Thursday, May 14, 2020
क्या बगैर पेस्टिसाइड्स के भारत में खेती की जा सकती हैwhether we can do farming without using chemical pesticides in India
1 जी हां l भारत में बगैर रासायनिक पेस्टिसाइड्स के प्रयोग से भी खेती की जा सकती है परंतु इसके लिए जरूरत है प्रबल इच्छा शक्ति, सही vision ,काम करने का जज्बा, समय रहते सही कदम उठाना, किसी भी कीमत पर सफलता प्राप्त करना जैसे प्रमुख सिद्धांतों की ,जिनको प्रयोग करके, जनता को जागरूक करके तथा प्रेरित करके एवं कानून के द्वारा बलपूर्वक लागू करके अपनाया जा सकता है lइस प्रकार की रणनीति अभी हाल में आई हुई कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने भारत में अपनाई थी l जब बगैर दवाई के करो ना जैसी बीमारी की रोकथाम की जा सकती है तो बगैर रसायनिक कीटनाशकों के फसल उत्पादन भी किया जा सकता है l इसके लिए जरूरत है प्रबल इच्छा शक्ति की, सही नेतृत्व की तथा सही समय पर उचित कदम उठाने की एवं सही विधियों को सही तरीके से अपनाने की l इसके अतिरिक्त कृषकों को उनके द्वार पर आईपीएम inputs की उपलब्धता सुनिश्चित करने की परम आवश्यकता है l सरकार को रसायनिक कीटनाशकों के समानांतर जैव कीटनाशकों के उत्पादन हेतु उत्पादन इकाइयों एवं उत्पादन उद्योगों को भी स्थापित करना चाहिए जिससे कृषकों को जैव कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके l यद्यपि कीटनाशकों के ना होने पर भी वर्तमान में मौजूद नासिजीवो के प्रबंधन की सभी विधियों को उचित तरीके से, सही समय पर, सही ढंग से प्रयोग करके फसलों का उत्पादन बगैर रसायनिक कीटनाशकों के भी किया जा सकता हैl ऐसा अनुभव किया गया है कि कोई भी नासि जीव प्रबंधन की विधि आईपीएम प्रैक्टिस हो भी सकती है और वह नहीं भी हो सकती l उदाहरण के तौर पर कीटनाशकों का न्यायोचित तरीके से इस्तेमाल करना ,उनका सिर्फ इमरजेंसी के दौरान ही प्रयोग करना आईपीएम प्रैक्टिस के रूप में कहा जाता जबकि इनका अंधाधुंध तरीके से प्रयोग करना आईपीएम प्रैक्टिस नहीं होता है l इसी प्रकार से फसलों की कटाई के बाद फसल के अवशेषों को अंधाधुंध तरीके से जलाना आईपीएम प्रैक्टिस नहीं होता है जबकि उनको देख करके उनके अंदर मौजूद लाभदायक जीवो की संख्या का आकलन करके उनका कंजर्वेशन करना आईपीएम प्रैक्टिस कहलाता है l
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