Friday, December 31, 2021

आई पी एम क्रियान्वयनके कुछ सिद्धांत

1.जब तक काम चलता हो  गी जा से
    बच कर रहे दवा से
1.2.आईपीएम अपनाने अथवा किसी महामारी से निपटने हेतु कृपया जागरूक रहें ,सतर्क रहें एवं एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाएं
2.No first use of chemicals .
3 .Use chemical pesticides only as an emergency tool. 
4.Lets not make Development catestrophic  in nature. विकास को कभी विनाशकारी ना बने ने दिया जाए l
5.GDP पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय असामाजिक प्राकृतिक विकास किया जाए l
6. सुरक्षित भोजन के साथ साथ खाद्य सुरक्षा पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है l
7.Crop Management through systematic approach  is modern concept of IPM. सुव्यवस्थित ढंग से फसलों का संपूर्ण प्रबंधन आईपीएल की आधुनिक विचारधारा है l
8.Get rid  of from pests problems with minimum expenditure and least disturbance to community health,Environment, ecosystem, biodiversity, nature and society are the main objectives of IPM.
9.Avoid pesticides till we can avoid.
10 . IPM is based on nature's  principles .There is no place of chemical farming in the nature. Natural System is self operating system which is helpful to each others both living and nonliving. 
11.Making agroecosystem bettersuited to beneficial organisms found in agroecosystem and unfit for harmful organisms or pests found in Agroecosystem. 
12.Live and let live is the basic principle of IPM.
13.


Wednesday, December 29, 2021

Ecological Engineering Demonstrations in Cole Crops an Experience.गोभी वर्गीयसब्जियों मेंइकोलॉजिकल इंजीनियरिंगप्रदर्शनका एक अनुभव

  Growing of another crop or crops along with the main crop or crops is called as companion Farming .This is done for particular purpose  to manipulate the habits of different pests and defenders found in a crop field is also referred as Ecological Engineering.  A demonstration of Ecological Engineering in cole crops conducted by the Directorate of plant protection,quarantine and Storage during Krishi Vasant 2014 held from 09-13 Feb,2014 at Central Institute for Cotton Research ,Nagpur.In this demonstration the Cole crops were bordered by Su flower,Mustard,Merigold,and Coriender crops .Sunflowers was the tallest crop able to attract eggs of Helicoverpa pest .It was followed by two rows of Mustard crop to attract Chrysoperla and Lady bird beetle types of benefecial insects . Again it was followed by one row of Merigold crop . The whole sequence is further followed by two rows of Coriender crop which is  being an excellent crop for attracting different natural enemies of different crop pests of these Cole crops .These crops  were sown right from border of the field to towards  inside of the field and  main cole crops respectively.
  Merigold crop was preferable crop for egg laying of Helicoverpa.  It was observed that Cabbage and Cauliflower crops were found affected with Aphid and the Aphid population on Cole crops was found parasitized by Aphidius, a potential parasitoid of Aphid .This parasitoid could be able to manage the Aphid population on  these cole   crops . This demonstration was visited by thousands of the farmers Visited  Krishi Vasant 2014 at Nagpur along with Hon the then President of India  Shri Pranabh Mukherjee  ji. They were impressed by seeing the role of Parasitoid Aphidius on Aphid for managing the population of Aphid on these cole crops ie Cabbage and Cauliflower without use of chemical pesticides.

Tuesday, December 28, 2021

आई पी एम में Companion Farming सहचर फार्मिंग या सह फार्मिंग का योगदान

जब मुख्य फसल के साथ अन्य फसलों को सहचर फसलों के रूप में उगाते हैं तो फसल उत्पादन के इस पद्धति को सह फार्मिंग अथवा सहचर फार्मिंग या Companion कहते हैं l इस प्रकार की खेती के कई उद्देश्य होते हैं उनमें से कुछ निम्नलिखित है l
1. हानिकारक और लाभदायक कीटो को आकर्षित अथवा दूर भगाने के लिए l
2. हानिकारक कीटों के प्रबंधन हेतु l
3 .खेत के सूक्ष्म पारिस्थितिक तंत्र को लाभदायक जीव हितेषी बनाने में सहायक होता है जोकि लाभदायक जीवों के संरक्षण में सहायक होता है  l
4. लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के आवासीय क्षेत्र को अथवा हैबिटेट को उनके लिए अनुकूल बनाने में सहायक हो ना l
5. खेत की भूमि मैं पाए जाने वाले पोषक तत्वों के संतुलन बनाने में सहायक हो ना l
6. खरपतवार  नियंत्रण में सहायक होना l
7. किसानों की अतिरिक्त आमदनी करने में मदद करना  l
8. कुछ फसलों में चिड़ियों के लिए लंबी फसलें मचान का काम करते हैं इससे मुख्य फसल बच जाती है क्योंकि इन चिड़ियों का नुकसान लंबी फसलों पर ही होता है और छोटी फसलें बच जाती हैं l.
9. गैर सीजन बगैर क्षेत्र के पौधे आपस में नहीं लगाना चाहिए
सह फसलों को किस हिसाब से लगाना चाहिए:-
1. एक ही फैमिली की सह फसलों  को साथ-साथ नहीं लगाना चाहिए  l
2. पानी की जरूरत के हिसाब से सह फसलों को लगाना चाहिए अर्थात ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलों के साथ कम पानी वाली फसलों को नहीं लगाना चाहिए l
3. सिंचाई की सुविधा के हिसाब से लगाना चाहिए अर्थात कई बार ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के साथ कम ज्यादा पानी की चाहने वाली फसलों को लगा सकते हैं l
4. परिपक्वता के समय के अनुसार या कटाई के समय के अनुसार फसलों को लगाना चाहिए l
5. न्यूट्रिएंट्स balancing  के हिसाब से फसलों l
 को लगाना चाहिए
सहफसलों की खेती के कुछ उदाहरण:----
1. पत्तेदार सब्जियों के साथ मक्का लगा सकते हैं
2. सुगंध वाली फसलों जैसे पुदीना लहसुन प्याज आदि को मुख्य फसलों के बीच में लगाना चाहिए
3. टमाटर के बीच में धनिया लगा सकते हैं
4. टमाटर के बीच में गेंदा लगाने से जमीन से नीचे पाए जाने वाले निमेटोड का नियंत्रण होता है
5. लंबी फसलों के नीचे छाया पसंद करने वाली फसलों को लगाया जा सकता है l
6. घीया तोरी के नीचे पालक धनिया लगा सकते हैं
7. टमाटर व धनिया को एक साथ लगाया जा सकता है l
8. रोटी वाली अर्थात सीरियल फसलों के साथ दाल वाली फसलें से फसलों के रूप में नहीं लेनी चाहिए l
9.

Friday, December 24, 2021

Let's go away from Chemical Farming रासायनिक खेती से दूर चले

साठ के दशक से अब तक खेती में रसायनों जैसे कि रसायनिक उर्वरकों तथा रासायनिक कीटनाशकों का प्रभुत्व रहा है जिसके बहुत सारे दुष्परिणाम हमें प्राप्त हुए हैं जो कि हमारे पर्यावरण, सामुदायिक स्वास्थ्य ,जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति तथा उसके संसाधनों तथा समाज पर अनेक प्रकार से विपरीत प्रभाव डालते हैं l  इन विपरीत प्रभावों से बचने के लिए यह आवश्यक हो गया है कि अब रसायन वाली खेती अथवा केमिकल फार्मिंग से दूर चला जाए और बिना केमिकल वाली फार्मिंग या खेती को बढ़ावा दिया जाए l इस ओर  पहला कदम बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने स्ट्रैंथनिंग एंड मॉडर्नाइजेशन आफ इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अप्रोच इन इंडिया नाम की एक स्कीम लांच किया जिसके अब संपूर्ण भारत में लगभग 36 सेंट्रल इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सेंटर विभिन्न राज्यों में स्थापित किए गए हैं जो खेती में रसायनों के उपयोग को कम करने वाली विधियों का राज्य सरकार एवं कृषकों के बीच में खेतों में प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण करके बढ़ावा देते हैं तथा कृषकों तथा राज्य सरकारों के बीच में रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाते हैं जिससे किसान भाई अपने खेतों में रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करें तथा खाने हेतु रसायन रहित  कृषि उत्पादों तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन कर सकें l एकीकृत नासि जीव प्रबंधन नाम की विधि या खेती की विचारधारा में रसायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु ही संस्तुति प्रदान की गई है l रसायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों को खेती में बिल्कुल प्रयोग ना करने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग अथवा जैविक खेती तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती नाम की दो विचारधाराएं विकसित की गई है जो आज कल आधुनिक विचारधाराओं के रूप में उभर कर सामने आ रही हैं इन दोनों प्रकार की विचारधाराओं में रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग वर्जित किया गया है l  ऑर्गेनिक खेती में  ऑर्गेनिक मैन्योर जैसे केंचुआ खाद ,हरी खाद आदि को बढ़ावा दिया जाता है l केंचुआ खाद की कीमत के हिसाब से बहुत ही महंगी खाद होती है जिससे कृषि उत्पादों का उत्पादन मूल कई गुना बढ़ जाता है तथा यह खाद कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है जिससे ओजोन लेयर डिप्लीशन होता है तथा ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन होने से पर्यावरण का तापक्रम मैं  बढ़ोतरी होती है l अतः इन दोनों चीजों से बचने के लिए श्री सुभाष पालेकर के द्वारा विकसित जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती प्रकाश में आई हैl यह खेती प्रकृति में चल रही फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की पद्धति पर आधारित खेती की विचारधारा है जिसमें रासायनिक उर्वरकों ,रसायनिक कीटनाशकों तथा केंचुआ खाद का प्रयोग वर्जित है या नहीं किया जाता है तथा बाजार से कोई भी इनपुट खरीद कर प्रयोग नहीं किए जाते हैं इस प्रकार से यह खेती शून्य लागत पर आधारित खेती है जो प्रकृति तथा समाज हितेषी खेती करने  की विचारधारा है l यह विचारधारा खुशी हुई पारंपरिक विधियों पर आधारित है l यह विचारधारा देसी गाय के गोबर तथा मूत्र के प्रयोग को बढ़ावा देती हैं और इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ सात जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है l इस प्रकार की खेती में फसलों के अवशेष खेतों में डीकंपोज होकर ऑर्गेनिक कार्बन मनाते हैं जो खेतों में फसलों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते  हैं l. जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती प्रकृति में चल रही फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण तथा फसल प्रबंधन की पद्धति के सिद्धांतों पर आधारित है l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मूल ता यह प्रकृति के सिद्धांतों पर आधारित खेती की एक विचारधारा है जिसमें यह दर्शाया गया है कि जब जंगल में पाए जाने वाले पेड़ पौधे बिना मनुष्य के हस्तक्षेप के भरपूर फसल उत्पादन या पेड़ों में फल देते हैं तो हमें फसल उत्पादन के लिए भी प्रकृति के इस नियम को अपनाना चाहिए और भरपूर फसल का उत्पादन लेना चाहिए प्रकृति के सभी संसाधनों का और सभी जीवाणु एवं जीवो का लक्षण हो सके l तथा फसल उत्पादन लागत भी नगण्य हो सके l राया यह अनुभव किया गया है कि इस प्रकार जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में 2 से 3 सालों तक फसलों की उत्पादकता या उत्पादन कम होती है और इसके बाद खेतों में विभिन्न प्रकार के लाभदायक जीवो तथा जीवाणुओं की वृद्धि गुणात्मक तरीके से हो जाती है जो फसल उत्पादन में सहायक होते हैं l इस प्रकार से यह देखा गया है कि जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में फूड सिक्योरिटी अर्थात फूड खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चित दो-तीन साल तक नहीं की जा सकती l ऐसी परिस्थिति में अथवा किसी आपातकाल की परिस्थिति में आईपी एम एक ऐसा विकल्प है जो रसायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की संस्तुति की इजाजत देता है अतः फूड सिक्योरिटी या खाद्य सुरक्षा तथा सुरक्षित भोजन के उत्पादन हेतु अभी भी एकीकृत नासिजीव प्रबंधन अथवा आईपीएम ही एक मात्र विकल्प है जिसमें जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले बहुत सारी गतिविधियों को समावेशित किया जा सकता है और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए भरपूर एवं सुरक्षित फसल उत्पादन किया जा सकता है l

Zero budget based natural farming

जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं मूत्र पर आधारित होती है इस खेती में देसी गाय के गोबर व मूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत तथा जामन वीजा मृत बनाया जाता है इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है  l जीवामृत का एक महीने में दो बार खेतों में छिड़काव किया जाता है l इस प्रकार की खेती में फसल के अवशेष डीकंपोज होकर ऑर्गेनिक कार्बन बनाते हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती प्रकृति में चल रही फसल उत्पादन व फसल सुरक्षा तथा फसल प्रबंधन के सिद्धांत पर आधारित है l

ऑर्गेनिक फार्मिंग Organic Farming

Organic Farming is an Agricultural farming System that uses fertilizers of organic in nature or origin such as compost manure including Vermicompost ,Green manure,and bone meal with other techniques such as crop Rotation and companion planting .
  In this farming no chemical fertilizers and chemical pesticides are allowed to be included .Besides this no G M seeds,  growth hormones and antibiotics are used in Organic Farming .
 It is a way of cultivation of crops without application of chemical fertilizers and synthetic pesticides, GM crops growth hormones and antibiotics.
 Inputs like Vermicompost used in Organic farming are very costly which increases the cost of production exorbitantly.
 Organic Farming is having a system of right from sowing to Certification in  which many agencies are involved. 
 Composting is the basic need of Organic Farming  in which large amount of Corbondioxide is evolved which deplete Ozone layer badly and increases greenhouse effect causes raise od temperature. 

