Saturday, May 23, 2020

अपने अनुभवों के आधार पर इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अर्थात आईपीएम को स्वयंपरिभाषित करें

एकीकृत नाशिजीव प्रबंधन या इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अर्थात आईपीएम को अपने स्वयं के  व्यवसायिक, सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक , राजनीतिक ,प्रायोगिक   तथा खेतों में किए गए आईपीएम के कार्यों के अनुभव के आधार पर स्वयं को परिभाषित करना चाहिए l किसी भी विचारधारा को उसके  विभिन्न उद्देश्यों को सर्वप्रथम सही तरीके से समझ कर उनको पूरा करने के हेतु विभिन्न गतिविधियों का चयन करना चाहिए  तथा  विचारधारा को क्रियान्वयन करने के लिए अपनाना चाहिए l अक्सर यह देखा गया है कि आईपीएम की परिभाषा एवं उनके क्रियान्वयन तथा उसका कार्यक्षेत्र आईपीएम के स्टेकहोल्डर्स, अपने वरिष्ठ  साथियों , अधिकारियों ,फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा  बताई गई परिभाषा   तथा गूगल एवं इंटरनेट के द्वारा  डाउनलोड की  गई जानकारी के आधार पर और उसी तक सीमित रखते हुए आईपीएम को समझते हैं ,परंतु हमारे विचार से IPM जीवन के हर पहलु  से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण अथवा कृषि उत्पादन की विधि है या तरीका है  , जिसमें हम प्रकृति, समाज ,सामुदायिक स्वास्थ्य ,इको सिस्टम, तथा हमारे चारों ओर पाए जाने वाले पर्यावरण को कम से कम नुकसान  पहुंचाते हुए कृषि उत्पादन अथवा वनस्पति संरक्षण या nashiजीव प्रबंधन करते हैं lआईपीएम को परिभाषित करने के लिए हमें IPM  ki विचारधारा को अपने व्यवसायिक, आर्थिक, पर्यावरण ,प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से समझना चाहिए एवं उस पर विचार तथा मनन करना चाहिए तथा इन दृष्टि कोणों के आधार पर आईपीएम को स्वयं से परिभाषित करना चाहिए l क्योंकि IPM  सिर्फ खेतों में पाए जाने वाले हानिकारक जीवो अर्थात pests  की संख्या का ही नहीं प्रबंधन करता है बल्कि वह समाज की विभिन्न गतिविधियों, प्रकृति के संसाधनों एवं पारिस्थितिक तंत्रों का भी सही तरीके से संचालन करने में एवं उनका प्रबंधन करने में अपना विशेष योगदान देता है l pest management को तो सभी कृषक भाई अपने अनुभव के आधार पर या किसी के बताए जाने के आधार पर अपनाते हैं परंतु ऐसा पेस्ट मैनेजमेंट जो समाज और प्रकृति के बीच में सामंजस्य स्थापित करते हुए , प्रकृति के  संसाधनों व पर्यावरण का संरक्षण करते हुए किया जाता है वह इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट कहलाता हैl
  वह वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन जो किसानों की आर्थिक स्थिति तथा जीवन चर्या , पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति व समाज को ध्यान में रखते हुए नहीं किया जाता है वह आईपीएम नहीं बल्कि साधारण रूप से प्लांट प्रोटक्शन कहलाता है l आईपीएम को स्वयं  परिभाषित करने के लिए हमें आईपीएम की सभी गतिविधियों को समाज ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र एवं प्रकृति से जोड़कर अवश्य देखना चाहिए तथा इनके लिए हितेषी विधियों का प्रयोग करके ही आईपीएम को क्रियान्वयन करना चाहिए तथा आईपीएम को परिभाषित भी करना चाहिए  l
     दोस्तों ,किसी भी विचारधारा को समझ बूझ कर उसका सही मतलब समझ कर विवेकपूर्ण प्रतिक्रिया करने पर ही वांछित रिजल्ट या नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l अतः IPM में विवेकपूर्ण निर्णय लेना अति आवश्यकता है lशीघ्र से शीघ्र बगैर सोचे समझे ,बगैर पारिस्थितिक तंत्र का विश्लेषण किए हुए निर्णय लेने से सही नतीजे प्राप्त नहीं होते हैं lआत: विवेकपूर्ण लेना IPM की मुख्य विचारधारा है l
    आत :अपने अनुभव के आधार पर, अपने विवेक  एवं अनुभव के आधार पर ही आईपीएम को परिभाषित किया जा सकता है 
  आज के सामाजिक ,आर्थिक ,प्राकृतिक ,पर्यावरणीय परिदृश्य एवं परिपेक्ष में स्वस्थ फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा के तरीके सुरक्षित ,स्थाई ,लाभकारी, आय व व्यापार को बढ़ावा देने वाले तथा समाज व प्रकृति के बीच तालमेल रखने वाले व किसानों की जीवन शैली या जीवन स्तर में सुधार करने वाले और उसको सरलतम तथा सुगम बनाने वाले होने चाहिए l इन्हीं आवश्यकताओं के आधार पर आईपी m की विधियां का चयन किया जा सकता है एवं आईपीएम को परिभाषित भी करना चाहिए l  इसके लिए हमें ट्रेडिशनल फॉर्मिंग से हटकर वैज्ञानिक एवं लाभकारी इंटीग्रेटेड फार्मिंग की तरफ रुख करना चाहिए और उसमें उपरोक्त सिद्धांतों के आधार पर IPM को क्रियान्वयन करके रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना चाहिए एवं कृषकों की आमदनी को बढ़ाना चाहिए साथ ही साथ पर्यावरण व प्रकृति के संसाधनों को सुरक्षित रखते हुए कृषकों के जीवन को सरल तरल एवं सुगम बनाना चाहिए l
        एकीकृत नासि जीव प्रबंधन प्रकृति व समाज को नुकसान पहुंचाए बिना खेती करने का एक तरीका है या वनस्पति संरक्षण का एक तरीका है l यह एक प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम है जिसमें कृषकों व आईपीएम के अन्य भागीदारों  मैं कम से कम लागत से कम से कम कीटनाशकों का प्रयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैवविविधता , प्रकृति व समाज को कम से कम हानि पहुंचाते हुए , वनस्पति संरक्षण की सभी मौजूदा, संभावित ,समाज के द्वारा  acceptable  विधियों 

        को एक साथ सम्मिलित रूप से प्रयोग करके फसलों के हानिकारक जीवो की संख्या को फसल पारिस्थितिक तंत्र में आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए भरपूर भोजन तथा  खाद्य  सुरक्षा के साथ-साथ  खाने योग  पर्याप्त सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने की योग्यता प्रकृति और समाज में तालमेल के साथ इस प्रकार से विकसित की जाती है कि  हमारे आसपास का पर्यावरण  स्वक्ष , हरा भरा  ,और जीवन को स्थाई रखने वाला  बना रहे  l तथा प्राकृतिक संतुलन कायम रहे l

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