टिड्डी दल लगभग 10 किलोमीटर लंबा और करीब 6 किलोमीटर चौड़ा था ऐसी जानकारी मुझे समाचार पत्रों के द्वारा प्राप्त हुई l दोस्तों जो आपदा आती है उसका नियंत्रण भी होता है और वह चली भी जाती है परंतु वह हमारे लिए बहुत सारी सीख छोड़ जाती है l टिड्डी दलों का भारत के विभिन्न राज्यों में आक्रमण तथा दिल्ली व एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश होना हमें यह सीख देता है कि हमें किसी भी हानिकारक जीव या pest को कभी कम नहीं आंकना चाहिए जबकि टिड्डी तो एक अंतर राष्ट्रीय अथवा अंतर महाद्वीपीय हानिकारक जीव है जिसका प्रकोप कई बार भीषण दुर्भिक्ष या अकाल पैदा कर सकता है l इस वर्ष का और 27 जून 2020 का locusts swarms राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में प्रवेश हमें यह सीख देता है कि हमें लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन को हमेशा सभी रिसोर्सेज के सहित टिड्डियों के अचानक होने वाले आक्रमणों से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार रहना या रखना चाहिए इसके लिए लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन मैं सभी पोस्टों को हमेशा भरा रहना चाहिए तथा लोकस्ट की गतिविधि के शिथिल रहने के दौरान लोकस्ट का सघन सर्वेक्षण तथा लोकस्ट नियंत्रण के मॉकअप एक्सरसाइज करते रहना चाहिए l इसके साथ साथ लोकस्ट नियंत्रण में प्रयोग किए जाने वाले सभी यंत्रों एवं उपकरणों एवं गाड़ियों की मरम्मत तथा सर्विस होती रहनी चाहिए l 27 जून 2020 के दिन लोकस्ट का एनसीआर में प्रवेश करके लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय हेडक्वार्टर या मुख्यालय वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के नजदीक से टिड्डियों का निकल जाना उन सभी अधिकारियों कर्मचारियों को यह सीख देता है कि locust warning organisation का का समय-समय पर सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण टिड्डी नियंत्रण मशीनों गाड़ियों ,communication equipments की मरम्मत एवं रिक्त हुए पदों भरना एवं लोकस्ट इमरजेंसी से निपटने के लिए प्रतिवर्ष विस्तृत आकस्मिक योजना जिसमें आपातकालीन फंड या मद का भी प्रावधान हो ठीक उसी प्रकार से करते रहना चाहिए जिस प्रकार से हम अपनी भारतीय सेना को हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए करते हैं लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन एक प्रकार की पैरा डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन की तरह कार्य करती है और लोकस्ट इमरजेंसी के दौरान युद्ध की तरह लोकस्ट इमरजेंसी को नियंत्रित करती है इसके लिए वह सभी सुविधाएं होनी चाहिए जोकि डिफेंस सिस्टम में होती हैl लोकस्ट की आपत्ती इमरजेंसी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए l यद्यपि लोकस्ट एक रेगुलर pest नहीं है l परंतु वह अचानक कभी भी इमरजेंसी के रूप में उभर कर आ सकता है जिसके लिए हमें हमेशा 24 घंटा तैयार रहना पड़ेगा l जिस प्रकार से हमारी तीनों सेनाएं युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती हैं चाहे युद्ध ना भि हो युद्ध हमेशा नहीं होते हैं परंतु हमारी सेनाएं हमेशा किसी भी आपत्ति काल के लिए युद्ध झेलने के लिए तैयार रहती है l locust warning organisation को कम समझना हमारी सबसे बड़ी भूल होगी l देश को भुखमरी से बचाने के लिए locust warning organisation का सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए l
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