Thursday, December 23, 2021

आई पी एम एक अन्य परिभाषा एवं कुछ अन्य अनुभव

आई पी एम प्रकृति ,समाज व जीवन से जुड़ी हुई एक विचारधारा है इसमें सभी प्रकार के फसल उत्पादन ,फसल रक्षा एवं फसल प्रबंधन के तरीकों या मॉडल्स में से उपयुक्त एवं आवश्यक विधियों का आवश्यकतानसार चयन करके उनको समेकित एवं सुरक्षित तरीके से इस प्रकार से प्रयोग करना जिससे प्रकृति, समाज ,पारिस्थितिक तंत्र को महफूज या सुरक्षित रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के योग्य सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता है  l जिसमें रसायन रहित विधियों को बढ़ावा दिया जाता है एवं रसायनों का प्रयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु ही किया जाता है l
   आईपीएम क्रियान्वयन के 38 वर्ष के सरकारी सेवा काल तथा 6 वर्ष के सोशल मीडिया के अपने  कुल 44 साल के अनुभव के आधार पर मैंने यह निष्कर्ष निकाला एक किसान स्वयं कोई आईपीएम इनपुट बनाने में कोई इंटरेस्ट रुचि नहीं लेता है बल्कि वह रेडी टू यूज आईपीएम इनपुट को वह ठीक उसी प्रकार से प्रयोग कर सकता है जिस प्रकार से वह रसायनिक खादों तथा रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करता है अर्थात अगर सरकार आईपीएम इनपुट का औद्योगिकीकरण करके बनाकर के किसानों के द्वार पर उपलब्ध करा सके तो किसान भाई आसानी से उनका उपयोग कर सकते हैं l उसी प्रकार से जीरो बजट फार्मिंग तथा अन्य फार्मिंग सिस्टम में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट का उत्पादन करना एक प्रश्नवाचक चिन्ह साबित हो सकता है l यद्यपि किसी काम को करने की अगर ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है और सभी प्रकार के इनपुट का उत्पादन संभव है तथा घर पर किया जा सकता है कुछ उन  inputs को छोड़ कर के जो बहुत ही साइंटिफिक या वैज्ञानिक तरीके से उत्पादित किए  जाते हैं l
    किसानों के बीच में मैं स्वयं जागरूकता होनी चाहिए कि उनको समाज के लिए स्वास्थ्य के हिसाब से सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना चाहिए तथा जहरीले कृषि पद्धति को बदलना चाहिए l उन्हें यह स्वयं समझना चाहिए की समाज को खाने हेतु सुरक्षित कृषि उत्पादों का उत्पादन करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है तथा खेती मैं जहरीले रसायनों का उपयोग बंद कर देना चाहिए तभी भावी पीढ़ियों को बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है l
    स्वयं की जागरूकता सतर्कता तथा एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाने की मंशा से किसी भी महामारी या महामारी जैसी समस्याओं से छुटकारा आसानी से पाया जा सकता है l
 किसी भी महामारी से छुटकारा प्राप्त करने के लिए सरकार का समर्थन एवं योगदान अति आवश्यक है जिसके बिना किसी भी विचारधारा या कंसेप्ट का सही प्रकार से क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती तथा आईपीएम पद्धति से की गई खेती से कृषि में रसायनों के उपयोग को संपूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है और एक स्वस्थ एवं समृद्धि साली समाज तथा मानव हितेषी पर्यावरण का निर्माण किया जा सकता है l
 अभी तक यह अनुभव किया गया की फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की जितनी भी  भी विचार धाराएं या कंसेप्ट वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित किए गए उनको किसानों ने भली प्रकार से क्रियान्वित किया और सही नतीजे प्राप्त किए जिसके फलस्वरूप देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ l अगर कुछ दुष्परिणाम सामने आए हैं तो वह दुष्परिणाम तकनीको को सही प्रकार से प्रयोग ना करने से प्राप्त हुए हैं जैसे रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर्यावरण प्रकृति व समाज संबंधी विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम सामने आए हैं l अतः किसी भी विचारधारा या प्रौद्योगिकी को सही तरीके से प्रयोग करने से ही सही नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l 

Sunday, December 19, 2021

प्राकृतिक खेती भाग 3

आज के सामाजिक ,आर्थिक, प्राकृतिक, जलवायु, एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन ,फसल सुरक्षा, अथवा आईपीएम तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी ,मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित, स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली ,समाज, प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली व जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण ,प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र के विकास को भी करने वाली व सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए l इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा ,उत्पादन लागत को कम करने वाली ,जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से समाज पर्यावरण व प्रकृति पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को निष्क्रिय करने वाली एवं सहन करने वाली होनी चाहिए l
 जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती का मतलब होता है वह खेती जिसमें भरपूर फसल हो और जेब से एक कौड़ी भी ना खर्च हो साथ ही जमीन की सेहत भी अच्छी बनी रहे पानी कम लगे वगैरा-वगैरा l
प्राकृतिक खेती में जमीन की उर्वरता बढ़ाने के लिए लगभग 3 साल तक एक ही जमीन में प्रयास एवं प्रयत्न करना पड़ता है तब वह अपने भरपूर ताकत दिखाती हैं l इन 3 सालों तक खाद्य सुरक्षा डामाडोल रहती है और सुनिश्चित नहीं हो पाती l खाद्य सुरक्षा की कोई गारंटी सुनिश्चित रूप से नहीं दी जा सकती l
यह खेती देसी गाय व उसके गोवर तथा मल मूत्र से बने हुए जीवामृत घन जीवामृत तथा वनस्पतियों पर बने हुए कीटनाशक एवं फफूंदी नाशक आदि इनपुट्स तथा फसलों के अवशेषों को आच्छादन के रूप में प्रयोग करना तथा प्रकृति और फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो तथा संसाधनों से बने हुए इनपुट के प्रयोग करने पर आधारित है l एक देसी गाय से लगभग 30 एकड़ खेती को कवर किया जा सकता है l इस प्रकार से खेती बिल्कुल नहीं जैविक इनपुट्स पर आधारित है जो फसल पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षण करने में मददगार होते हैं l खेती के क्रियान्वयन हेतु किस देश से जुड़े हुए प्राचीन ज्ञान को न केवल सीखने की आवश्यकता है परंतु उसको आधुनिक वैज्ञानिक की पद्धति के अनुसार तराशने की भी आवश्यकता है जिससे वर्तमान की खेती की चुनौतियों को दूर किया जा सके और वर्तमान वर्तमान खेती को वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार डाला जा सके l इसके अलावा जमीन में पाया जाने वाला देसी केंचुआ वे जमीन को वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराता है तथा इसके साथ साथ वह पानी का संरक्षण भी करता है l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं मुख्य फसल के साथ बॉर्डर क्राफ्ट एवं इंटर क्रॉप्स जैसी फसलें भी उगाए जाते हैं l इस तरीके की खेती में मुख्य फसल का लागत मूल्य अंतर फसलों के उत्पादन से निकाल लेते हैं और मुख्य फसल तो शुद्ध मुनाफे के लिए पैदा की जाती है l
प्राकृतिक खेती आई पी एम के सिद्धांतों पर आधारित खेती करने का तरीका है जिसमें कम से कम लागत में अधिक उत्पादन किया जाता है तथा रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता परंतु यह आई पीएम से एक प्रकार से भिन्न है की आई पी एम में सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है और किस प्रकार से आई पी एम में खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जा सकता है  l



Saturday, December 18, 2021

प्राकृतिक खेती के सिद्धांत भाग 2

1. क्षित जल पावक गगन समीरा
     पंचतत्व मिल बना शरीरा
अर्थात जीवन की उत्पत्ति एवं उसका स्थायित्व उपरोक्त पांच तत्वों के ऊपर निर्भर करता है l  यह तत्व है मिट्टी ,अथवा पृथ्वी, पानी ,अग्नि, आकाश एवं वायु l परंतु विडंबना यह है कि उपरोक्त सभी पांचों तत्व मनुष्य की  दिनचर्या तथा कृषि से संबंधित विभिन्न क्रियाओं तथा मशीनी करण से संबंधित विभिन्न क्रियाएं के दुष्परिणामों से या तो प्रदूषित हो चुके हैं या फिर डैमेज अथवा बर्बाद अथवा क्षतिग्रस्त हो चुके हैं l अतः जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए अब यह अति आवश्यक हो गया है कि उपरोक्त सभी तत्वों का संरक्षण एवं पुनर स्थापन किया जाए l इसके लिए कृषि कार्य में की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं मैं सुधार किया जाए और वह सारी क्रियाएं ना की जाए जिनसे इन सभी पदार्थों के ऊपर विपरीत प्रभाव पड़ता है l खेती में काम आने वाली विभिन्न क्रियाएं जैसे खेती में रसायनों जैसे रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग, फसल अवशेषों का अंधाधुन जलाना ,फसल पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचता है तथा प्रकृति में पाई जाने वाली फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की पद्धति बाधित होती है l मिट्टी एक ऐसा प्राकृतिक माध्यम है जिसमें फसल का उत्पादन किया जाता है  l मिट्टी में विभिन्न प्रकार के जिओ जो कि पृथ्वी के ऊपर एवं पृथ्वी के नीचे अथवा मिट्टी के ऊपर और मिट्टी के नीचे पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र ओं का निर्माण करते हैं इनके अंदर विभिन्न प्रकार के पदार्थ तथा सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं फसल उत्पादन में सहायक होते हैं रसायनों के उपयोग से यह सूक्ष्म जीवी नष्ट हो जाते हैं और फसल उत्पादन की पद्धति को बर्बाद करते हैं या बाधित करते हैं l  खेतों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अवशेषों को खेतों में जलाने से खेतों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के लाभदायक जीव नष्ट हो जाते हैं तथा जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है हमें खेतों में फसलों के अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए जिससे जैव विविधता तथा फसल पारिस्थितिक तंत्र एवं प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण हो सके और वह फसल उत्पादन में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकें l हमारे बीच में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र क्रियाशील रहते हैं जो फसल उत्पादन में विभिन्न प्रकार से मदद करते हैं l प्रकृति में फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण कि अपनी प्राकृतिक व्यवस्था चल रही है जिसको अध्ययन करके हमें फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण करना चाहिए जिससे विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र ओं को नुकसान पहुंचाए बिना खेती की जा सके l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती इसी सिद्धांतों पर आधारित है l विभिन्न प्रकार की दैनिक क्रिया एवं एवं मशीनरी करण से क्षतिग्रस्त हुए विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र एवं जीव का प्रकृति में पुणे स्थापन करना प्राकृतिक खेती की प्रथम आवश्यकता है l हमारे जीवन में प्रतिदिन चुनौतियां आती रहती हैं जिनका निवारण एवं सामना करके हम आगे बढ़ते हैं इसी को विकास या डेवलपमेंट कहते हैं विकास को इस प्रकार से किया जाए कि वह विनाशकारी ना बने यह प्राकृतिक खेती का दूसरा सिद्धांत है l कोई भी टेक्नॉलॉजी इस प्रकार से विकसित की जाए कि वह प्रकृति व समाज को विपरीत प्रभाव न पहुंचा सके कभी हमारे साथ समाज के साथ साथ प्रकृति व पर्यावरण का भी विकास हो सकेगा l आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक पर्यावरण एवं प्राकृतिक विकास करना आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती का तीसरा प्रमुख सिद्धांत है l
      मिट्टी की उर्वरता को कायम रखना पानी की कमी हेतु पानी का संरक्षण करना तथा कम पानी चाहने वाली फसलों का उत्पादन करना कृषि का विभिन्न क्षेत्रों में विविधीकरण करके किसानों की आय बढ़ाना खाने की दृष्टिकोण से सुरक्षित भोजन तथा व्यापार के दृष्टिकोण से गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना खेती को लाभ प्रद बनाना कृषि उत्पादन की लागत कम करना तथा किसानों की आमदनी बढ़ाना पर्यावरण जैव विविधता प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना आज की खेती अथवा प्राकृतिक खेती की परम आवश्यकता है l 1960 के दशक से पहले हम खेती में रसायनों का उपयोग नहीं करते थे जिससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता था और फसल उत्पादन भी सुरक्षित तरीके से किया जा सकता था इसके बाद खेती में रसायनिक युग आया जिसने हमें खाद्य सुरक्षा प्रदान की परंतु इसके साथ साथ रसायनों के उपयोग से विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम भी प्राप्त हुए l अतः इन दुष्परिणामों को खेती करते समय दूर करना प्राकृतिक खेती का मूल सिद्धांत है और फिर दोबारा से पारंपरिक खेती को बढ़ावा देना ख्वाब बैक टू बेसिक अथवा मूल या खेती के बुनियादी तरीकों पर पर वापस आना प्राकृतिक खेती का तीसरा बड़ा सिद्धांत है l

Wednesday, December 15, 2021

प्राकृतिक खेती से लाभ

1. जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती प्रकृति के सिद्धांतों पर तथा खेती हेतु बाजार से कोई भी इनपुट प्रयोग न करने के सिद्धांत पर आधारित है l प्राकृतिक खेती में रसायनों का उपयोग पूर्ण रूप से वर्जित होता हैl
    प्राकृतिक  संसाधनों का खेती में प्रयोग करके और बढ़ावा देकर प्राकृतिक खेती की जाती है l
      पारंपरिक खेती को पुनर्जीवित करना ही           प्राकृतिक खेती है l
2. कम लागत से ज्यादा मुनाफा l
3 . पर्यावरण संतुलन में मददगार l
4. रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा l
5. मिट्टी के स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में वृद्धि  l
6. फसल पर की एवं रोगों की कमी l
7. कम पानी में अच्छी पैदावार l
8. पर्यावरण अनुकूल खेती l
9. सतत विकास लक्ष्यों की पूर्ति करने वाली l
10. पोषण सुरक्षा, पर्यावरण संबंधी स्थिरता और भूमि की उत्पादकता के उद्देश्यों के बीच संतुलन स्थापित करने वाली l

 11.   प्राकृतिक संभावित व्यावहारिक तरीके के             रूप    में उभरी हुई खेती की प्रणाली l
12. प्राकृतिक खेती सभी बाहरी तत्वों के उपयोग को नकार ती है और पूरी तरह से मिट्टी की सूक्ष्मजवों पर आधारित जैव विविधता
के संवर्धन एवं प्रणाली से संबंधित प्रबंधन पर निर्भर करती है l
13. यह जैव विविधता को संरक्षण करने में सहायक होती है l
14. पर्यावरण को रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों के दुष्परिणामों से बचाती है l
15. मृदा जेब कार्बन से संबंधित अवयवों में सुधार करने की दिशा में उठाए जाने वाला एक कदम है l
16. पानी के उपयोग को 30 से 60% तक कम कर देती है l
17. उत्पादक सामग्रियों में काफी कम लागत के साथ-साथ जीरो रसायनिक इनपुट l
18. प्राकृतिक खेती में अभी धान मूंगफली काला चना मक्का और मिर्च फसलें शामिल की गई है l
19. पैदावार मैं 8 से 32% की वृद्धि l
20 प्राकृतिक खेती किसानों की आजीविका, लोगों के स्वास्थ्य ,पृथ्वी और मिट्टी की दशा और सरकारी खजाने के लिए उपयोगी है l
21. प्राकृतिक खेती में भूगर्भ जल संचित रहता है
22. प्राकृतिक खेती में जमीन के अंदर पाए जाने वाले लाभदायक बैक्टीरिया या जीवाणु जो उपज बढ़ाने वाले रसायन Humus की वृद्धि के लिए सहायक होते हैं l

