Thursday, May 28, 2020

भारत में टिड्डी आपातकाल जारी है------भाग 2

भारत में  टिड्डी आक्रमण संबंधी जानकारी एवं अनुभव:  - मैंने फरवरी 1978 में भारत सरकार के वनस्पति संरक्षण,  संगrodh एवं संग्रह निदेशालय मैं पदभार ग्रहण किया था l इसी साल भारत में टिड्डी के आक्रमण हुआ था l  इससे पूर्व हुए टिड्डी के आक्रमणों की जानकारी रिपोर्टों के आधार पर ली जा सकती है  l सन 1986 मैं भी टिडियो का आक्रमण हुआ था परंतु  टिड्डी का सबसे बड़ा आक्रमण सन 1993 में हुआ था उस वक्त  यह आक्रमण मध्य प्रदेश राज्य तक पहुंच गया था l 2005 में locusts का आक्रमण भारतीय अनुसूचित रेगिस्तानी  क्षेत्र के भारत पाक सीमा से लगे हुए जैसलमेर व बाड़मेर तथा बीकानेर जिलों में हुआ था l जिनको माइक्रो नायर मशीनों की मदद से इसी क्षेत्र में नियंत्रित कर लिया गया था l और फसली एरिया में नहीं जाने दिया गया  था  l सन 2006 में माइग्रेटरी लोकस्ट का इनवेजन भारत चीन सीमा से लगे Jammu Kashmir ke  a Ladakh क्षेत्र  के cold desert  के  जंस्कार (Distt Kargil एवChalthang  (Distt Leh) घाटियों में हुआ था जिनको माइक्रो एल्बl  नामक  spray machines से नियंत्रित कर लिया गया था l टीटी नियंत्रण अभियान का संचालन एवं प्रबंधन हमारी देखरेख में हुआ था  l cold desert  यानी ठंडे मरुस्थल में locust control Abhiyan का यह पहला अनुभव था lइससे पहले ठंडे मरुस्थल में कभी भी लोकस्ट या टेडी नियंत्रण अभियान नहीं चलाया गया था  l
        सोशल मीडिया से   प्राप्त सूचनाओं  के आधार पर यह जानकारी प्राप्त हुई कि वर्ष 1919 में locusts का आक्रमण भी indo-pak बॉर्डर के पास हुआ था l  उस समय भी यह पता चला था कि locusts  का प्रवेश indo-pak बॉर्डर से हुआ है परंतु इसके साथ-साथ यह भी अनुमान लगाया जा सकता है हो सकता है यह आक्रमण locust  की local breeding के द्वारा भी हुआ  इसकी पुष्टि सिर्फ लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन के अधिकारियों से ही की जा सकती है lयह देखा गया है कि 20019 मैं हुआ यह locusts का आक्रमण दिसंबर 2019 तक सक्रिय रहा  l
           लोकस्ट के आक्रमण की जानकारी के लिए यह बहुत जरूरी है की लोकस्ट की मॉनिटरिंग राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेगुलरली की जाए l हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकस्ट की मॉनिटरिंग Food and Agricultural  Organisation (FAO)के द्वारा की जाती है और उनसे मॉनिटर की गई लोकस्ट सिचुएशन   को locist situation बुलेटिन के रूप में सभी सदस्य देशों को भेज दी जाती  हैl Directorate of plant protection, Quarantine and storage  को इस प्रकार की जानकारी लोकस सिचुएशन बुलिटिन के के रूप में  एफ ए ओ  द्वारा दी जाती है l

