भारत में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण प्रायः एक प्रकार के हीरआर्की या अनुक्रम पद्धति से होकर गुजरता है जिसमें निम्न स्तर उपभोक्ता से तथा उत्पादक से ऊपर की ओर उच्च स्तरीय स्तर माननीय प्रधानमंत्री तक भागीदार के रूप में या स्टेकहोल्डर्स के रूप में व्यवहार करते हैं l इन सभी स्तरों पर नियत किए गए अधिकारी या प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ता ,वैज्ञानिक तथा राजनेता आदि अपने-अपने अलग-अलग विचारधाराओं से जुड़े हुए होते हैं जोकि हस्तांतरित किए जाने वाले प्रौद्योगिकी के कांसेप्ट या विचारधारा के बारे में अलग-अलग विचार रखते हैं तथा उस विचारधारा को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते वह समझते हैं l जबकि वह प्रौद्योगिकी या टेक्नोलॉजी किसी विशेष विचारधारा या विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाई जाती है जिसके मूल लक्ष्य या विचारधारा को सही प्रकार से समझना टेक्नोलॉजी ट्रांसफर or प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण होता है l टेक्नोलॉजी का विकास मूल रूप से जिस उद्देश्य को पूरा करने के लिए किया जाता है उसको प्राप्त करने के लिए उसमें बताई गई प्रैक्टिसेज को उसी प्रकार से सही तरीके से जिस तरीके से बताया गया है प्रयोग करना चाहिए जिससे वांछित नतीजे प्राप्त हो सके प्रायः देखा गया है कि जब टेक्नोलॉजी विभिन्न स्तरों से होकर गुजरती है तो विभिन्न विचारधाराओं के भागीदार अपने अपने विचार से उस कांसेप्ट को समझते हैं और लागू करने के लिए अपने माता हित स्टाफ को कहते हैं और करवाते हैं जिससे उसका मूल उद्देश्य प्राप्त नहीं होता है l टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण करने से पहले टेक्नोलॉजी के कंसेप्ट या विचारधारा को सही प्रकार से अध्ययन करना अति आवश्यक होता है l उदाहरण के तौर पर IPM सिर्फ वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन नहीं होता है बल्कि यह सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज के हि तो को ध्यान में रखते हुए फसलों में पाए जाने वाले हानिकारक जीवो का प्रबंधन करते हुए वनस्पति संरक्षण को करना होता है lपरंतु अक्सर यह देखा गया है की आईपीएम के भागीदार सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण का ही ध्यान रखते हैं इसके अलावा वे प्रकृति, समाज ,Samudayik Swasthya, yah public health ,पर्यावरण ,परिस्थितिक तंत्र ,प्राकृतिक संसाधनों आदि का बिल्कुल ही ध्यान नहीं रखते हैं जोकि आईपीएम के विचार धारा के विपरीत है Mul Roop se rashtriy IPM पर्यावरण का निर्माण उत्तम पर्यावरण हेतु आईपीएम अपनाएं के स्लोगन या ना रे से प्रारंभ किया गया था l जिसका मुख्य उद्देश्य वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ प्रकृति , पर्यावरण व समाज के हितों को भी ध्यान में रखना था l परंतु अक्सर यह देखा गया है कि आईपी m के स्टेकहोल्डर्स सिर्फ वनस्पति संरक्षण का ही ध्यान रखते हैं तथा समाज पर्यावरण प्रकृति सामुदायिक स्वास्थ्य जैव विविधता आदि का ध्यान नहीं रखा जाता अतः वह plant protection yah Vanaspati Sanrakshan hi Karte Hain tatha आईपीएम नहीं करते l क्योंकि आई पीएम के विचार धारा के विपरीत है कोई भी विचारधारा समाज व समय की मांग के अनुसार बनाई जाती है जिसका एक लक्ष्य होता है उस लक्ष्य पर सही प्रैक्टिसेस को लागू करके पहुंचा जाता है परंतु यह देखा गया है कि आईपीm के कई स्टेकहोल्डर्स आई पीएम के लक्ष्य को ध्यान में नहीं रखते हैं और अपनी समझ के अनुसार आईपीएम की विचारधारा को दूसरी दिशा में मोड़ देते हैं जिससे कांसेप्ट मैं चाहे गए नतीजे प्राप्त नहीं हो सकते आत किसी कंसेप्ट या विचारधारा को Lagu करने से पहले विचारधारा तथा उसके उद्देश्यों को समझ लेना अति आवश्यक होता है वैसे सभी टेक्नोलॉजी जीवन से किसी ना किसी प्रकार से जुड़ी हुई होती है किसी भी विचारधारा में अपनाई जाने वाली प्रैक्टिसेज का दुरुपयोग करने से बहुत सारे दुष्परिणाम जो जीवन को सुचारू रूप से चलाने को बाधक होते हैं अतः किसी भी विचारधारा को लागू करने के लिए उन में उपयोग की जाने वाली प्रैक्टिसेस को सही तरीके से अपनाना अति आवश्यक है उदाहरण के तौर पर हमने ग्रीन रिवॉल्यूशन या हरित क्रांति अधिक पैदावार करने वाली फसलों की प्रजातियों ,sinchai के साधनों के विकास, रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों उत्पादन एवं उपयोग प्राप्त किया परंतु इन्हीं इनपुट के दुरुपयोग से यही ग्रीन रिवॉल्यूशन या हरित क्रांति हरित अथवा सुरक्षित नहीं रही है l अतः हरित क्रांति को सुरक्षित रखना या हरित रखना अति आवश्यक होता है l इसके लिए रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का न्याय उचित ढंग से उपयोग करना ही आवश्यक all इनका अंधाधुंध प्रयोग सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं l इनके नुकसान से बचने के लिए हमें रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का उपयोग सीमित एवं न्याय उचित ढंग से करना चाहिए जिससे प्राकृतिक संसाधन संरक्षित हो सके तथा भूमि की उर्वरा शक्ति कायम रह सकेl अतः किसी टेक्नोलॉजी से लाभ प्राप्त करने के लिए उस टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग न किया जाए तथा उसके उद्देश्यों को दूसरी दिशा में ना घुमाया जाए इसी सिद्धांत से हम उस टेक्नोलॉजी से वांछित नतीजे प्राप्त कर सकते हैं l
Saturday, June 20, 2020
प्रौद्योगिकी का हस्तांतरणके बारे में कुछ विचारविचार few thoughts about the transfer of Technology
पृथ्वी पर जीवन को स्थाई तो रखने के लिए प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करना अति आवश्यक होता है जिससे जीवन सुचारू रूप से चल सके एवं जीवन को आरामदायक भी बनाया जा सके l जीवन को पृथ्वी पर स्थाई रखने के लिए प्रकृति व समाज से संबंधित सभी संसाधनों की सुरक्षा करना तथा उनका संरक्षण करना अति आवश्यक है l जीवन अक्सर डिसएग्रीमेंट्स से ही चलता है l अक्सर यह देखा गया है कि किसी भी विचारधारा के या कंसेप्ट के पक्ष में सिर्फ लगभग 10% जनमत होता है या लोग होते हैं तथा तथा विपक्ष में लगभग 90% लोग होते हैं l और फिर भी जीवन सुचारु रुप से चल रहा है l
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