23. प्राकृतिक खेती से जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा में वृद्धि होती है l
24. प्राकृतिक खेती में जमीन में पाए जाने वाला भारतीय केचुआ विशेष महत्व रखता है यह केचुआ जमीन को पूरा करता है जिससे पानी तथा ऑक्सीजन , नाइट्रोजन जैसे पदार्थ जमीन के अंदर तक जाती हैं और जमीन की उर्वरता को बढ़ाते हैं l
25 . प्राकृतिक खेती पूर्व अतीत के अनुभवों से सीख ले कर वर्तमान की खेती की नई चुनौतियां के अनुसार अपनी खेती को डालने का प्रयास है l
26. प्राकृतिक खेती में वर्तमान खेती पद्धति में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की चुनौतियां के लिए उचित विकल्प तलाशने की आवश्यकता है l अर्थात जब धरती माता के भूगर्भ में पानी की कमी होगी तथा मौसम साथ नहीं देगा और मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाएगी तो ऐसे हालत में कम है नवीन विकल्प खोजने होंगे और प्रकृति पर आधारित खेती के विधियों  को ढूंढना होगा तथा उन्हें विकल्प के तौर पर प्रयोग करना पड़ेगा
27. प्राकृतिक खेती से धरती माता का स्वास्थ्य ठीक रहेगा ,पैसा भी बचेगा  ,प्राकृतिक संतुलन कायम रहेगा तथा प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण भी होगा l
28. प्राकृतिक खेती से किसान आत्मनिर्भर स्वस्थ और संपन्न होगा l
29. प्राकृतिक खेती 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में मदद करेगी तथा कृषि को दूसरे सेक्टर्स में विविधीकरण करने में भी सहायक होगी l खेती को इथेनॉल बनाने में तथा सौर ऊर्जा बनाने वाले कसी पदार्थों के प्रसंस्करण या प्रोसेसिंग अन्य सेक्टर्स में विविधीकरण किया जा सकता है l
30. यद्यपि केमिकल फार्मिंग की वजह से हरित क्रांति आई और इसकी वजह से ही खाद्य सुरक्षा मिली परंतु इस मॉडल में रसायनों जैसे रसायनिक उर्वरक एवं रसायनिक कीटनाशकों आदि का अंधाधुंध प्रयोग होने से विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी, पर्यावरण संबंधी, प्रकृति संबंधी, समाज संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हुई तथा गरीबों की रसोई भी महंगी हो गई lअतः अब इन रसायनों का विकल्प खोजना आज की खेती की प्रमुख प्राथमिकता है l प्राकृतिक खेती  रसायनों के विकल्प देने में सहायक होती हैं l
31. खेती को केमिस्ट्री लैब से निकलकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा l
32.Lab to land programmes बढ़ावा देना पड़ेगा l
33. प्राकृतिक खेती बीज से लेकर  बाजार तक वादा प्रदान करती है l करीब 80% छोटे किसानों को यह खेती फायदा प्रदान करेगी l
34. गांधी जी ने कहा है कि जहां शोषण होगा वहां पोषण नहीं होगाl
35. प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने की जरूरत है l
36. Chemical Farming   हेतु हमें रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों को इंपोर्ट करना पड़ता है जिस पर बहुत अधिक खर्चा होता है l प्राकृतिक खेती इस खर्चे से मुक्त होगी l
37.


Monday, December 13, 2021

आई पी एम क्रियान्वयनके कुछ सिद्धांत

1.जब तक काम चलता हो  गी जा से
    बच कर रहे दवा से
2.No first use of chemicals .
3 .Use chemical pesticides only as an emergency tool. 
4.Lets not make Development catestrophic  in nature. विकास को कभी विनाशकारी ना बने ने दिया जाए l
5.GDP पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय असामाजिक प्राकृतिक विकास किया जाए l
6. सुरक्षित भोजन के साथ साथ खाद्य सुरक्षा पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है l
7.Crop Management through systematic approach  is modern concept of IPM. सुव्यवस्थित ढंग से फसलों का संपूर्ण प्रबंधन आईपीएल की आधुनिक विचारधारा है l
8.Get rid  of from pests problems with minimum expenditure and least disturbance to community health,Environment, ecosystem, biodiversity, nature and society are the main objectives of IPM.
9.Avoid pesticides till we can avoid.
10 . IPM is based on nature's  principles .There is no place of chemical farming in the nature. Natural System is self operating system which is helpful to each others both living and nonliving. 
11.Making agroecosystem better suited to beneficial organisms found in agroecosystem and unfit for harmful organisms or pests found in Agroecosystem. 
12.Live and let live is the basic principle of IPM.
13.Lets acertain the need of the chemical pesticides before using them.
13.Not all the organisms found in agroecosystem of crop fields are harmful or pests but majority of them are useful.Lets conserve them in the fields.
14.Pests are not only factors responsible to reduce the crop yield but there are many abiotic factors also responsible to reduce the crop yield.
15 .Use any technology in proper way to get desired results .Misuse of technology will be harmful to nature and society.Lets not misuse the technology .Chemical pesticides when are misused then give us harmful results.
16.Profitability and safety are the theme of IPM.
17.IPM is the way growing of safe crop keeping nature and society safe.
  18.Welfare and Empowerment is the theme of IPM.
19.IPM is an economical and ecofriendly way of pest management. 
20. स्वयं में सैद्धांतिक दृढ़ता और दूसरों के प्रति उदारता आईपीएम की सैद्धांतिक थीम है



Wednesday, December 1, 2021

एकीकृत नासिजीव प्रबंधनमंत्र

1.रासायनिक कीटनाशक नासि जीवो (Pests  )से अधिक हानिकारक होते हैं l
2. फसल पारिस्थितिक तंत्र मैं पाए जाने वाले सभी जीव हानिकारक अथवा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले नहीं होते हैं l
3 सभी हानिकारक जीवो अथवा  (Pests) को नियंत्रित नहीं करना चाहिए l
4. कैलेंडर पर आधारित फसलों पर रसायनिक कीटनाशकों का छिड़काव फसल उत्पादन हेतु न तो आवश्यक होता है और ना ही लाभदायक होता हैl
5. जैविक कारकों की तुलना में अजैविक कारक फसल उत्पादन को अधिक हानि पहुंचाते हैंl
6. फसल पारिस्थितिक तंत्र में ऐसे जीव बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं जो हानिकारक जीवो अथवा पेस्ट की संख्या की वृद्धि पर नियंत्रण करके उसे  आर्थिक हानि स्तर के नीचे रखने में सहायक होते हैंl
7. पौधों के प्रत्येक भाग उनकी आवश्यकता से अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं l
8. पौधों में जैविक व अजैविक आक्रमण को कुछ हद तक सहन करने की क्षमता होती है l
9. हानिकारक जीवो की सतत निगरानी मात्र से ही कीटनाशकों के प्रयोग को काफी हद तक कम किया जा सकता है l
10. आई पीएम का लक्ष्य रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को सीमित करना है और जैविक कीटनाशकों के प्रयोग को बढ़ावा देना है l
11. प्रकृति की अपनी व्यवस्था है जिसमें बिना विशेष कारण के व्यवधान डालना उचित नहीं है l
12. आईपीएम अपनाने हेतु कृपया लोगों को प्रेरित करें ,शिक्षित करें एवं इसकी सुविधा प्रदान करें l
13. कृष को और अपने स्वयं के अनुभव से शिक्षा लें l
14. आईपीएम तकनीक और उसके लक्ष्य को जन-जन तक पहुंचाएंl
15 आईपी एम में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित तकनीकों को शामिल करें l
16. सप्ताह में एक बार खेतों की निगरानी अवश्य करें ताकि  वास्तविक स्थिति  पर आधारित रणनीति बनाई जा सके l
17. फसलों में मित्र जीवो का खेतों में संरक्षण किया जाए l
18. कृषकों को उनके खेतों के विषय में पर्याप्त जानकारी दी जाए l
19 .IPM कृष को, सरकार, कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ,और कृषि वैज्ञानिकों का संयुक्त और सम्मिलित प्रयास है l
20.
.

 

Monday, November 29, 2021

आईपीएम के क्रियान्वयन करने हेतु मेरा योगदान एवं खेती की अन्य विचारधाराओंके संबंध मेंअपने कुछ विचार

मैं विभिन्न फसलों एवं देश के विभिन्न प्रदेशों में  अपनी भागीदारी के द्वारा लगभग 38 वर्षों तक आईपीएम demonstrations,Exhibitions  and trainings के द्वारा आईपीएम क्रियान्वयन हेतु सक्रिय रहा l इसके बाद मैंने अपनी भागीदारी खेती की विभिन्न विधियों जैसे ऑर्गेनिक फार्मिंग, इंटीग्रेटेड फार्मिंग ,जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक फार्मिंग ,प्रेसीजन फार्मिंग , क्रॉप डायवर्सिफिकेशन आफ एग्रीकल्चर इन वैरीयस सेक्टर्स सुच एस पावर एंड एनर्जी सेक्टर एंड एक्सपोर्ट सेक्टर आदि के बारे में अध्ययन कर  के  अपने आप को सक्रिय रखा l इन उपरोक्त सभी प्रकार की खेती के तरीकों के अपने अलग-अलग तरीके, विशेषताएं एवं सीमाएं होती हैं l इन सभी विशेषताओं में ज्यादातर इस बात पर जोर दिया गया है कि खेती करते समय खेती के काम में आने वाली खेत, फसल एवं उसकी मिट्टी आदि से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र का नुकसान ना हो एवं एवं फसल की भरपूर पैदावार तथा पैदावार होने में जुड़े हुए सभी पदार्थ एवं पारिस्थितिक तंत्र सक्रिय रहे l इसके अतिरिक्त खेती में रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक फर्टिलाइजर्स का उपयोग आईपीएम के अलावा किसी में खेती की विधियों में संस्तुति नहीं दी जाती है l आईपी एम पद्धति के द्वारा की जाने वाली खेती की पद्धति में रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु की ही संस्तुति दी जाती है अर्थात इसका अर्थ यह है कि खेती करते समय यदि कोई आपातकालीन परिस्थिति जैविक व अजैविक कारकों के द्वारा अगर आती है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायोचित ढंग से रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम से कम मात्रा में एवं कम से कम क्षेत्रफल में किया जा सकता है जिससे फूड सिक्योरिटी के साथ साथ फूड सेफ्टी को भी सुनिश्चित किया जा सकता हैl इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की खेती करने के तरीकों से प्राप्त किए गए ज्ञान के अनुसार निम्न प्रकार के विचार एवं सिद्धांत भी अर्जित किए गए l
1. प्रकृति में फसल पारिस्थितिक तंत्र में  अपने आप चल रही फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की पद्धति या व्यवस्था का अध्ययन करें और उसको आईपीएम के क्रियान्वयन एवं फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखने हेतु अपनाएं l
Let's study the crop production and protection process going on in the nature and apply this process for implementation to promote IPM and also to keep Agroecosystem active.
2. क्योंकि आईपीएम इनपुट कि किसानों के द्वार पर उपलब्धता ज्यादातर नहीं हो पाती अतः ऐसी हालात में हमें जो भी  जैविक विधियां जो कि सामाजिक तौर पर acceptable  तथा कम खर्चीली और प्रयोग करने लायक हो के प्रयोग को आईपीएम क्रियान्वयन हेतु बढ़ावा देना चाहिए l इसके साथ साथ जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती , ऑर्गेनिक खेती आदि पर आधारित जैविक विधियों एवं तौर-तरीकों को भी आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु जहां तक संभव हो बढ़ावा देना देना चाहिए l
Let's promote all available,affordable socially  acceptable non chemical methods of crop production and protection used in organic and zerobudget based Natural farming based on animals and plants to promote IPM as extent as possible. 
3. फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की ट्रेडिशनल methods अर्थात  परंपरागत विधियों का आईपीएम क्रियान्वयन हेतु भी बढ़ावा देना चाहिए l
Let's also promote traditional methods of crop production and protection to promote IPM.
4. खाने के लिए स्वस्थ एवं सुरक्षित फसल व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु आईपीएम क्रियान्वयन में जैविक आईपीएम इनपुट की अनुपलब्धता के कारण या अनुपस्थिति में जो भी इनपुट उपलब्ध है उनको सुचारु रुप से सही तरीके से प्रयोग करना चाहिए की ऐसी परिस्थिति में सिर्फ यही एक विकल्प बच जाता है l
Using available inputs and methods to produce healthy and safe crops to eat and quality Agricultural  commodities to trade is the prime option left to implement  IPM in absence of IPM inputs.
5. आई पी एम के क्रियान्वयन  को सुविधा प्रदान करने के लिए  सरकार के द्वारा आईपीएम इनपुट की उपलब्धता को किसानों तक पहुंचाना सुनिश्चित करनl एकमात्र प्रमुख आवश्यकता है जिसे सरकार को प्राथमिकता के तौर पर सुनिश्चित करना चाहिए l
Govt intention to ensure availability of  IPM inputs to the farmers is the prime requirement to facilitate IPM in the country.