          भारत व पाकिस्तान में locusts के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्र पाए जाते हैं परंतु अफ्रीकन कंट्रीज में रेड सी के चारों तरफ locusts   के शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन दोनों प्रजनन क्षेत्र पाए जाते हैं  l जिससे इन क्षेत्रों में लोकस्ट पूरे साल मौजूद रहती है और अगर अनुकूल मौसम मिलता है तो इनकी प्रजनन बहुत तेजी से होता है तथा यह swarm  या झुंड बनाकर दूसरे क्षेत्रों में तथा दूसरे देशों में प्रवेश करने लगते हैं lभारत में locusts के प्रवेश करने के मुख्य रूप से दो रास्ते हैं एक तो locusts सऊदीअरबिया ,ईरान ,अफगानिस्तान ,एवं पाकिस्तान के रास्ते Indoपाकिस्तान के पश्चिमी इलाके जैसे कि जैसलमेर व बाड़मेर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों से प्रवेश करती हैं l  दूसरा यह रेड समुद्र को सीधे उड़कर गुजरात के कच्छ भुज एरिया में आ सकते हैं l इतनी लंबी उड़ान के दौरान यह लोकस्ट समुद्र में भी सेटल करती है और कुछ लोकस्ट समुद्र में डूबी जाती है l तथा बाकी बची हुई लोकस्ट उड़कर करके समुद्र पार करके गुजरात के कच्छ भुज एरिया से प्रवेश करती है l परंतु प्राप्त सूचनाओं के अनुसार इस वर्ष 2020 में जो लोकस्ट के दल आए हैं वह इंडो पाक सीमा के जैसलमेर तथा बाड़मेर सीमावर्ती इलाकों से प्रवेश करके आए हैंl इन locusts के प्रवेश मैं हवा के दिशा का बहुत बड़ा योगदान होता है  इसी तकनीकी कारण के वजह से पाकिस्तान locustsके आक्रमण के रोकथाम के लिए विशेष प्रयत्न नहीं करता है l क्योंकि गर्मियों के समय हवा का रुख भारत की तरफ होता है और locusts इसकी वजह से भारत की तरफ बढ़ती हैं इसलिए पाकिस्तान अपनी तरफ से बहुत कम प्रयास करता है इनके नियंत्रण के लिए l सर्दी  मैं दिसंबर के आसपास हवा का रुख बदलता है और यह locusts वापसी इसी रास्ते से घूमती हुई अफ्रीकन कंट्रीज में पहुंच जाती हैं lरास्ते यह locustsअपना पड़ाव डालती हुई वापस चली जाती हैl यह locusts  के भारत में प्रवेश के दो रास्ते हैंl.  
          इसके अलावा यह भी अनुमान लगाया जा सकता है की इंडो पाक सीमा से लोकस्ट इंवर्जन होने के अलावा कुछ जगहों पर शेड्यूल रिजल्ट एरिया में locusts  की लोकल ब्रीडिंग भी हुई हो क्योंकि इस वर्ष भी राजस्थान के कुछ सीमावर्ती भागों में तथा अन्य स्थानों में हल्की-फुल्की बरसात हुई थी जिससे scheduled Desert Area  पर्याप्त नमी रहने की संभावना थी इसके अतिरिक्त आजकल जो इंदिरा गांधी कैनाल निकली है उसके आसपास भी soil moisture  लोकस्ट के प्रजनन  के लिए अनुकूल रहता है l
         अभी प्राप्त सूचनाओं के अनुसार इस साल 2020 में locust के झुंड राजस्थान से उत्तर प्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा ,के कुछ भाग ,मध्य प्रदेश महाराष्ट्र ,तथा आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ कर पहुंच गए हैं जिससे मौजूदा सीजन में लगी हुई सब्जियां व अन्य फसलों तथा महाराष्ट्र में पाए जाने वाले फ्रूट जैसे अंगूर ,केला, संतरा आदि को भारी नुकसान हो सकता है lअनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र Scheduled Desert Area मैं locust  कंट्रोल की जिम्मेदारी लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन की होती है परंतु फसली एरिया में यह जिम्मेदारी राज्य सरकार के विभागों की होती  है l अतः सभी राज्य सरकारों को अपने स्तर पर अपने संबंधित विभागों को सतर्क करते हुए लोकस्ट कंट्रोल के लिए उचित कदम उठाने के लिए सख्त निर्देश दे देनी चाहिए और जितनी शीघ्र से शीघ्र हो लोकस्ट को आगे से कंट्रोल करना चाहिए l
        मानसून सीजन के प्रारंभ में तथा इसके दौरान उपयुक्त नमी होने की वजह से लोकस्ट के प्रजनन हेतु उपयुक्त परिस्थितियों पनपने की वजह से इस दौरान locust  आक्रमण के बढ़ने की पूरी की पूरी पूरी संभावना है अतः सरकार को लोकस्ट कंट्रोल ऑपरेशन के मैनेजमेंट के लिए वांछित सभी कंट्रोल पोटेंशियल को हमेशा तैयार रखना चाहिए के साथ-साथ लोकस्ट वार्निंग ऑर्गेनाइजेशन मैं खाली पड़े हुए पदों पर तुरंत ही नियुक्तियां कर देनी चाहिए l निदेशालय की विभिन्न स्कीम्स में कार्य कर रहे स्टाफ को समय-समय पर locust control हेतु प्रशिक्षण देने की योजना भी बनानी चाहिए और उनको उसको क्रियान्वयन करना चाहिए l हमारे देश पर locust  का खतरा हमेशा बना रहता है इसके लिए हमारे लोकस्ट स्टाफ को कंट्रोल पोटेंशियल सहित 24 घंटे तैयारी की हालत में रहना चाहिए जिस प्रकार से हमारे देश के सेना के जवान तैयार रहते हैं l locust warning organisation एक प्रकार का पैरामिलिट्री ऑर्गनाइजेशन या संगठन है जिसको खतरे से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार रहना पड़ता हैl

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