1. रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणामों का दृष्टिगोचर ना होना l
2. प्रकृति ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,प्राकृतिक रिसोर्सेस या संसाधनों के ऊपर रसायनिक कीटनाशकों के पडने वाले प्रभावों को अनदेखा करना l
3. कृष को के द्वारा रासायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणामों के साथ ही जीने की क्रिया को अपने लाइफ स्टाइल रोजमर्रा की चीजों में शामिल करना l
4. हरित क्रांति के बाद से हम खेती में रसायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं तथा इन्हीं रासायनिक कीटनाशकों के साथ अपने जीवन को जी रहे हैं यद्यपि इनके दुष्परिणामों से भी हम प्रभावित हो रहे हैं परंतु फिर भी इन को अनदेखा कर रहे हैं l
5 कृषकों में रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग हेतु मानसिकता पनप चुकी है l
6. कृषक भाइयों में रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग की लत लग चुकी है l
7.रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत अल्टरनेट जैव कीटनाशकों की कमी होना l
8. रसायनिक कीटनाशकों की उपलब्धता का कृषकों के दरवाजे पर सुनिश्चित ना होना l
9 कृषकों के दिमाग में जैविक कीटनाशकों के प्रति विश्वास का ना होना l
10. कीटनाशकों के डीलरों तथा उद्योगों के कर्मचारियों के द्वारा कृषकों को रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के लिए बाध्य करना एवं प्रेरित करना l
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