Tuesday, June 9, 2020

IPM के बारे में कुछ विचार

एकीकृत  नासिजीव प्रबंधन फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा  के काम में  आने वाली  सभी  प्रैक्टिसेज  एवं तकनीकी ओं को समेकित रूप में या एकीकृत  रूप में प्रयोग करने  का तरीका है l फसल उत्पादन  एवं फसल रक्षा के  काम में आने वाली   सारी  तकनीकी आ किसी  एक विभाग के  कार्य क्षेत्र के अंतर्गत  नहीं आ सकती हैं  आती है  l इन तकनीकों का लाभ उठाने के लिए  हमें  उन सभी विभागों  के संबंधित  IPM ke स्टेकहोल्डर्स  या भागीदारों के बीच में  समन्वय एवं सहयोग स्थापित करना आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु  एक प्रमुख आवश्यकता है l फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के काम में आने वाली सभी गतिविधियां   तथा प्रैक्टिसेस चाहे  चाहे वह Directorate of plant protection ,Quarantine and storage के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आती हो या  ना आती हो परंतु वे आईपीएम के   कार्यक्षेत्र  के अंतर्गत अवश्य आते हैं क्योंकि यह तकनीकी या एवं गतिविधियां  आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु  समेकित रूप में प्रयोग की जाती है l इसके कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार से है l
     यद्यपि पोषक तत्वों का प्रबंधन Nutrition management ,जल प्रबंधन,water management ,सॉइल कंजर्वेश organic जैविक खेती के लिए  प्रयोग किए जाने वाले  जैविक इनपुट Jaivik inputs inputs like vermicompost,organic nutrients , डी कंपोजर ,मुर्गियों  तथा गायों के मल मूत्र पर आधारित जैविक इनपुट आदि को बनाने का कार्य , marketing,loans and credits  आदि गतिविधियां डायरेक्टरेट आफ प्लांट प्रोटक्शन , क्वॉरेंटाइन एंड स्टोरेज के कार्यक्षेत्र के अंतर नहीं आती है परंतु यह सभी गतिविधियां उत्तम फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण  एवं IPM हेतु आवश्यक गतिविधियां है l यह गतिविधियां भी IPM के क्रियान्वयन हेतु IPM practices  ही मानी जाती हैं l इन गतिविधियों को IPM में महत्त्व एवं बढ़ावा देने के लिए हमें इन गतिविधियों से संबंधित सभी विभागों एवं उनसे संबंधित IPM के भागीदारों से समन्वय एवं सहयोग स्थापित करना पड़ेगा तभी हम भरपूर एवं सुरक्षित फसल उत्पादन कर सकेंगे ,जो कि आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है  l किसी भी  स्कीम ,कंसेप्ट  तथा विचारधारा से सही लाभ लेने के लिए  इस विचारधारा से संबंधित  सभी  गतिविधियों एवं  प्रैक्टिसेस को  सही तरीके से  अपनाना आवश्यक है l जब तक सही तरीके से सभी प्रकार की गतिविधियों एवं प्रैक्टिसेस को नहीं अपनाया जाएगा उस कंसेप्ट या विचारधारा से वांछित लाभ नहीं मिल सकेगा  l इसलिए आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु वे सारी गतिविधियां सही तरीके से अपनाना आवश्यक है  जिनसे सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, जैव विविधता, प्रकृति एवं समाज को नुकसान से बचाते हुए सुरक्षित एवं भरपूर फसल का उत्पादन किया जा सके जो कि आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य है चाहे वे गतिविधियां हमारे विभाग के कार्य क्षेत्र में आती हो या ना आती हो l  IPM का प्रमुख उद्देश्य सिर्फ फसल सुरक्षा ही नहीं बल्कि फसल सुरक्षा के साथ-साथ प्रकृति ,पर्यावरण ,समाज ,सामुदायिक स्वास्थ्य ,बायोडायवर्सिटी आदि की  सुरक्षा भी है l इसके अलावा IPM ki vichardhara लाभकारी, स्थाई, रोजगार एवं आय को बढ़ाने वाली तथा समाज और  प्रकृति के बीच में सामंजस्य स्थापित करने वाली होती है जिसके लिए फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा काम में आने वाली सभी गतिविधियां  जिनसे  सामुदायिक स्वास्थ्य , पर्यावरण,  प्रकृति व समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो  आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु उपयोग नहीं करना चाहिए l