Saturday, November 27, 2021

आईपीएमकी परिभाषा नंबर दो

खेती करने की अथवा वनस्पति संरक्षण करने की सभी मौजूदा विधियों को समेकित रूप से इस प्रकार से रूपांतरित करना या प्रयोग करना जिससे प्रकृति, समाज तथा पारिस्थितिक तंत्र ओं को महफूज रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के लिए सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता है lj

Friday, November 26, 2021

IPM की एक संक्षिप्त परिभाषा l

आई पी एम नासि जीव प्रबंधन का एक जैव पारिस्थितिकी य एवं पर्यावरण अनुकूल या पर्यावरण हितैषी दृष्टिकोण है या एक प्रकार की विचारधारा है जिसमें Nashi jeevaun की संख्या को फसल पारिस्थितिक तंत्र में आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखा जाता है l इसके लिए नासि जीव प्रबंधन की मौजूदा विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करते हुए जिसमें रसायनिक विधियों के प्रयोग को अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु प्रयोग करने की सिफारिश की जाती है तथा अन्य वनस्पति तथा जैविक विधियों आदि को वरीयता पूर्वक प्रयोग करने की सिफारिश की जाती है  l

Thursday, November 25, 2021

Few things for discussion about IPM emerged in meetings on different occasions

1.There are many things to say about IPM but nothing works except chemicals in fields,says a Senior Scientist .(I  do not want to mention his name )
  IN this connection I would like to say there may be following reasons of above statement .
i.Since all the researches related with Agriculture or IPM have been and are being done by the Scientists of research organizations  related with Agriculture or IPM which were or being  handed over to us for implementation in the farmers fields.If these researches are not giving results,they   may be   either pseudo researches  or  they are not being implemented in right way due to   unavailability of inputs required for their implementation. In my ideas unavailability of IPM inputs ,their implementation on proper way,lack of trained staff and their willingness are the main reasons for this .In my practical I point of view the researches being supplied to us are not pseudo researches but they are not being applied in proper way .
2.Farmers are already doing chemical based IPM giving first priority to Chemical pesticides and fertilizers wheareas  IPM principles recommend Chemical pesticides and chemical fertilizers only as a last priority to deal with emergency situations .Let's select suitable methods and policies of crop production,protection and management which are  ecofriendly, nature and society friendly for crop production,protection and management system either from the IPM package and Practices or from the systems prevailing in  nature.Crop production ,protection and management and IPM systems are interlinked each others to ensure the production of safe Agricultural commodities to eat and quality Agricultural commodities to trade. 
  The overall crop production ,protection and  Management  package must be economically viable,profitable ,able to enhance the farmers income ,through export, market access to fetch more and more sale price of Agricultural commodities,through profitable crop Diversification in to other sectors related with Agriculture.


Tuesday, November 23, 2021

Bottlenecks for the implementation of IPM आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु पाई जाने वाली बाधाएं या अड़चने l

1. आई पी एम इनपुट की अनुपलब्धता l
 2. रसायनिक पेस्टिसाइड्स के अल्टरनेटिव्स या जैविक आईपीएम इनपुट की अनपलब्धता उपलब्धता l
3. विभिन्न आईपीएम के भागीदारों में आईपीएम की विचारधारा के बारे में विस्तृत जानकारी का ना होना l
4. केंद्र व राज्य स्तर पर आईपीएम नीति का अभाव या ना होना l
5. आईपी एम के भागीदारों के बीच में परस्पर समन्वय की कमी l
6. आईपीएम भागीदारों का विभिन्न मतों अथवा मानसिकता ओं में बटा होना l
7. आईपी एम के सभी भागीदारों में आईपीएल के सिद्धांतों के बारे में जानकारी का अभाव l
8. राज्य व केंद्र स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी तथा प्रशिक्षित मानव संसाधनों को दूसरे स्कीमों में चले जाना l
9. रसायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग होना  l
10. केवल रासायनिक कीटनाशक ही वनस्पति रक्षा या प्लांट प्रोटक्शन के लिए रामबाण है ऐसी मानसिकता ओं का आई पी एम के भागीदारों के बीच में या मन में घर कर जाना l
11. रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणामों को अनदेखा किया जाना l
12. खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के प्रति सहानुभूति की कमी होना l
13. फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीवो की आई पी  एम क्रियान्वयन हेतु भूमिका या योगदान को अनदेखा किया जाना l
14. आईपीएम भागीदारों में इच्छाशक्ति की कमी l
15. कृषि में रसायनों के उपयोग को बढ़ावा देना l
16. आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज को प्रयोग में ना लाना l
17. आई पी एम इनपुट्स के उत्पादन हेतु केमिकल पेस्टिसाइड्स के समांतर में जैविक पेस्टिसाइड्स या इनपुट्स का उत्पादन करने हेतु उद्योगों को स्थापित ना करना l

Friday, November 19, 2021

किसी भी विचारधारा को कैसे इंप्लीमेंट करें

दोस्तों यह बात मैंने पहले कई बार बताई है कि एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन अथवा आईपीएम एक प्रकार की विचारधारा है और किसी भी विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने के लिए या बढ़ावा देने के लिए विचारधारा से संबंधित सभी भागीदारों को विचारधारा से संबंधित संपूर्ण जानकारी का ज्ञान होना अति आवश्यक है l इसके साथ साथ विचारधारा को क्रियान्वयन करने के लिए अपने आप को स्वेच्छा अनुसार सही नियत से संपूर्ण रुप से तैयार रखना भी अति आवश्यक है जिसके लिए संपूर्ण भागीदारों को एक नियत और सोच के साथ विचारधारा से जुड़े हुए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक ही दिशा में प्रयत्न करना अति आवश्यक है l जिसके लिए सामूहिक भागीदारी , सामूहिक जनशक्ति ,एकजुटता ,प्रबंध कौशल, सबका साथ एवं सब का प्रयास भी अति आवश्यक है l विज्ञान, सरकार एवं समाज को एक साथ मिलकर काम करने से किसी भी विचारधारा को क्रियान्वयन करने से वांछित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं  l वैज्ञानिकों के द्वारा  सही तकनीको की खोज करना  , सरकार के द्वारा विचारधारा के क्रियान्वयन हेतु सही एवं हितकारी नीतियां बनाना एवं किसानों तथा अन्य भागीदारों के द्वारा विचारधारा को सही तरीके से सही समय पर प्रयोग करना भी अति आवश्यक है l
    सरकार एवं समाज को रसायनिक कीटनाशकों एवं फटलाइजर के दुष्परिणामों के प्रति सचेत रहते हुए आई पीएम का क्रियान्वयन करना चाहिए एवं करवाना चाहिए l सरकार एवं समाज को पर्यावरण प्रकृति एवं प्रकृति के संसाधनों तथा समाज के अन्य घटकों के प्रति संपूर्ण सहानुभूति रखते हुए आईपीएम का क्रियान्वयन करना चाहिए l
रसायनिक कीटनाशकों को वरीयता पूर्वक प्रयोग करने वाली मानसिकता मैं परिवर्तन लाना, फसल पर्यावरण या फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी जीवो के प्रति सहानुभूति रखना, फसल

 पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी जिओ के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना तथा आईपीएल को क्रियान्वयन करने हेतु हेतु जैविक आईपीएम इनपुट की उपलब्धता किसानों के द्वार पर सुनिश्चित करना पीएम को क्रियान्वित करने के कुछ महत्वपूर्ण आवश्यकताएं है l
 आईपीएम से संबंधित सभी भागीदारों के बीच आई पीएम के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता पैदा करना उनको शिक्षित करना प्रेरित करना तथा नॉन केमिकल आई पीएम इनपुट को प्रयोग हेतु सक्षम बनाना आईपीएम क्रियान्वयन करने की कुछ प्रमुख आवश्यकता है l
   फसल में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या का आकलन नियमित या रेगुलर निगरानी कार्यक्रम के द्वारा करके एग्रोइकोसिस्टम एनालिसिस के द्वारा फसल में अपनाए जाने वाली गतिविधियों के विषय में निर्णय लेना भी आई पी एम के क्रियान्वयन की मुख्य आवश्यकता है जिसमें रसायनिक इनपुट के प्रयोग को अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु जानकारी प्राप्त होती है तथा रसायनिक कीटनाशकों के न्यायोचित प्रयोग करने में मदद मिलती है l

Sunday, November 14, 2021

आईपीएम सेअपेक्षाएं

1. भरपूर फसल वाजिब दाम खुशहाल किसान
2. सुरक्षित भोजन एवं स्वस्थ समाज
3. पर्यावरण सुरक्षा एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
4. पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता कायम रखना
5. पारिस्थितिक तंत्र तथा जैव विविधता का संरक्षण
6. गुणवत्ता पूर्ण कृषि उत्पादों का उत्पादन
7. जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक तापक्रम बढ़ोतरी अथवा ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को निष्क्रिय करते हुए खेती करना
8. निर्यात योग्य गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादों का उत्पादन करना
9. फसल उत्पादन लागत मैं कमी करना तथा कृषकों की आय मैं बढ़ोतरी करना
10. जीवन प्रकृति समाज के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए खेती करना
11. सुरक्षित प्राकृतिक संसाधन जैसे सुरक्षित जल ,सुरक्षित हवा ,सुरक्षित मिट्टी ,सुरक्षित भोजन,
12. कृषि उत्पादों का स्मूथ अथवा धारा प्रवाहित व्यापार अथवा ट्रेड 
13. फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो का फसल पारिस्थितिक तंत्र में संरक्षण
14. जीडीपी पर आधारित विकास के साथ पर्यावरण ,प्राकृतिक ,सामाजिक ,पारिस्थितिक तंत्र ,विकास को सुनिश्चित करना
15. खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना
16.

Wednesday, November 10, 2021

आईपीएम केकुछ दार्शनिक सिद्धांत

1. एग्रोइकोसिस्टम को सक्रिय एवं संरक्षित रखना l
2. प्रकृति में चल रही फसल उत्पादन फसल रक्षा एवं फसल प्रबंधन की पद्धतियों को अध्ययन करना एवं उनका प्रयोग करना l
3. फसल उत्पादन व फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन हेतु रसायनिक को का इस्तेमाल को कम करना या बिल्कुल ना करना l
4. जमीन की उर्वरा शक्ति को  एवं प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखना l
5. खेती करते समय ऐसी कोई गतिविधि अथवा विधि शामिल नहीं करना जिसका सामुदायिक स्वास्थ ,पर्यावरण ,पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता हो l

Tuesday, November 9, 2021

आईपीएमफिलॉसफीकी संक्षिप्त विवेचना

आईपीएम का जीवन के विभिन्न दृष्टिकोण से वर्णन करना, संबंध स्थापित करना एवं परिभाषित करना आईपीएम फिलासफी कहलाता है l
To describe,define and relate IPM with different perspectives related with life ,nature and society,policy,climate , environment ,ecosystem biodiversity , economics , religion and spirituality etc is called as IPM philosophy deals with deep thinking about a subject as it is the mother of all subjects.
आजकल के सामाजिक ,सांस्कृतिक, आर्थिक, प्राकृतिक, व्यापारिक, धार्मिक, राजनैतिक,, नीति एवं जलवायु संबंधी मुद्दों तथा पारिस्थितिक तंत्र आदि के बदलते हुए परिवेश एवं परिपेक्ष में आईपीएम की विवेचना करना, चिंतन करना एवं आई पीएम का जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से संबंध स्थापित करना तथा आईपीएम को परिभाषित करना ही आईपीएम फिलासफी कहलाता है l
     आई पीएम नासिजीव प्रबंधन का एक प्रो एनवायरनमेंट , प्रो नेचर एवं प्रो सोसाइटी तरीका है l
     किसी भी विचारधारा एवं आईपीएम आईपीएम का क्रियान्वयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की विकास को कभी विनाशकारी ना बनने दिया जाए l हमें यह ध्यान रखना पड़ेगा की विज्ञान व नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल से मिल रही सुविधाएं पर्यावरण, प्रकृति, मानव समाज  ,जैव विविधता  तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं अतः हमें किसी भी वैज्ञानिक विचारधारा या उससे जुड़ी हुई तकनीको एवं विधियों को इस प्रकार से प्रयोग करें जिनसे उनका प्रकृति ,समाज, पर्यावरण, जैव विविधता तथा पारिस्थितिक तंत्र ऊपर विपरीत प्रभाव ना पड़े l अतः आईपीएम या अन्य किसी विचारधारा को इस्तेमाल करने हेतु प्रकृति, समाज, पर्यावरण हितेषी विधियों का ही प्रयोग किया जाए l
    विज्ञान के नवीनतम उपहारों को मानव समाज व प्रकृति की कसौटी पर अवश्य परखा जाए l
   सभी विभागों में स्टाफ की कमी को ध्यान में रखते हुए आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु जनभागीदारी को वरीयता दी जाए तथा खेती से जुड़े हुए सभी किसानों खेतिहर मजदूरों को आईपीएम क्रियान्वयन एवं उससे संबंधित मशीनों तथा कीटनाशकों के उपयोग के बारे में प्रवीण या निपुण किया जाए या बनाया जाए  l
    सबका साथ ,सबका विकास ,सबका विश्वास और सब का प्रयास वाले प्रधानमंत्री जी के मंत्र को आईपीएम क्रियान्वयन हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है l
Philosophy is a logical argument towards new direction whreas Science is evidenced by supportive scientific data toward objectives or goal. 
IPM includes not only the management of pests population but also the management of total crop health, management or conservation of the population of be beneficial organisms found in Agroecosystem/total biodiversity found in Agroecosystem,organic carbon found in soil, population microorganisms available in soil,soil moisture,waterlevel in soil etc .Thus IPM is a total process of crop production, protection, management marketing and even up to consumption of agricultural commodities.
Philosophy consists of two words Viz 
Philos means प्यार ,मोहब्बत, इश्क, लव, प्रेम
Sophia means wisdom,knowledge, विवेक समझदारी ,सही गलत के बीच अंतर स्थापित करने की क्षमता, अर्थात पढ़ना ,लिखना ,बात करना ,सीखना ,अवलोकन करना, सोचना अथवा चिंतन करना ,मनन करना दार्शनिकों की हावी hoby होती है .।

Tuesday, November 2, 2021

How to implement IPM

*. जब तक काम चलता हो गिजा से 
     बच कर रहे दवा से l
*.No first use of chemicals in Agriculture. कृषि में रसायनों का प्रथम उपयोग ना करें l
*Use chemical pesticides only as an emergency tool  or combat or to deal with an emergent situation. रसायनों का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान  हेतु ही करें l
*Let's not make Development catestrophic in nature. विकास को विनाशकारी ना बनने दिया जाए l
* जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय, सामाजिक ,प्राकृतिक, पारिस्थितिक तंत्र का भी विकास भी किया जाए l
* सुरक्षित भोजन के साथ साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए  l Let's ensure food and nutrition security along with production of safe food.
*CROP MANAGEMENT THROUGH SYSTEMSTIC APPROACH IS THE MODERN CONCEPT OF IPM.
सुव्यवस्थित ढंग से फसलों का संपूर्ण प्रबंधन आईपीएम की आधुनिक विचारधारा है l
*.Get rid of pest problem with minimum expenditure and least disturbance to community health, Environment, ecosystem, biodiversity nature and society. 
कम से कम खर्चे में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति व समाज को कम से कम बाधित करते हुए नाशिजीवो की समस्याओं से छुटकारा प्राप्त करना आई पीएम का सिद्धांत है l
*Making Agroecosystem better suited to benefecial and harmful organisms found in Agroecosystem. फसल पारिस्थितिक तंत्र को फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले दोनों हानिकारक एवं लाभदायक जीवो के लिए अति अनुकूल अथवा उत्तम अनुकूल बनाना l
*. खेतों में लाभदायक एवं हानिकारक जीवो दोनों की संख्या एक निश्चित अनुपात पर रहना आवश्यक है जिससे प्राकृतिक संतुलन कायम रहे l




