Sunday, May 24, 2020
आत्मनिर्भर खेती से ही आत्मनिर्भर भारत बनने का सपना पूरा किया जा सकता है
माननीय प्रधानमंत्री जी के कहने के अनुसार 21वी सदी भारत की सदी होगी l इसके लिए हमें संकल्प ही नहीं बल्कि कर्तव्यों का निर्वाहन भी करना पड़ेगा l करो ना जैसी महामारी के झेलने के बाद हमें व हमारे भारत को आत्मनिर्भर होना पड़ेगा l भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए या होने के लिए आत्मनिर्भर खेती का होना अति आवश्यक है l आत्मनिर्भर खेती के लिए आत्मनिर्भर कृषक होना भी अति आवश्यक है l इसके लिए कृषकों का इतना सक्षम होना आवश्यक है कि वह खेती करने के लिए बैंकों पर तथा कृषि पदार्थों को खरीदने वाले दुकानदारों पर पर , साहूकारों पर तथा बैंकों पर कृषि लोन लेने के लिए आधारित ना रहे और उनके अंदर इतनी क्षमता विकसित हो कि वह इन लोन के स्थान पर कृषि इनपुट खरीदने के लिए लिए स्वयं खर्चा कर सकें l इस प्रकार की खेती को कई बार जीरो बजट फार्मिंग या शून्य बजट पर आधारित खेती कहते हैं l इस प्रकार की खेती में होने वाला खर्चा बहुत हद तक कम करके लोन पर आधारित खेती को स्वयं कृषकों पर आधारित खेती बनाया जाता l इस प्रकार की खेती में इनपुट जैसे बीज एवं फर्टिलाइजर्स तथा पेस्टिसाइड आदि की खरीद को कम से कम कर दिया जाता है तथा खेती को प्रकृति से सामंजस्य बैठाकर परंपरागत विधियों को बढ़ावा देकर किया जाता है l प्रकार की खेती में पाए जाने वाले बीजों , फर्टिलाइजर्स के लिए हरी खाद वाले फसलों जैसे ढांचा ,नील , सनई आदि का प्रयोग करके तथा गोबर की खाद ,हड्डियों की खाद पशुओं के मल मूत्र, तथा केंचुआ खाद आदि पर आधारित खाद को प्रयोग करके खेती की जाती है l इसके अतिरिक्त खेती करते समय मुख्य फसल के साथ-साथ खेतों की बॉर्डर पर बॉर्डर फसलों को तथा मुख्य फसलों के साथ-साथ अंतर फसलों व सह फसलों को बढ़ावा देकर इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग जैसी पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाता है l जिससे फसल में पाए जाने वाले हानिकारक कीट है इन फसलों पर आकर्षित हो और मुख्य फसल को बचा सकें l इसके अतिरिक्त बहुत फूलों वाली फसलें भी खेतों के चारों ओर बॉर्डर क्रॉप की तरह लगाते हैं जिससे यह फसलें खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो को भोजन प्रदान करके उनके संरक्षण में मदद करती call इसके अतिरिक्त खेती मैं प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का व्यर्थ में दो ना करते हुए उनका न्यायोचित ढंग से प्रयोग किया जाता है इस प्रकार से खेती को तथा कृषकों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है l
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