2. आईपीएम के कुछ भागीदारों तथा हमारे वैज्ञानिकों के बीच में एक भ्रांति यह भी है की देयर आर मैनी थिंग्स टू से बट नथिंग वर्क्स except chemical pesticides l इस संबंध में मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जिन लोगों के दिमाग में यह भ्रांतियां है वह आईपीएम के वास्तविक उद्देश्यों को नहीं समझ पाते हैं या वह पूर्ण रूप से पेस्टिसाइड माइंडेड व्यक्ति हो चुके हैं l उनसे मैं यह कहना चाहता हूं कि आईपीएम की अन्य विधियां जो भी विकसित की गई है वह हमारे और आप जैसे वैज्ञानिकों के द्वारा ही विकसित की गई है तथा उनका प्रयोग फील्ड में भी किया गया है l अगर किसी भागीदार को इन विधियों पर विश्वास नहीं होता है तो या तो उन भागीदारों ने उन विधियों का प्रयाग प्रैक्टिकल रूप में नहीं किया है या जो काम हुआ है वह pseudo work हुआ है l यहां यह आरोप लगाना उचित नहीं होगा कि जो हमारे वैज्ञानिकों ने काम किया है वह pseudo work है l हो सकता है कि किसी ने किसी पार्टी कूलर क्रॉप में जो काम किया हो उसके या तो सही रिजल्ट ना आए हो या काम ही सही तरीका अपनाकर ना किया गया हो और अपने विचारधारा के अनुसार यह कह दिया गया हो कि यह विधियां प्रभावहीन है lअगर किसी व्यक्ति ने कोई काम नहीं किया है तो वह उन विधियों के प्रभाव के बारे में बताने में संकोच अवश्य करता रहेगा l स्वयं की अपनाने के बाद ही भागीदारी से आत्मविश्वास पैदा होता है और इसी आत्मविश्वास में विश्वास के बल पर कोई भी व्यक्ति यह कह सकता है कि अमुक विधि से यह रिजल्ट आते हैं l किसी विधि को सही तरीके से अपनाने के बाद ही सही नतीजों की अपेक्षा की जा सकती है l
Monday, May 18, 2020
आईपीएम विचारधारा के बारे मेंआईपीएम भागीदारों मैं पाई जाने वाली कुछ भ्रांतियों का स्पष्टीकरण
इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट या IPM के क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि क्रियान्वयन करने से पहले आईपीएम की विचारधारा को स्पष्ट रूप से समझ लिया जाए एवं समझ कर उस पर विचार करके उसको गुण करके उसका प्रायोगिक अध्ययन करके ही किसी अन्य से या शास्त्रार्थ किया जाए l आईपीएम एक ऐसा विषय है जो फसल उत्पादन की प्रणाली को प्रायोगिक तौर पर क्रियान्वयन करके ही सीखा जा सकता है ,समझा जा सकता है और उसका आगे भविष्य में क्रियान्वयन किया जा सकता हैl इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट की परिभाषा आईपीएम के हर भागीदार को अपने खेतों में किए गए अनुभवों के आधार पर स्वयं बनानी चाहिए l तभी उसका सही स्वरूप समझ में आ सकेगा एवं उसका सही तरीके से खेतों में फसल उत्पादन हेतु क्रियान्वयन किया जा सकेगा l आईपीएम के कुछ भागीदारों के मत के अनुसार सिर्फ और सिर्फ जैविक विधियों को बढ़ावा देना ही आईपीएम कहलाता है तथा इसके साथ साथ रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को ना करना या कम करना ही आईपीएम कहलाता है परंतु अनुभव के आधार पर यह नहीं है l IPM एक ऐसी विचारधारा है जिसके अनुसार हम भोजन सुरक्षा यानी फूड सिक्योरिटी के साथ साथ फूड सेफ्टी का भी ध्यान रखते हैं एवं इसके साथ साथ जो विधियां हम फसल उत्पादन के लिए प्रयोग करते हैं या फसलों में पाए जाने वाले हानिकारक जीवो के प्रबंधन हेतु प्रयोग की जाती हैं उनको इस प्रकार से प्रयोग किया जाता है कि उनका हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,प्रकृति एवं हमारे समाज पर विपरीत प्रभाव ना पड़े तथा इसके लिए हम इनके लिए हितेषी विधियों का ही प्रयोग करते हैं तथा इन विधियों से उत्पादन किया हुआ या किए गए कृषि उत्पाद खाने की दृष्टि से सुरक्षित तथा व्यापार की दृष्टि से व्यापार की शर्तों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण भी होनी चाहिए l यहां हम यह चीज स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि IPM सिर्फ और सिर्फ जैव नियंत्रण विधियों को बढ़ावा देकर ही नहीं किया जाता बल्कि इसके साथ साथ मौजूदा हालत में जो भी pest management ki विधियां उपलब्ध होती है उनका ही प्रयोग समेकित रूप से इस प्रकार से किया जाता है की इनका समाज और प्रकृति तथा पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े इसके साथ साथ खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित बनी रहे l
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