1.It is difficult to implement any concept or scheme without willingness of Govt .and different stakeholders. 
2.Lets implement IPM or any other scheme with available resources as extent as possible by using them in proper way. 
3.Lets ensure the availability of IPM inputs to the farmers at their doorsteps.Lets trained few qualified farmers or Extention workers to manufacture IPM inputs at village level to ensure their availability to the farmers for which a detailed SOP for the production of IPM inputs has already been developed by me. 
4.Govt.must established  industries for manufacturing of different IPM inputs ,parellar to the pesticides industries. Till then we must implement IPM with available IPM inputs
जब तक काम चलता हो गिजा से
वहां तक बचना चाहिए दवा से
5.Chemical pesticides are being considered as a priority inputs for crop production and protection programme whereas they should be considered as only last  inputs or the inputs of to combat only  the emergency situations. 
6.Pesticides are not only panacea for the management of the pests.
7 Pesticides are harmful to our health and Environment. 
8.All the organisms found in agroecosystem are not pests 
9.Pesticides don't help to enhance the yield. 
pests are not only factors responsible to reduce the crop yield. There are many a biotic factors also responsible to reduce the crop yield. 
11.Pest population below ETL is also needed to maintain Ecological balance in Agroecosystem for which the survival of beneficial organisms found in agroecosystem is also essential.
12.Calender based application of pesticides not advisable  as it is not useful to enhance the crop yield.
13.Indiscriminate use of chemical pesticides may lead crop failure.
14. Pesticides are more harmful than the pests.
15.All the chemical pesticides are poisonous.They should be used safely.
16.There is no good or bad pesticides. None of the pesticides is safer pesticides.Generally the pesticides are not being used but they are being misused by the farmers.
17. Pesticides are not being used but they are being misused.by the farmers .They should also be used through  assessment of their need  by the farmers through Agroecosystem Analysis.
18.Let  use right pesticides on right crop,against right pests ,at right time,with right doase with right methods.





Monday, November 1, 2021

1.Discussin with Dr.Dinesh Avrol Sciedentist from CSIR on 1 st November 2021........to next..

1.To make the farmers,farm labourers, and other stakeholders related with crop  production,crop protection and crop management Competent to grow healthy,safe,⁹ crops to eat and profitable ,bumper crops and quality Agricultural commodities to trade with minimum expenditure and least disturbance to community health, Environment,ecosystem, biodiversity, nature and society. 
2.To make the farmers and farm labourers competent to use and repaire the plant protection equipments safe way.
3.To make the farmers and farm labourers competent  to use plant protection chemicals safe and judicious manners and also make them able to dispose the the used empty containers safely.
4.How to implement IPM at field levels in proper way.
5.A bench Mark Suervey of the farmers and farm laboures to assess the practical knowledge about the crop production ,protection and management system, by way of conducting personel  interviews of the farmers and farm laboures because lack of knowledge about use of chemicals,and plant protection machines and also lack of the IPM is not being implemented properly.
6.Farmers are not using proper protective equipment while using plant protection chemicals and equipments.
7.Occupational safety 
8. Provsion  of Medical examination and insurance of farmers and farm laboures engaged in using the plant protection chemicals .
9.Farmers and farm laboures must be trained and 
 the farm labourers  dealing with chemical pesticides and plant protection machines must be insured.
10.Incentives for the farm labourers must be given for handling the chemical pesticides.
11 .Due to shortage of staff in almost all the Govt Departments, only one option is left I. e .to involve farmers and farm laboures themselves  to promote and  popularise the innovative technologies among themselves .For which the farmers and farm laboures must be trained.Thus farmers to farmers technique must be applied to promote any concept for which volunteers from the retired personels must be involved but these volunteers may have their own problems.This system may also have the problem of finance.
12.To popularize any concept among the society,a strong political and beaurecratic willpower and support with a correct vision,working attitude in team ,proactiveness to get success at any way and any cost to achieve correct objectives and goals with available resources through creating awareness and motivating the stakeholders are essentially required to popularize and implement IPM in the field.


Friday, October 8, 2021

Half Decade of Excellence after Retirement

Hon.People of  Indian   Civil society, Administrative and Beaurecratic Officers ,Polititions and other policy makers ,Scientists, and Extention workers ......
 I would like to Express my few experiences of half decade period of after my retirement .ie from 1.2. 2016 to .......
.
      .I retired on 31 January ,2016 ,as Additional Plant Protection Adviser IPM from Dte of Plant Protection  Quarantine and Storage NHIV Faridabad under Union Ministry of Agiculture,and Farmers Welfare ,Department of Agriculture,Co operation and Farmers welfare (GOI)after serving 38 years in this Dte .(Certificate of my retirement) .
     It is my privilege to serve the Society even after my retirement  through Social Media by the mercy of Almighty God  .I  share my few experiences and views about IPM as follow:- Friends ,
1.All the Schemes of Dte .of Plant Protection,Quarantine and Storage including Plant Qarantine ,Locust Control, CIB$RC,CIL,are the components of Integrated Pest 
Management (IPM).These  schemes must work together   with following  objectives.
*To ensure production of healthy,safe,and bumper crops with minimum expenditure, and least disturbance to community health, Environment, ecosystem, biodiversity  nature and society 
*To enhance farmers income .
*To save  country from outbreaks,and Epidemics of indigenous and exotic pests,  ,diseases,and weeds and incursion and invasion  of exotic pests dieases and weeds like few exotic Quarantine pests and deadly international pest called Locust which  have been  invaded in India time to time and the problems of these pests were  averted as and when they appeared in our country.
*To ensure GDP based Development  of country along with the development of Community health, Environment,ecosystem  biodiversity nature and society .
*.To make crop production ,protection ,Integraed Pest Management(IPM) based farming system and crop management systems   more and more professional, profitable ,safe to Environment, ecosystem, biodiversity, nature and society and must also be able to produce Quality Agricultural commodities to trade and also to maintain harmony with the nature and  society.These systems must also be able to produce nutritious food to the  society in sufficient quantity and also do not make development catestrophic in nature. 
      _IPM and its Philosophy
   Philosophy is the habit of  describing ,discussing,thinking and rethinking,practicing ,doing brain storming  ,relating and  planning for the implementation about  a concept in different aspects of life in terms of social economical,natural,ecological,cultural mechanical, biological,spiritual,legal,Scientific,administrative parameters.
Described the Philosophy of Integrated Pest Management (IPM)in terms of above mentioned parameters. 
      IPM  Philisophy:-Relating ,defining ,and describing IPM in  different perspectives such as  life,Society,spirituality,culture, trade,nature,Science,Ecology,Economy,Environment, Crop production , protection ,and Management systems,political,legal and administrative aspects with respect  of National and international Scinarios is called as IPM Philosophy.
आई पीएम का विभिन्न दृष्टिकोण जैसे कि जीवन, समाज, संस्कृति  ,अध्यात्म, व्यापार ,वैज्ञानिक, परिस्थितिकी ,आर्थिक ,पर्यावरणीय ,फसल उत्पादन ,फसल रक्षा एवं फसल प्रबंधन से संबंधित मुद्दे विभिन्न वैज्ञानिक मुद्दे , कृषि प्रचार एवं प्रसार से जुड़े हुए विभिन्न प्रकार के मुद्दे , वनस्पतियों या पौधों से संबंधित मुद्दे ,राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित विभिन्न मुद्दों, इसके अतिरिक्त  राजनैतिक ,  लीगल, एवं प्रशासनिक मुद्दे से संबंध स्थापित करना ,वर्णन करना और परिभाषित करना ही आईपीएम फिलासफी कहलाता है l
2.IPM is not a method of Pest Management but it is a concept of pest Management .
   (Concept and definition of IPM)
Let's define IPM ourselves based on our professional, social, Economic, cultural,ecological, political,administrative,and economical and personal experience of our life.
3.IPM is a skill Development programme to make the farmers and other IPM Stakeholers Competent and expert to produce safe and sufficient crops to ensure food security along with food safety.
4.In today's Social, Economical,Natural,Climatic ,and Environmental Scinarios and context the concept of crop production,protection, IPM and Management must be profitable ,demond based,safe,Sustainable,business, trade  and income oriented  for mobilizing  the youths towards Farming ,and also to improve the living standard or livelyhood  of the farmers ,able to ensure GDP based Development of the country along with the Environmental ,ecological,social and natural Development,to maintain harmony with  life ,nature,and society,to ensure food security along  with food and nutritional safety simultaneously,and also able to neutralize बेअसर the adverse effects of climate change and global warming ,and able to keep ecosystems always  activated ,to promote biofortified and drought resistant varieties, Diversification of Agriculture in profitable sectors through crop rotation,promotion of Organic Farming ,IPM based farming,Integrated farming ,zerobuget based Natural farming,promotion of importable crops like Oilseeds,vegetable and fruit crops, to reduce the cost of crop production,protection and management,to keep agroecosystem active .
 5.IPM Strategy:-
A strong political and beaurecratic will power and support,correct vision,working attitude in team,proactiveness,to get success at any cost and any way with correct objectives and achieving goals with available resources, creating awareness and motivating the farmers and other IPM Stakeholers are the main components of strategy to be included for the implementation of any concept including IPM to get desired results and success.These components were adopted by our Hon.Prime Minister to combat Covid problem during 2020.Same steps and components can also be used to implement IPM .We learnt a lesson from the strategy used to combat the Covid 19 Problem appeared in the Country during 2020 that if we can combat the Covid problem without medicine why we can not implement IPM without IPM Inputs .IPM inputs can only facilitate us to implement IPM.
IPM Principles:Nonviolence, Sympathy,Tolerance,Harmony, Senstivity,Whole World is One family,Live and let live,Sense of discrimination, kindness,Humanity,Universal brotherhood,Global welfare,Friendly for every one,Happiness for every one,nature is God,Science is truth,work is worship,welfare of all,Safety to every one,unity in diversity.
Committment of IPM:--
*IPM is committed to welfare of allo in the Universe .
*IPM is Committed to sustain life on the earth.
*To maintain harmony with nature and society 
*to keep Environment safe.
*To keep Ecosystem Operative.
* To conserve natural resources including beneficial organisms found in agroecosystem .
*To grow safe food to eat and quality Agricultural commodities to trade. 
(PIC  of IPM Goddess)
IPM Is a Social movement to:------
*To reduce the use of chemicals i.e.Chemical pesticides and fertilizers in Agriculture. 
*TO reduce the quantity of residue of  chemical pesticides and fertilizers in food ,fodder, fruits  vegetables, human beings ,cattles in ludington wild and aquatic  animals etc.
Besides plant protection IPM is very much concerns with crop  production Community health,Environment ,Ecosystem, biodiversity,wild life,Social and economic importance,  

 nature,society including community Development and natioal and international cooperation,and National and international Trades.
-Development :-
Development must include Socioeconomic ,natural,Environmental, ecological and ecosystem based development.
DEVELOPMENT :-
 DEVELOPMENT SHOULD NOT BE CATESTROPHIC IN NATURE.  



       




Saturday, October 2, 2021

वनस्पति संरक्षणऔर आईपीएम

आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन को इस प्रकार से क्रियान्वित किया जाए जिससे........
1. सामुदायिक स्वास्थ्य अथवा कम्युनिटी हेल्थ पर विपरीत प्रभाव ना पड़े l
2. पर्यावरण प्रदूषित ना होl
3. पारिस्थितिक तंत्र हमेशा क्रियाशील या सक्रिय रहेl
4. प्रकृति ,समाज ,जैव विविधता महफूज रहे l
5. क्षति ग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन हो सके l
6. फसल उत्पादन लागत न्यूनतम रहे l
7. सुरक्षित भोजन अथवा जहर मुक्त भोजन का उत्पादन हो सके l
8. व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके l
9. सुरक्षित भोजन के साथ साथ खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके l
10. समाज हमेशा स्वस्थ रहेl
11. कृषकों की आय में वृद्धि हो सकेl
12. भरपूर फसल, वाजिब दाम ,खुशहाल किसान हो  सके l
13. निर्यात योग्य फसल उत्पादों का उत्पादन हो सके l
14. समाज, प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके l
15. कृषकों के जीवन स्तर में सुधार हो सके l
16. जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्राकृतिक, सामाजिक, पारिस्थितिक तंत्र का भी विकास  भी सुनिश्चित हो सके l
16. खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके l
17. लाभदायक जीवो का फसल पारिस्थितिक तंत्र में संरक्षण हो सके l
18. जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के विपरीत व हानिकारक प्रभाव निष्क्रिय हो सके l

Thursday, September 30, 2021

New Dimensions in Agriculture and IPM.

As per the openion of Hon Prime Minister Shri Narender Modi Agriculture Must be More and More professional, more profitable and able to tolerate or coup up the adverse effects of climate change.
  Agricultural commodities must also be nutritious for the health of the society . The climate change can reduce the productivity of crops up to the extent of 4.5 to 9%.
  Hon Prime Minister dedicated 35  
 Varieties of crops on 29th September 2021, developed by ICA,R which are resistant  for  adverse effects of Climate  on the crops . These new crop varieties will be able to enhance the Agricultural production and Ultimately the Agicultural development of the Country.
  Govt and Society must work together to make Agriculture more professional and profitable.Agriculture contributes 17 to 20 % part of country's GDP.
  Climate change is  a great threat to Indian Agriculture.  These new Varieties developed by ICAR  will be able able to make  Mal nutrition free India  . Today's theme of Agriculture focused on seeds of more nutritious food.Today's Agriculture is also cautious to prevent the sudden attack of different pests and Diseases. Recently during 2019,the Locust invasion took place which was averted successfully by Locust Waerning Organisation of Dte of PPQ$S. 
These varieties are able to meet the challenges of climate and also having nutritional substances and some are pests and Diseases resistant.
The results become more better when Science,Government and Society works together.Development of theses New Varieties is a new Revolution in Agriculture. 