         दोस्तों आईपीएम विचारधारा के कार्य क्षेत्र में आने वाली विभिन्न गतिविधियों जोकि हमारे अपने विभागीय कार्य क्षेत्र मैं नहीं आती है के आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु अपनाने के लिए और उससे संबंधित सभी सभी विभागों के बीच समय-समय पर चर्चा होनी चाहिए तथा इन गतिविधियों को आईपीएम के पैकेज आफ प्रैक्टिस में एक दूसरे से विचार विमर्श करने के बाद अवश्य शामिल किया जाना चाहिए  l उदाहरण के तौर पर सिंचाई विभाग, मिट्टी परीक्षण तथा मृदा संरक्षण से संबंधित विभाग  ,खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन से संबंधित विभाग, जैविक कृषि या ऑर्गेनिक फार्मिंग से संबंधित विभाग, प्रादेशिक कृषि विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान आदि जोकि विभिन्न प्रकार के आईपीएम से संबंधित शोध कार एवं गतिविधियां करते हैं तथा अपनी संस्तुति भी प्रदान करते हैं के बीच में समय-समय पर विचार विमर्श एवं बैठकों का आयोजन किया जाना चाहिए और इन बैठकों के आधार पर निकले गए रिसर्च को या नतीजों को आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिस में भी शामिल किया जाना चाहिए l  प्रायः देखा गया है कृषि प्रसार एवं प्रचार कार्यकर्ता जब कृषकों के बीच खेतों में या गांव में जाता है तो किसान की यह अपेक्षा रहती है की वह कार्यकर्ता उसकी हर प्रकार की समस्याओं का समाधान कर दे चाहे वह समस्याएं उसके कार्यक्षेत्र में आते हो या ना आते हो l Epert  extension worker मैं इस स्थिति को संभालने की कुशलता एवं योग्यता होनी चाहिए परंतु प्रत्येक व्यक्ति में हर प्रकार के योग्यता एवं ज्ञान नहीं हो सकता इसके लिए संबंधित विभागों के बीच में समय समय पर विचार-विमर्श गोष्ठियों एवं संवाद होते रहने चाहिए जिससे प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं के ज्ञान का updation  होता रहे और उसको आईपीएल के क्रियान्वयन हेतु इस्तेमाल किया जा सके l
2. कुछ लोगों के विचार से सिर्फ जैविक इनपुट का खेती में या फसल रक्षा हेतु प्रयोग करना ही आईपीएम कहलाता है l परंतु हमारे हिसाब से यह आईपीएम के सिद्धांत के अनुसार नहीं है l आईपीएम के सिद्धांत के अनुसार सभी मौजूदा ,कम खर्चीली, संभावित ,सहन करने लायक या खर्चा उठाने लायक तथा समाज के द्वारा  स्वीकार  की जाने वाली विधियों को ही इस प्रकार से प्रयोग करना चाहिए जिससे भरपूर फसल तथा सुरक्षित फसल का उत्पादन हो सके एवं समाज, प्रकृति ,पर्यावरण ,सामुदायिक स्वास्थ्य ,के ऊपर कोई विपरीत प्रभाव ना पढ़ सकेl IPM  क्रियान्वयन  हेतु जैविक इनपुट्स की उपलब्धता किसानों के द्वार तक सुनिश्चित करना आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु एक प्रश्नचिन्ह बने बना हुआ है यह समस्या बनी हुई है परंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आईपीएम इनपुट के अनुपस्थिति में या उपलब्ध ना होने की दशा में आईपीएम का क्रियान्वयन अथवा आप फसल का उत्पादन या फसल सुरक्षा नहीं की जा सकती ऐसी दशा में हमें आईपीएम  की अन्य उपलब्ध  सभी विधियों को इस प्रकार से प्रयोग करना चाहिए जिससे आईपीएम का क्रियान्वयन अपने उद्देश्य के अनुसार हो सके l आईपीएम के जैविक इनपुट आईपीएम को क्रियान्वयन करने हेतु सिर्फ सुविधा प्रदान कर सकते हैं परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि बिना जैविक इनपुट के आईपीएम का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता l
3. यद्यपि जैविक आईपीएम इनपुट की उपलब्धता कि किसानों के द्वार तक  सुनिश्चित करना IPM का एक  वरीयता  पूर्ण एवं प्रमुख कार्य क्षेत्र होना चाहिए जिससे आईपीएल के क्रियान्वयन हेतु सुविधा हो सके परंतु इनकी अनुपस्थिति में भी आईपीएम का क्रियान्वयन किया जा सकता है ऐसी विचारधारा भी कृषकों के बीच में जागृत करने चाहिए l

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