Sunday, September 26, 2021

इंप्लीमेंटेशनकेकुछ मौलिकया मोटे सिद्धांत

1. दिमाग की गिजा हो या गिजाए  जिस मानी
   यहां तो हर गिजा में मिलावट मिलती है

  2.. जब तक काम चलता हो   गी जा   से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से
  गिजा  -- पौष्टिक भोजन, रसायनिक कीटनाशक रहित विधियां या टूल्स या प्रैक्टिसेज
दवा-- रासायनिक कीटनाशक
3. रासायनिक पेस्टिसाइड को प्रयोग करते रहें जैसे इमरजेंसी टूल
फिर जाएं खेतों मैं Pests की समस्याओं को भूल
4. अगर आईपीएम इनपुट की होवे अन             उपलब्धता 
तो ना समझा जाए आईपीएम की विफलता
5. क्योंकि आई पीएम का क्रियान्वयन उपलब्ध संसाधनों के द्वारा ही बताया गया है l
6. आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
    जब तक की जमीर की लो  बुलंद ना हो 
Willingness,Intention,and Passion is essentially needed to implement IPM.

आईपीएम इंप्लीमेंटेशन के कुछ मौलिक या मोटे सिद्धांत




दोस्तों यह कई बार पहले बताया जा चुका है आई पी एम जीवन ,जीविका तथा मानव दिनचर्या से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है इसका उद्देश्य जीवन को स्थायित्व प्रदान करना एवं जीविका अर्जित करने की विधि को सरलतम बनाना है l दोस्तों महान कवियों एवं वैज्ञानिकों के मतों के अनुसार जीवन की उत्पत्ति निम्नलिखित पांच तत्वों के द्वारा हुई है जिनका उल्लेख निम्न वत है l
 1.. क्षित, जल ,पावक, गगन ,समीरा
   पंचतत्व मिल बना शरीरा
अर्थात शरीर की रचना उपरोक्त संसाधनों या पदार्थों से मिलकर बनी है यह पदार्थ है मिट्टी, पानी, अग्नि, आकाश एवं वायु 
परंतु विडंबना यह है कि अब यह पांचों तत्व मनुष्य के द्वारा प्रकृति के संसाधनों एवं पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करने की वजह से प्रदूषित हो चुके हैं l इन सभी प्रदूषित संसाधनों और तत्वों को प्रदूषण से बचाना और उनको शुद्ध एवं वास्तविक रूप में लाना भी आईपीएम का एक उद्देश्य है l
2.. दिमाग की गिजा हो या गिजाए  जिस मानी
   यहां तो हर गिजा में मिलावट मिलती है l
अर्थात जीवन को पौष्टिकता प्रदान करने अथवा  जीव को पोस्टिक भोजन प्रदान करने वाले सभी पदार्थों में अब मिलावट होने लगी हैl इस मिलावट के लिए कुछ हद तक रासायनिक कीटनाशक भी जिम्मेदार हैं  l आत: खेती में रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना भी आई पीएम का एक उद्देश्य है l जिसके लिए हमें निम्नलिखित उपाय करना चाहिए l

  3.. जब तक काम चलता हो गिजा   से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से
  गिजा  -- पौष्टिक भोजन, रसायनिक कीटनाशक रहित विधियां या टूल्स या प्रैक्टिसेज
दवा-- रासायनिक कीटनाशक
4. रासायनिक पेस्टिसाइड को प्रयोग करते रहें जैसे इमरजेंसी टूल
फिर जाएं खेतों मैं Pests की समस्याओं को भूल
No first use of chemical pesticides in Agriculture. 
5.अगर आईपीएम इनपुट की होवे अन             उपलब्धता 
तो ना समझा जाए आईपीएम की विफलता
6.क्योंकि आई पीएम का क्रियान्वयन उपलब्ध संसाधनों के द्वारा ही बताया गया है l दोस्तों आई पीएम रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के खिलाफ नहीं है l परंतु आईपीएम रसायनिक कीटनाशकों के दुरुपयोग के अवश्य ही खिलाफ है l रसायनिक कीटनाशकों को वनस्पति संरक्षण या प्लांट  प्रोटेक्शन हेतु सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में किसी इमरजेंसी हालात से निपटाने हेतु ही प्रयोग करना चाहिए l
7.आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
    जब तक की जमीर की लो  बुलंद ना हो 
Willingnes इच्छा शक्ति Intention नियत Passion जुनून is essentially needed to implement IPM.
8. जैसे कि पहले भी बताया जा चुका है कि किसी भी वैज्ञानिक ,सामाजिक ,आर्थिक, राजनैतिक, विचारधारा एवं कार्यक्रम को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु एक मजबूत राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति एवं समर्थन, सही विजन, टीम भावना के साथ काम करने का जज्बा ,पूर्व सक्रियता तथा किसी भी कीमत पर और किसी भी तरीके से मौजूद संसाधनों से सभी भागीदारों को जागरुक एवं प्रेरित करते हुए सही उद्देश्यों के साथ सफलता प्राप्त करना अति आवश्यक है l किसी भी कार्यक्रम या विचारधारा का क्रियान्वयन जब तक सरकार एवं सरकारी तंत्र नहीं चाहेंगे तब तक सुचारू रूप से क्रियान्वयन नहीं हो सकता l आत: किसी भी कार्यक्रम एवं विचारधारा को क्रियान्वयन करने हेतु राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारियों अर्थात ब्यूरोक्रेट्स का सहयोग बहुत ही आवश्यक है l

Tuesday, September 21, 2021

किसी भी कार्यक्रम या विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु अपनाए जाने वाली रणनीति मैं अपनाए जाने वाले प्रमुख घटकों का प्रयोग

किसी भी वैज्ञानिक, राजनीतिक, सामाजिक, कार्यक्रम अथवा विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु एक मजबूत ,राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति एवं समर्थन, सही विजन, टीम भावना के साथ काम करने का जज्बा, पूर्व सक्रियता, किसी भी कीमत पर एवं किसी भी तरीके से मौजूद संसाधनों से ही सभी भागीदारों को जागरुक एवं प्रेरित करते हुए सही उद्देश्यों के साथ सफलता प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति मैं अपनाए जाने वाले  प्रमुख घटकों में कुछ प्रमुख घटक है l
  उपरोक्त घटकों को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 20 2O कोरोना महामारी के निपटान हेतु अपनाई गई रणनीति में प्रयोग किए थे  l यह सभी प्रकार के घटक या तरीके फसलों में आई पी एम के सुचार रूप से क्रियान्वयन हेतु भी प्रयोग किए जा सकते हैं l
    माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा कोरोना महामारी के निपटान हेतु अपनाई गई उपरोक्त रणनीति से हमें यह सीख मिलती है कि जब बिना दवाई के हम करो ना जैसी महामारी का सामना कर सकते हैं और उसका सुचारू रूप से निपटान कर सकते हैं तो हम आईपी एम का क्रियान्वयन भी बिना आईपी एम इनपुट के भी कर सकते हैं जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति, सही मार्गदर्शन सहयोग एवं समन्वय की एवं  सही रणनीति को, सही फसलों पर ,सही Pests  पर ,तरीके के साथ, सही समय पर प्रयोग करने की l
  आईपीएम अथवा अन्य किसी भी विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु सबका साथ एवं सब का प्रयास बहुत ही जरूरी है l अर्थात सभी आईपीएम के भागीदारों का साथ एवं सामूहिक प्रयास अति आवश्यक हैं l...

Thursday, September 16, 2021

किसान व खेती की अनदेखी और आई पी एम क्रियान्वयन

दोस्तों पहले कई बार हमने यह बताया है की आईपीएम प्रकृति ,समाज, और किसानों के विकास के ऊपर आधारित वनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है जिसमें प्रकृति समाज तथा किसानों के विकास को ध्यान में रखते हुए खेती की जाती है और फसलों के हानिकारक जिओ का प्रबंधन किया जाता है l
 दोस्तों किसान की जीविका तथा हम सब का जीवन खेती पर ही निर्भर करता है क्योंकि खेती से हमें भोजन प्राप्त होता है जिससे हमारे जीवन को स्थायित्व मिलता  है l
 खेती के बारे में एक बहुत पुरानी कहावत है की
     उत्तम खेती मध्यम बान
     निकृष्ट चाकरी भीख निदान
दोस्तों अब यह कहावत गलत हो चुकी है l अब भी खेती देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देती है l परंतु इसके बावजूद किसान का विकास नीचे की तरफ होता है अर्थात बड़ा किसान छोटे किसानों में परिवर्तित हो रहा है तथा छोटा किसान मजदूरों की श्रेणी में आता जा रहा है क्योंकि उनकी प्रतिदिन की आय घटती जा रही है l किसानों की आय आजकल ₹27 प्रतिदिन है जबकि मजदूरों की मनरेगा में आए करीब ₹200 प्रति दिन है  l इस प्रकार से देखा जाए तो किसान की प्रतिदिन की आय गरीबी रेखा से भी नीचे हो गई है जोकि ₹32 प्रतिदिन माने जाते हैं l अर्थात छोटा 
 किसान अब मजदूर की श्रेणी में आता जा रहा है और वह गरीबी रेखा के नीचे वाली आय से अपना गुजर कर रहा है l बड़े किसानों को छोटे किसानों में परिवर्तित होना तथा छोटे किसानों को मजदूरों में परिवर्तित होना का मुख्य कारण है हमारी जमीन की जोत छोटी होती जा रही है इसका वजह है कि हमारी जनसंख्या बढ़ती जा रही है और जमीन की जोत कम होती जा रही है l इसी कारण से अब नव युवकों का खेती के प्रति रुझान कम होता जा रहा है l और उपरोक्त कहावत को अब बदल कर.....
प्रथम नेतागिरी, द्वितीय ब्यूरोक्रेसी, तृतीय बाबा वीडियो चतुर्थ वाणिज्य पंचम मजदूरी और छठी किसानी की श्रेणियों में धंधों को उपरोक्त वरीयता में बांट बांटकर आकाश जा रहा है या देखा जा रहा है  l अब भूमिहीन किसानों की संख्या मैं वृद्धि हो रही है l किसानों के पास सर कोई भी घंटे की योजना नहीं है जबकि सरकारी कर्मचारियों के पास गारंटीड आए की योजना है l करो ना कॉल में जब सब कुछ बंद हो गया था और देश की विकास दर जीडीपी बहुत कम हो गई थी उस वक्त कृषि क्षेत्र में ही देश की जीडीपी को ऊपर बनाए रखने मैं सहयोग दिया था या अपना योगदान दिया था l
किसान और किसानी दोनों की अनदेखी होती जा रही है l
 माननीय अमर्त्य सेन जी ने कहा है 
लोगों को इतना गरीब ना होने दिया जाना चाहिए कि उनस घिन आने लगे
या वह समाज के लिए नुकसान पहुंचाने लगे l
जब किसानों की आमदनी कम होती जा रही है और छोटे किसानों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है इस हालात में छोटे किसानों को विकास की मुख्यधरा में लाना अति आवश्यक हो गया है l आइए आवश्यक हो गया है की आई पीएम के तरीकों  को किसानों की विभिन्न प्रकार श्रेणियों के अनुसार बनाया जाए अर्थात बड़े किसानों के लिए और छोटे किसानों के लिए आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में मांग के अनुसार परिवर्तन किए जाएं l



Wednesday, September 8, 2021

आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मेंऔर किन किन विधियों कोसमावेशित किया जाए

आज के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में मांग के आधार पर विकसित की गई आई पीएम की विचारधारा के अनुसार आई पीएम से संबंधित विभिन्न विभागों के द्वारा विकसित किए गए अथवा बनाए गए पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में निम्नलिखित परिवर्तन अथवा बदलाव या अन्य विधियों को भी  शामिल किया जाना चाहिए जिससे वे आज के सामाजिक आर्थिक प्राकृतिक जलवायु व पर्यावरण के परिदृश्य वह परिपेक्ष में वांछित मांग के आधार पर परिवर्तित हो सके अथवा विकसित हो सके :-
1. पराली प्रबंधन से संबंधित विधियां
2. क्षतिग्रस्त फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुणे स्थापन से संबंधित विधियां
3. फसल में उर्वरा शक्ति को बढ़ाने से संबंधित विधिया l
4. आईपीएम पद्धति से प्राप्त किए गए अथवा उत्पादन किए गए फसल उत्पादन में रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों का आकलन संबंधी विधियां l
5. लगातार व्यापार रखने के लिए जरूरी विधियों का समावेश
6. नासि जीव प्रबंधन की पारंपरिक विधियों के साथ-साथ नवीन विधियों का समावेश l
7. इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग से संबंधित जानकारी
8. जैविक उर्वरकों एवं जैविक कीटनाशकों कि किसानों के पास उपलब्धता सुगम  करने के उपाय l
9. कृषि नीतियों से संबंधित उपाय l
10. मार्केट एक्सेस से संबंधित उपाय
11. भरपूर फसल वाजिब दाम खुशहाल किसान से जुड़े हुए उपाय l
12. पारिस्थितिक तंत्र को क्रियाशील रखने वाली विधियां को बढ़ावा देना चाहिए l
13.Integrated Farming.
13.Study and use of the methods and process going on for crop production and production in the nature.
14.Methods related with enhancing the production of  in below ground  agroeco system .
15.

Monday, September 6, 2021

पराली प्रबंधन मैं आईपीएम का योगदान

खेतों में फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाने से विभिन्न प्रकार के प्रदूषण प्रतिवर्ष हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश तथा एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में देखने को मिलता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण होता है जिससे समाज में सास संबंधी  विभिन्न प्रकार की बीमारियां तथा समस्याएं उत्पन्न होती हैl धान की फसल के कटाई के बाद लगभग सितंबर के अंत तक इस प्रकार की समस्याएं उपरोक्त राज्यों में देखने को मिलती है जिससे मानव समाज में इम्यूनिटी कम हो जाती है और करो ना जैसी बीमारियों तथा महा मारियो जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है l पराली या फसल के अवशेषों के समस्या के निपटान हेतु किसान भाई  खेतों में ही इन अवशेषों को जला देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है क्योंकि इन से निकला हुआ धुआ वायु प्रदूषण करता हैl इस प्रकार से हुए वायु प्रदूषण को हटाने के लिए इन राज्यों की राज्य सरकारहै अपने-अपने राज्यों में पराली को जलाने से किसानों को मना करते हैं l उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त पराली के जलाने से खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक  जीवो जो पराली  के साथ संलग्न होते हैं भी नष्ट हो जाते हैं और इनसे अगली फसल में भिन्न प्रकार के हानिकारक  नाशी जीवो की समस्याएं उत्पन्न होते हैं l पराली की समस्या के निपटान हेतु बिना प्रदूषण वाली विधियों जैसे बायो डी कंपोजर का इस्तेमाल करके खेतों में ही पराली को डीकंपोज करके खाद में बदल देते हैं इसके लिए बायो डी कंपोजर का प्रयोग करते हैंl इसके अतिरिक्त ISRO ने 1 स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल बनाया है जिससे पराली के जलाने से होने वाले प्रदूषण आदि की जानकारी प्राप्त हो सकती हैl जिसके लिए सरकारों के द्वारा 20 सितंबर के बाद निगरानी शुरू करने पर सरकार ने बल दिया है l  पराली नियंत्रण हेतु 20 सितंबर के बाद नवंबर के अंत तक सतत निगरानी एवं उचित कदम उठाने के आवश्यकता होती है l जिसके लिए प्रतिवर्ष उचित एक्शन प्लान बनाना चाहिए और उसको सही तरीके से अमल में लाना चाहिए l पराली नियंत्रण अथवा प्रणाली प्रबंधन भी आईपीएम का एक उचित घटक या कंपोनेंट है जिससे पर्यावरण को प्रदूषित ना करते हुए पराली प्रबंधन किया जाता हैl

Friday, September 3, 2021

किसानों के मौजूदा संसाधनों के द्द्वारा अपनाई जाने वालीखेती की विधियांसे की जाने वाली खेती के तरीके को क्या आईपीएम कह सकते हैं ?Part I.

देश के सभी किसान खेती करते समय खेती करने की योजना बनाने के बाद बीज के चयन से लेकर खेत की तैयारी ,जु ता ई, बीज शोधन,बुवाई, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, निकाय और गुड़ाई , पोषक तत्वों का प्रबंधन, जल प्रबंधन ,पौधों में पाई जाने वाली बीमारियों तथा नाशि जीवो का प्रबंधन, अर्थात प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग द्वारा खेत में बोई गई मुख्य फसल के साथ-साथ खेतों के चारों तरफ बॉर्डर क्रॉप तथा खेत के बीच मुख्य फसल के साथ-साथ अंतर फसलों की बिजाई करके इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग पद्धति से खेत में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो का संरक्षण करते तथा खेतों कि सतत निगरानी करते हुए, फसल पारिस्थितिक तंत्र का विश्लेषण करते हुए खेतों में की जाने वाली फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की वांछित गतिविधियों को प्रयोग करते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षण किया जाता है l इन गतिविधियों में रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी अंतिम विकल्प के रूप में भी होता है l किसान उपरोक्त बताई गई गतिविधियों का प्रयोग फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु करते हैं यह ही गतिविधियां वह गतिविधियां हैं जो एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन  अर्थात आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु बताई गई है या आई पीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में आई पीएम के क्रियान्वयन हेतु दर्शाई गई हैं l इसके अतिरिक्त कुछ अन्य गतिविधियां जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना हो किसानों के द्वारा फसल उत्पादन हेतु भी की जाती हैं l ऐसा अनुभव किया गया है की रसायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के अतिरिक्त जो भी विधियां फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु प्रयोग की जाती हैं वह अधिकतर पर्यावरण, जैव विविधता , फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो तथा प्राकृतिक संसाधनों एवं समाज समाज हितेषी होती है और वह आई पीएम को बढ़ावा देने में सहायक होती हैं l रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग  आई पीएम क्रियान्वयन हेतु सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बताया गया हैl उपरोक्त सभी विधियां कृषकों के द्वारा अधिकांश तौर पर फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु प्रयोग की जाती है l खेती में आई पीएम इनपुट्स का प्रयोग उपलब्धता पर निर्भर करता है जिन किसानों को आईपीएम इनपुट उपलब्ध हो जाते हैं वह उनका प्रयोग करते हैं और जिनको आईपीएम इनपुट उपलब्ध नहीं हो पाते हैं वह रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग न्याय उचित ढंग से कम से कम मात्रा में करते हैं तो इन सभी विधियों को आईपीएम विधियां कहते हैं और इन विधियों अपनाकर फसल उत्पादन तथा फसल रक्षा की pगई है तो इन विधियों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल आईपीएम के द्वारा कवर किए गए क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है l

Thursday, September 2, 2021

Basis of IPM Concept orMool Mantra of IPM.

1. कम से कम खर्चे मैं खाने की दृष्टि से सुरक्षित एवं व्यापार की दृष्टि से गुणवत्ता युक्त एवं फसल उत्पादन की मात्रा की दृष्टि से अधिकतम फसल उत्पादन अर्थात खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन के उत्पादन को साथ साथ सुनिश्चित करना l         2.इसके साथ साथ साथ 
सामाजिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण ,जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना या रखना या रखते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन की सभी मौजूदा विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पर्यावरण में हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखना तथा लाभदायक जीवो की संख्या को खेतों में संरक्षण देना l
3. अर्थात फसल सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना l
4.IPM के क्रियान्वयन हेतु किसानों, समाज के व्यक्तियों ,प्रशासनिक अधिकारियों , राज्य व केंद्र सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ,राजनीतिज्ञों, नीति करो आदि के बीच आपस में समन्वय एवं सहयोग तथा प्रबल इच्छा शक्ति तथा नियत अति आवश्यक है तभी आईपीएम विचारधारा का खेती मैं क्रियान्वयन हो सकेगा  कृषि से संबंधित सभी विचारधाराओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हमारे कृषक भाइयों के द्वारा ही किया जाता है और उनके ही द्वारा किसी भी तकनीकी का जमीनी स्तर पर फैलाव किया जाता है l उत्पादक ,उत्पाद  उपभोक्ता  पर्यावरण  प्रकृति और समाज को सुरक्षा प्रदान करना आईपीएम विचारधारा का प्रमुख उद्देश्य है l साथ साथ ही साथ क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना तथा उसको सदैव क्रियाशील रखना बीआईपीएम का प्रमुख उद्देश्य है l
5. यद्यपि  आईपीएम से संबंधित बहुत सारे शोध कार्य हो चुके हैं अब यह जरूरत है की  IPM  inputs का औद्योगिकीकरण अर्थात बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जिससे इनकी उपलब्धता किसानों को उनके द्वार पर ही सुनिश्चित की जा सके जिससे वह आवश्यकतानुसार उनका खेती में अथवा IPMके क्रियान्वयन में प्रयोग कर सकें  l
6. कई बार यह देखा गया है की आई पीएम के भागीदार या स्टेकहोल्डर आईपीएम को सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन तक ही सीमित रखते हैं उस समय वह यह भूल जाते हैं कि आईपीएम सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन को ही deal नहीं करता है बल्कि इसमें समाज व प्रकृति ,पर्यावरण तथा जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी मुद्दों को deal  करता है  l अतः आई पीएम को क्रियान्वयन करते समय उन सभी मुद्दों को और उनसे जुड़ी हुई समस्याओं को शामिल करना है जिससे हमारे समाज, पर्यावरण जैव विविधता प्रकृति व उसके संसाधनों को सुरक्षित रखा जा सके तथा प्रकृति व समाज के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सके जिससे हमारी भावी  पीढ़ियों के लिए अनुकूल और सुरक्षित पर्यावरण, क्रियाशील एवं माफिक पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवन को संचालन करने वाले एवं जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी कार को जैसे पृथ्वी, पानी ,अग्नि ,आकाश तथा वायु को सुरक्षा प्रदान की जा सके  l
7 . आईपीएम का क्रियान्वयन करते समय हमें उन विधियों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे बनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटक्शन के साथ-साथ प्रकृति, वा उसके संसाधन , समाज, पर्यावरण तथा विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र ओं को भी सुरक्षित एवं क्रियाशील रखा जा सके तथा फसल उत्पादों, फसल उत्पादन करता अर्थात किसान, तथा उपभोक्ता को भी सुरक्षा प्रदान की जा सके l

Wednesday, September 1, 2021

आईपीएमके द्वाराकवर किया गया क्षेत्रफलभाग 3

दोस्तों देश का प्रत्येक किसान किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए खेती करता है l इन उद्देश्यों में खाद्य आपूर्ति तथा  दैनिक जीवन के आवश्यकताओं की आपूर्ति शामिल होती है l खेती करते समय प्रत्येक किसान अधिकतर फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन की वही सारी विधियां समेकित रूप से तथा सुव्यवस्थित रुप से या सिस्टमैटिक तरीके से प्रयोग करता है जो की एकीकृत नाशिजीव प्रबंधन की पैकेज ऑफ़ प्रैक्टिसेज में लिखी हुई हैं तथा प्रयोग करने के लिए मौजूद हैl  कभी-कभी यह देखा गया है कि कृषक भाई उन विधियों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं जो आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मैं लिखी तो है परंतु आसानी से कृषकों को उपलब्ध नहीं हो पाती हैं l कृषकों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाली यह सारी विधियां जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी शामिल है IPM प्रैक्टिसेज कहलाती हैं अगर कीटनाशकों का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में अथवा सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु प्रयोग किया जाए तथा अन्य विधियों का प्रयोग भी प्रकृति व समाज के लिए सुरक्षात्मक रूप में प्रयोग किया जाए l जब यह विधियां उपरोक्त बताए गए तरीके से प्रयोग की जाती हैं तो उन सभी विधियों को समेकित रूप से आई पीएम की विधियां कहते हैं तथा इन विधियों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्र आईपीएम के द्वारा कवर किए गया क्षेत्र कहलाता है l इस प्रकार से यह देखा जाए तो उपरोक्त तरीके से की गई खेती के क्षेत्रफल को  IPM के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल कहते हैं l इस प्रकार से मेरे व्यक्तिगत विचार से देश का प्रत्येक किसान आईपीएम द्वारा खेती करता है अगर वह रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग  वरीयता पूर्वक ना करते हु सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु करता है l रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी आई पी एम पद्धति का एक घटक है जिसको अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए परंतु अक्सर यह देखा गया है कि किसान भाई रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग प्रथम विकल्प के रूप में करते हैं जो की आईपीएम के सिद्धांत के विपरीत है l अगर किसान खेती करते समय इतना सुधार कर लें तो शत-प्रतिशत क्षेत्र आईपीएम के द्वारा कवर किया गया क्षेत्र फल हो जाएगा l किसान भाई रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सिर्फ इसलिए अधिकांश तौर पर करते हैं क्योंकि इनकी उपलब्धता आसानी से कृषकों के गांव के स्तर तक हो जाती हैl आईपीएम के इनपुट किसानों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं l आईपीएम के इनपुट खेती करने अथवा आईपीएम को क्रियान्वयन करने में सुविधा प्रदान करते हैं परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि अगर आई पीएम के इनपुट ना प्रयोग किए गए हो तो उस क्षेत्र को आईपीएम के द्वारा  कवर किया गया क्षेत्र नहीं कह सकते हैं l इस प्रकार से हमारे व्यक्तिगत विचार से देश के प्रत्येक किसान के द्वारा आई पीएम का क्रियान्वयन किया जाता है l प्रत्येक  किसान किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए तथा किसी विशेष नियत या इंटेंशन से खेती करता अगर उसके वह उद्देश्य और नियत जिस नियत से वह खेती करता है वह पूरे होते हैं और इसके साथ साथ आई पीएम की विचारधारा के उद्देश्य भी पूरे होते हैं तो उस क्षेत्र को आईपीएम क्षेत्र कहते हैं l इन उद्देश्यों में कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक पैदावार काउत्पादन एवं पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता प्रकृति व समाज को सुरक्षा प्रदान करना शामिल है l

Sunday, August 29, 2021

Ecological Engineering its role in Integrated Pest Management (IPM)

Ecological Engineering is the way of making agroecosystem favurable,suitable ,or congenial for the development   and  conservation of biocontrol agents and other beneficial organisms found or to be developed in particular crop fields through growing of certain attractant and repellent crops for certain types of pests or benefecial organisms ,either as border crops or as intercrops .Ecological Engineering is helpful to manage the pest population in the field through development of the population of biological control agents or other beneficial organisms like pollinators developed in the fields regulating and managing  the  pest population below Economic threshold level. 
A demonstration of Agroecosystem based Ecological Engineering in Cole crops was conducted by the Directorate of Plnt Protection ,Quarantine and Storage during Krishi Vasant 2014 programme held from 09-13 Feb,2014 at Central Institute of Cotton Research Nagpur.In this demonstration,the Cole crops were bordered by the Sunfower,Mustard,Merigold and Coriender crops .The Sunflower crop being tallest crop among these crops was able to attract the Helicoverpa pest ,it was surrounded by two rows of Mustard crop which was able to attract different types of biocontrol agents like Chrysoperla and lady bird beetles  and pollinators like Honey bees etc.Coriender crop was excellent crop for attracting different types of biocontrol agents of different pests of main cole crops . Merigold crop was preferable crop for egg laying of Helicoverpa .It was observed that Cabage and Cauliflower crops found effected with Aphid population and Aphid population of cole crops was found parasitized by Aphidius ,a potential parasite of Aphid .This parasite could be able to manage the Aphid population in the Cole crops .This demonstration field was visited by thousands of farmers visited Krishi Vasant 2014at Nagpur and also Hon shri Pranabh  Mukharji the then Presisent of India. They were fully impressed about the role of this parasite of Aphid for managing its population effectvely without use of any chemical pesticides.  They  were also impressed about this technology of Ecological Engineering. 
  In this type of technology of Ecological Engineering  some times other crops like Maize,Sorghum Bajara ,lemon grass etc ,are also used as border crops . This technology is helpful to reduce the use of chemical pesticides in Agriculture thus reducing the cost of cultivation and enhancing the  farmes income upto great extent.


Monday, August 23, 2021

Principles for Implementation of IPM.

1.Crop management through systematic approaches is the modern concept of IPM.
2.To get rid of from pest problems with minimum expenditure, and least disturbance to community health, Environment,ecosystem,  biodiversity,nature and society is called IPM is the main principle or objective of IPM. 
3. जहां तक काम चलता हो गीजा से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से 
4.Eat healthy,live healthy and be healthy.
5.IPM is the way of plant protection with due care of community health, Environment, ecosystem, biodiversity, nature and society. 
6.IPM is based on nature's principles.There no place of chemical farming in nature. Natural system is self operating system .which is helpful to each others both living and nonliving things .
7.Making Agroecosystem better suited to benefecial organisms found in agroecosystem and unfit to the pests or harmful  organisms.
8.Nonviolance ,Tolerance, Hormony,Sympathy,Sensitiveness are the main principles of the implementation of IPM. 
9 .No first use of chemicals in Agriculture. 
10.Live and let live.
11.Make your life styles Environmental,nature and ecofriendly. 
12.Wellfare of all in the universe .
13.Do not make Development catestropihic in nature.
14.Economic Development must be followed by Environment, nature, and Social development. 
15.Go away from chemicals and come closer to nature and society is the basic principles of IPM. 
16.To make crop production and protection system safe is also a principle of IPM
17. दवा उपाय नहीं है बल्कि शरीर में प्रतिरोधक शक्ति निर्मित करना ही उपाय है l
18. खेती को उत्पादन केंद्रित होने के साथ-साथ आमदनी केंद्र बनाते हुए आई पीएम का क्रियान्वयन करना चाहिए  l
19. खेती को रसायनों के ऊपर आश्रित ना करते हुए IPM एवं खेती करना चाहिए l Do not have dependency on chemicals while doing Agriculture. 
20.IPM is a way forward from grow more food to grow more and safe food.
21.Maintain food security and food safety simultaneously. 
22.Implement IPM considering total threat perception prevailing in agroecosystem. 
23.Lets allow nature to behave like nature while doing IPM.
24. आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक, जलवायु एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा, अथवा आईपीएम तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी, मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित, स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली, समाज प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली व जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र के विकास को भी करने वाली व सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए l इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा, खेती में उत्पादन लागत को कम करने वाली, जलवायु परिवर्तन के समाज व पर्यावरण, प्रकृति पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को निष्क्रिय करने वाली या सहन करने वाली होनी चाहिए l
25. Change of propesticidal mindsets of the IPM stakeholders to last and least use of the chemical pesticides .
26. सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र ,जैवविवधता ,प्रकृति व समाज
को सुरक्षित रखते हुए फसल उत्पादन व फसल रक्षण एवं फसल प्रबंधन की पद्धति को सुरक्षात्मक बनाते हुए अधिक से अधिक एवं सुरक्षित फसल उत्पादन करना आई पीएम का प्रमुख सिद्धांत हैl
27.IPM is a way of plant protection which is better suited to community health,Environment, ecosystems  biodiversity, nature and society.


Friday, August 13, 2021

आईपीएम को लोकप्रिय बनाने के लिए आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक शक्तिशाली टूल है

आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक अनौपचारिक शिक्षा पद्धति है जिसके माध्यम से किसानों को उनके अनुभवों को समाहित करते हुए खेतों में ही वैज्ञानिक कृषि पद्धति से स्वयं करके सीखने की प्रक्रिया द्वारा एकीकृत  नासि जीव  प्रबंधन के बारे में शिक्षित किया जाता है ताकि वह अपने खेतों की कृषि क्रियाओं के बारे में स्वयं निर्णय ले सकें l
आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक इंडोनेशियन पैटर्न या मॉडल के अनुसार अपने देश में आई पीएम को प्रचलित या लोकप्रिय बनाने के लिए कृषकों को आईपीएम के बारे में अनौपचारिक शिक्षा विधि से शिक्षित करने का एक तरीका है जिसमें कृषकों की शिक्षा के साथ-साथ आईपीएम का प्रचार एवं प्रसार कृषकों तथा राज्य सरकार के कृषि प्रचार एवं प्रसार अधिकारियों के बीच में किया जा सके l
आईपीएम किसान खेत पाठशाला कार्यक्रम विभिन्न फसलों में फसल अवधि के दौरान 14 सप्ताहों के लिए आयोजित किया जाता है जिसमें 30 कृषकों को तथा राज्य सरकार के पांच कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को प्रति सप्ताह एक बार एक ही खेत में जाकर केंद्रीय एकीकृत नासि जीव प्रबंधन केंद्रों की कोर ट्रेनिंग टीम दिनेश सुविधा प्रदाता अथवा फैसिलिटेटर कहते हैं के द्वारा खेत में ही प्रशिक्षित किया जाता है इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि प्रशिक्षित किसान एवं कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ता आगे जाकर आने आने वाली फसल के दौरान इसी प्रकार की आईपीएम खेत पाठशाला ओं का स्वतंत्र रूप से आयोजन कर सकें l अर्थात प्रशिक्षित किसान अपने सहयोगी किसानों को प्रशिक्षित कर सकें तथा प्रशिक्षित कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ता भी स्वतंत्र रूप से आईपीएम खेत पाठशाला ओं का आयोजन कर सके l जिससे इस कार्यक्रम का गुणात्मक प्रभाव देखने को भी मिल सके और कृषकों के बीच में आई पीएम का प्रचार एवं प्रसार किया जा सके l आई पीएम किसान खेत पाठशाला के आयोजनों के बात उसी गांव में एक खेत दिवस का आयोजन किया जाता है जिसमें गांव के संपूर्ण कृषकों को बैठाकर के किए गए कार्यक्रम तथा उनसे प्राप्त अनुभव एवं उपलब्धियों के बारे में विस्तृत चर्चा की जाती है तथा आगे की कार्य योजना भी बनाई जाती है l
    आई पीएम किसान खेत पाठशाला का पाठ्यक्रम इस प्रकार से बनाया जाता है कि वह फसल पारिस्थितिक तंत्र का भलीभांति विश्लेषण कर सकें और उसके बाद सामूहिक चर्चा के द्वारा किसी विशेष निर्णय पर आ सके उस निर्णय को अपने खेत में क्रियान्वयन कर सकें l

Monday, August 9, 2021

जैविक नियंत्रण कार कोके संरक्षण द्वाराकवर किया गया क्षेत्रफल

फसल उत्पादन एवं फसल रक्षण पद्धति से उन कर्षण क्रियाओं तथा विधियां को दूर करना अथवा कम करना जिनका फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो या जैविक नियंत्रण कार्य को की संख्या अथवा वृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जैविक नियंत्रण कारकों का संरक्षण कहलाता है तथा इस क्षेत्रफल को जहां इन कृषि  क्रियाओं को दूर किया जाता है जैविक नियंत्रण कारको के संरक्षण द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल कहलाता है  l इस संदर्भ में यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अधिकांश तौर पर रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के द्वारा कवर किया फसलों का क्षेत्रफल ही  अधिकांश तौर पर आता है यहां पर जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या एवं वृद्धि पर रसायनिक कीटनाशकों का विपरीत प्रभाव पड़ता है l जैविक नियंत्रण कार को  के संरक्षण हेतु रसायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके स्थान पर spot application of chemical pesticides अति आवश्यकता पड़ने पर करना चाहिए इसके अतिरिक्त जैविक नियंत्रण कारकों के संरक्षण हेतु ज्यादातर वह क्षेत्रफल गिना जाता है जहां पर रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना किया गया हो फिर भी यह क्षेत्रफल वहां पाए जाने वाले जैविक नियंत्रण कार्य को की संख्या का आकलन एवं सर्वेक्षण करने के बाद ही गिना जाना चाहिए l फसलों का व क्षेत्रफल जहां रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना किया गया हो वहां पर पर्याप्त मात्रा में जैविक नियंत्रण कारक मौजूद हो जैविक नियंत्रण कारकों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है  l  इसके अलावा इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल जिसमें रसायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों अथवा वनस्पतियों पर आधारित कीटनाशकों का प्रयोग किया गया हो और वहां पर जैविक नियंत्रण कारक पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो को भी जैविक नियंत्रण कारकों के संरक्षण के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है  lयह एक प्रकार का मानसिकता परिवर्तन का कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को पहले फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो अथवा जैविक नियंत्रण कार्य को की जानकारी एवं उनकी पहचान कराई जाती है इसके बाद उनको यह बताया जाता है कि इन जीवो का फसल पर्यावरण में संरक्षण करें पोषण करें क्योंकि यह जीव हानिकारक जीवो की संख्या पर नियंत्रण करने हेतु अपना विशेष योगदान देते हैं  l यह एक प्रकार का कृषकों को प्रेरित करने वाला कार्यक्रम है l जिसके लिए कृषकों को कृषक गोष्ठियों के द्वारा फसलों के सर्वेक्षण के दौरान प्रशिक्षण के दौरान, संपूर्ण गांव के दृष्टिकोण के तरीके से IPM Farmers Field Schools संचालन करते समय लाभदायक जीवो के चित्रों को कृषकों को दिखाकर एवं फसल में मौजूद लाभदायक जीवो को दिखा करके उनकी पहचान करवा कर तथा बड़े-बड़े होर्डिंग लगा कर के कृषकों को प्रेरित किया जाता है तथा सर्वेक्षण के दौरान में पाए गए उस क्षेत्रफल को जहां पर लाभदायक जीवो अथवा जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या बहुतायत में होती है जैविक नियंत्रण कार्य को के का संरक्षण क्षेत्र माना जाता हैl और उस एरिया में रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को न्यूनतम करके अथवा ना करके तथा इसके अतिरिक्त अन्य कर्षण क्रियाएं तथा फसल उत्पादन में की जाने वाली विधियों जैसे कि उन खेतों में जहां पर लाभदायक जीव अथवा जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या फसल अवशेषों में पाई जाती है की फसल अवशेषों को नहीं जलाना चाहिए इससे जैविक नियंत्रण  कारकों का फसलों में संरक्षण अगली फसल में आसानी से किया जा सकता है l
सर्वेक्षण के आधार पर फसलों का वह छेत्रफल जिसमें पर्याप्त मात्रा में लाभदायक जीव अथवा जैविक नियंत्रण कारक पाए जाते हो जैविक नियंत्रण कार को अथवा फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले अन्य लाभदायक जीवो का संरक्षण क्षेत्रफल कहलाता है l
जैविक नियंत्रण कार्य को के संरक्षण हेतु अन्य विधियों का उपयोग किया जाता है जिनमें इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग अर्थात मुख्य फसल के साथ-साथ अंतर फसलों को उगाना तथा फसल के खेत के चारों तरफ लाभदायक जीवो अथवा हानिकारक जीवो को आकर्षित करने वाली फसलों को बॉय आ जाना इसके साथ साथ लगातार हानिकारक एवं लाभदायक जीवो की संख्या का खेत में आकलन एवं निगरानी रखने खेतों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जैविक नियंत्रण कार्य को एवं लाभदायक जीवो का संरक्षण किया जा सकता है तथा इसकी संरक्षित क्षेत्र को लाभ दायक जीवो का संरक्षण क्षेत्र कहते हैं जिसका आकलन एवंcalculation करके लाभदायक जिओ अथवा जैविक नियंत्रण कारकों का संरक्षण का क्षेत्रफल निकाला जा सकता है  l
IPM अनुभव के आधार पर यह भी नोट किया गया है कि कई बार अधिक से अधिक रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग के बावजूद भी कुछ खेतों में लाभदायक जीवो की संख्या पर्याप्त मात्रा में मिलती है इस इस प्रकार की दशा में एक शोध विषय उभर कर आता है उन खेतों में जहां जैव नियंत्रण कार्य को जिनकी संख्या अधिक से अधिक रसायनों स के उपयोग के बावजूद खेतों में अधिक पाई जाती है क्या उन उपयोग किए गए रसायनिक कीटनाशकों के प्रति उनमें कोई प्रतिरोधक क्षमता तो विकसित नहीं हुई है इस प्रकार का अध्ययन करना भी आवश्यक है l यह स्थिति मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह रहा हूं l

Sunday, August 8, 2021

IPM के प्रभावका मूल्यांकन

आई पीएम के प्रभाव का आकलन करने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि आई पीएम है क्या और उससे क्या क्या एक्सपेक्टेशन किए गए थे और वे एक्सपेक्टेशन पूरे हुए अथवा नहीं l
1. एक प्रकार का स्किल डेवलपमेंट अथवा कौशल का विकास का कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को कम खर्चे में ,रसायनिक कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति वा उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए अधिक से अधिक ,सुरक्षित भोजन या फसल उत्पाद पैदा करने के लिए सक्षम बनाया जाता है l तथा विभिन्न आईपीएम की skills जैसे कल्चरल ,मैकेनिकल ,बायोलॉजिकल ,Pest Surveillance, ईपेस्ट surveillance,Agroecosystem analysis ,आईपीएम कृषक खेत पाठशाला ओ का आयोजन,Ecological Engineering, जंतुओं एवं वनस्पतियों पर आधारित जैविक कीटनाशकों, केचुआ पर आधारित केंचुआ खाद,biodecpmposer का बनाना एवं उसका उपयोग, फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो के संरक्षण के उपाय व उनके उपयोग तथा रासायनिक कीटनाशकों का सुरक्षित इस्तेमाल आदि के  बारे में किसानों को सक्षम बनाना आईपीएम का प्रमुख कार्यक्षेत्र है l
2. आईपीएम एक जागरूकता कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को रसायनिक कीटनाशकों के दुष्प्रभावों, खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो की पहचान करना तथा उनके फसल सुरक्षा में योगदान के बारे में जागरूक करना,  रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों रहित सुरक्षित भोजन पैदा करना आदि के बारे में उसको को जागरूक करना l
4.IPM एक शैक्षणिक, प्रशिक्षण ,सलाह कारी, एवं प्रेरित करने वाला कार्यक्रम है l
5 . फसल उत्पादन व्यवस्था में रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने हेतु एक सामाजिक आंदोलन है l तथा रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों के उपयोग करने हेतु एक मानसिकता परिवर्तन का कार्यक्रम है l
उपरोक्त अपेक्षाओं की पूर्ति के बारे में हुई उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त करके तथा फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा करते समय प्राप्त हुई उपलब्धियों को निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर Cost benefi ratio,no of applications of chemical and biological pesticides ,increase in crop yield,%of reduction of use of chemical pesticides प्रमोशन ऑफ यूज़ ऑफ बायोपेस्टिसाइड इन क्रॉप प्रोडक्शन एंड प्रोडक्शन,presence of residue of chemical pesticides in crop produce ,harmful effects of chemical pesticides on water,food,soil,air  etc के रूप में जानकारी प्राप्त करके आई पीएम के प्रभाव का आकलन किया जाता है l